रांची. करीब छह महीने से रांची में नक्शा पास करने पर रोक लगी हुई है. इसलिए नये भवनों का निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है. वहीं, जिन भवनों का नक्शा पहले ही पास हो चुका है, उनका काम भी बालू के अभाव में बंद है. नतीजतन, निर्माण कार्य से जुड़े मजदूर बेकार बैठे हैं. छड़-सीमेंट से लेकर स्टोन चिप्स की बिक्री भी 50 प्रतिशत तक गिर गयी है. बिल्डर अपनी परियोजना की अवधि बढ़ाने लगे हैं. हालत यह है कि राजधानी में सुलभ यातायात के लिए कांटाटोली, सिरोमटोली और रातू रोड में निर्माणाधीन तीनों फ्लाइओवर का भी धीमा हो गया है.
नक्शा पास करने का मामला अभी हाइकोर्ट में
रांची में नक्शा पास करने का मामला अभी हाइकोर्ट में चल रहा है. दूसरी ओर, बालू घाटों का टेंडर न होने से बालू की किल्लत हो गयी है. राज्य भर में केवल 23 बालू घाट ही चालू हैं. जबकि, रांची में एक भी बालू घाट चालू नहीं है. रांची में किसी तरह बालू मिल भी रहा है, तो उसकी कीमत आसमान छू रही है. फिलहाल, बालू की कीमत 28 से 30 हजार रुपये प्रति हाइवा हो गयी है. वहीं, 709 ट्रक बालू की कीमत भी लगभग छह हजार रुपये हो गयी है. गौरतलब है कि एनजीटी निर्देश के आलोक में 10 जून से बालू की निकासी पर रोक प्रभावी हो जाती है. ऐसे में मुख्य सचिव ने सभी जिलों से 20 दिन पहले निविदा संपन्न कराकर बालू निकासी शुरू करने और बालू का स्टॉक करने का निर्देश दिया है, ताकि बरसात में बालू की कमी न हो.
सीमेंट-छड़ सहित अन्य सामान की बिक्री 30-50 प्रतिशत गिरी
इन दिनों आमलोगों से लेकर बड़े भवन बनानेवाले बिल्डर भी परेशान हैं. कई जगहों पर काम ठप है. इसका सीधा असर निर्माण सामग्री की बिक्री पर पड़ा है. सीमेंट और छड़ के सीएंडएफ विक्रेताओं का कहना है कि निर्माण कार्य ठप होने और धीमी गति की वजह से छड़ की बिक्री में लगभग 50 प्रतिशत और सीमेंट की बिक्री में लगभग 30 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है.
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”सीमेंट की कीमत स्थिर”
विक्रेताओं का कहना है कि सीमेंट की कीमत स्थिर है. वर्तमान में यह 340 से 370 रुपये प्रति बैग मिल रहा है. जबकि, छड़ की कीमतों में कमी आयी है. फिलहाल, छड़ 60 से 70 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. जबकि, एक माह पहले 65 से 74 रुपये प्रति किलो मिल रहा था. वर्तमान में गिट्टी 7,000 रुपये प्रति टर्बो मिल रहा है. एक माह पहले गिट्टी की डिमांड रांची में हर दिन 100 से 150 छोटी-बड़ी गिट्टी की थी. वर्तमान में यह घट कर 50 से 60 छोटी-बड़ी गाड़ी रह गयी है.