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रांची के कांके की प्रसूता को दौड़ाते रहे सरकारी अस्पताल, ऑटो में प्रसव के बाद नवजात की हुई मौत

कांके की प्रसूता की गंभीर स्थिति बनने और उसके बच्चे की मौत सिस्टम के टाल-मटोल वाले रवैये से हुई. गंभीर स्थिति में फंसी करमी देवी अपने बच्चे को जन्म देने के लिए ऑटो से राजधानी के एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भटकती रही. लेकिन कहीं भरती नहीं लिया गया.

Jharkhand News: वह अनाम था. उसे अभी इस दुनिया में आना था, लेकिन यहां के गैर जिम्मेदार सिस्टम ने उसकी जान ले ली. सिस्टम के टाल-मटोल वाले रवैये में फंसी उसकी मां करमी देवी उसे जन्म देने के लिए ऑटो से राजधानी के एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भटकती रही. लेकिन सरकारी अस्पताल प्रसव कराने की जगह उसे रेफर करते रहे. इसी दौरान करमी देवी का ऑटो में ही प्रसव हो गया. जगह के अभाव में नवजात के नीचे गिरने से उसे सिर में चोट लगी और उसकी मौत हो गयी.

महिला की स्थिति गंभीर

अत्यधिक रक्तस्राव से करमी देवी की स्थिति भी खराब होने लगी. पति तिलेश्वर राम फिर उसे लेकर कांके सीएचसी गये. वहां पत्नी का प्राथमिक इलाज किया गया. डॉक्टर ने कहा कि अधिक रक्तस्राव हो चुका है. इसे रक्त चढ़ाना होगा, इसलिए सदर अस्पताल चले जायें. उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से जब एंबुलेंस मुहैया कराने को कहा तो उसने इनकार कर दिया. व्यवस्था के आगे हार चुके तिलेश्वर अपनी पत्नी को लेकर घर चले आये हैं. उनकी पत्नी की स्थिति गंभीर बनी हुई है.

कैसे हुई घटना

शुक्रवार की भीषण बारिश के बीच कांके, अरसंडे में रहनेवाली महिला करमी देवी को प्रसव पीड़ा हुई. पति तिलेश्वर राम उसे कांके स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गये. वहां चिकित्सकों ने बिजली व्यवस्था नहीं होने से भर्ती लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने सदर अस्पताल ले जाने को कहा. तिलेश्वर पत्नी को लेकर सदर अस्पताल आये, पर वहां भी देर रात चिकित्सकों ने भर्ती करने से इनकार कर दिया. उन्होंने रिम्स लेकर जाने को कहा. तिलेश्वर अपनी पत्नी को टेम्पो में बैठाकर रिम्स लेकर जा रहे थे कि बीच रास्ते में ही उनकी पत्नी का प्रसव हो गया.

झारखंड में प्रति हजार में 30 शिशुओं की हो जाती है मौत

झारखंड में प्रति हजार में 30 शिशुओं की मौत जन्म के समय ही हो जाती है. एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट की अनुसार यह स्थिति चिंताजनक है. सरकार के स्तर से प्रयास किया जाता है कि प्रसव अस्पतालों में हो ताकि शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सके. लेकिन अस्पताल की लापरवाही से भी शिशु की मौत हो जाती है. इसका उदाहरण रांची की यह घटना है.

अहम बातें

– एक से दूसरे अस्पताल की दौड़ लगाने के दौरान ऑटो में हो गया प्रसव

– नीचे गिरने से नवजात की मौत

– प्रसव के दौरान हुआ अत्यधिक रक्तश्राव, लेकिन व्यवस्था से निराश पति लौट गया घर

– अब प्रसूता की जान खतरे में

क्या कहते हैं अधिकारी

यह घटना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. सदर अस्पताल में प्रसव के लिए तमाम संसाधन उपलब्ध हैं. किसी गर्भवर्ती को कैसे वापस किया जा सकता है. यह सदर अस्पताल की गैर जिम्मेदाराना हरकत है. इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. पूरे मामले की जांच करायी जायेगी. जो भी दोषी होंगे उन्हें बख्शा नहीं जायेगा.

अरुण सिंह,

अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग

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