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रांची मेन रोड हिंसा केस: सीआईडी को मिले दो आरोपियों की संलिप्तता के साक्ष्य, रिमांड पर लेकर करेगी पूछताछ

हाईकोर्ट ने रांची में 10 जून 2022 को मेन रोड हिंसा की एनआइए व ईडी से जांच कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों का पक्ष सुनने के बाद प्रार्थी से पूछा कि मामले की जांच एनआइए से क्यों करायी जाये?

रांची: झारखंड की राजधानी रांची के डेली मार्केट थाना क्षेत्र के मेन रोड में 10 जून 2022 को हुए उपद्रव के केस में सीआईडी को जांच में दो अन्य आरोपियों की संलिप्तता के साक्ष्य मिले हैं. साक्ष्य के आधार पर दोनों को अभियुक्त बनाया गया है. उक्त दोनों आरोपियों के खिलाफ इस बात के तथ्य मिले हैं कि वे उपद्रव को भड़काने में शामिल थे. इसमें एक आरोपी का नाम नवाब चिश्ती और दूसरे आरोपी का नाम मो शकीर उर्फ कारू है. दोनों आरोपियों को केस में रिमांड पर लेने के लिए सीआईडी के अनुसंधानक की ओर से कोर्ट में आवेदन दिया गया है.

15 से अधिक केस दर्ज

गौरतलब है कि घटना को लेकर डेली मार्केट थाना में 15 से अधिक केस दर्ज किये गये थे. इसमें पुलिस पर हमला, उपद्रव और दंगा भड़काने सहित अन्य आरोपों से संबंधित एक केस अनुसंधान के लिए बाद में सीआइडी को ट्रांसफर कर दिया गया है. इसके अनुसंधान के लिए सीआइडी के एक डीएसपी के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया है. सीआइडी इस केस में पूर्व में 11 आरोपियों के खिलाफ अनुसंधान पूरा कर उनके खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित कर चुकी है. जबकि, केस में नामजद सहित अन्य आरोपियों की भूमिका की जांच की जा रही थी.

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हाईकोर्ट को बताया, मेन रोड हिंसा की घटना एनआइए के शिड्यूल ऑफेंस में नहीं

झारखंड हाईकोर्ट ने रांची में 10 जून 2022 को मेन रोड में हुई हिंसा की एनआइए व ईडी से जांच कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों का पक्ष सुनने के बाद प्रार्थी से पूछा कि मामले की जांच एनआइए से क्यों करायी जाये? मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 21 नवंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि पुलिस घटना की सही जांच नहीं कर रही है. राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि मेन रोड में हुई हिंसा आतंकवादी घटना नहीं है. इसलिए जांच एनआइए से नहीं करायी जा सकती है. एनआइए की ओर से बताया गया था कि यह घटना एनआइए के शिड्यूल ऑफेंस में नहीं आता है. इसलिए इसकी जांच एनआइए से संभव नहीं है.

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