Ranchi News: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत झारखंड को 60 सड़कें और 25 पुलों का निर्माण किया जाना है. वर्ष 2021 में योजना को मंजूरी मिली थी, लेकिन आठ अक्तूबर 2022 तक भी योजनाएं पूर्ण नहीं हो सकीं. अब तीन दिनों का ही समय शेष बचा है. यानी 11 अक्टूबर तक अगर सड़कें और पुल नहीं बने, तो केंद्र सरकार योजना के लिए एक भी पैसा नहीं देगी. इसे लेकर पहले ही केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव एनएन सिन्हा ने झारखंड को स्पष्ट कर दिया था.
सचिव ने साफ कहा था कि योजनाओं को पूरा करने के लिए अगर समय-सीमा पार कर जाती है, तो केंद्र सरकार पैसा नहीं देगी. राज्य को ही पूरा पैसा लगाना होगा. यानी झारखंड स्टेट रूरल रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी (जेएसआरआरडीए) के अफसरों और अभियंताओं की सुस्ती का खामियाजा अब राज्य सरकार को भुगतना पड़ेगा.
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पीएमजीएसवाइ-1 के तहत झारखंड में सड़क और पुल योजनाओं की स्वीकृति दी गयी थी. इसे सितंबर में ही पूरा करना था, लेकिन बारिश को देखते हुए केंद्र ने तिथि में बढ़ोतरी कर दी थी. इस तरह अब झारखंड के पास तीन दिनों का ही समय शेष है. अगर तीन दिनों में कुछ योजनाएं पूर्ण होती हैं और इसके बाद जितनी शेष बचती हैं, तो उसे पूरा करने के लिए झारखंड को अपना पैसा लगाना होगा. फिलहाल, योजना के तहत भारत सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत राशि देती है. काम नहीं होने पर शत-प्रतिशत राशि राज्य को ही देनी होगी.
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जेएसआरआरडीए के अभियंताओं ने बताया कि समयसीमा बीत जाने के बाद भारत सरकार राशि तो नहीं देगी, लेकिन ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराने की सुविधा देगी. ऐसे में लंबित योजनाअों को पूरा करने के लिए राज्य को ऋण उपलब्ध कराया जायेगा. इसके बाद धीरे-धीरे राज्य की ओर से ऋण को चुकाया जायेगा.
चालू वित्तीय वर्ष के छह माह गुजर गये हैं, लेकिन राज्य के ग्रामीण इलाकों के लिए सड़कों और पुलों के निर्माण की योजनाएं तय नहीं हो सकी हैं. किस विधानसभा क्षेत्र में कितनी सड़कों और कितने पुलों का निर्माण कराना है और कहां-कहां योजनाएं लेनी हैं, इसकी अनुशंसा विधायकों से लेनी है, लेकिन अब तक विधायकों से अनुशंसा नहीं ली जा सकी है. हर विधायक की अनुशंसा पर उनके विधानसभा क्षेत्र में 10-10 करोड़ के सड़क और पुल की योजना स्वीकृत करनी है. यह राज्य सरकार ने तय किया है, लेकिन इसके आलोक में योजनाएं तय नहीं हो सकी हैं. ऐसे में अब जाकर ग्रामीण कार्य विभाग के प्रधान सचिव ने भी सभी कार्यपालक अभियंताओं को तत्काल योजनाओं के लिए अनुशंसा लेकर भेजने का निर्देश दिया है.
विभाग ने पहले ही यह तय करने में देरी कर दी थी कि मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना और मुख्यमंत्री सेतु योजना के तहत हर विधायक की अनुशंसा पर कितनी सड़क और पुल का निर्माण कराना है. ऐसे में यह तय हुआ कि हर विधायक को 10 करोड़ रुपये की सड़क और 10 करोड़ रुपये की पुल योजना दी जायेगी, जो कि उनकी अनुशंसा के आलोक में ही बनेगा. इंजीनियरों का कहना है कि छह माह हो गये हैं. अभी अनुशंसा लेने में देरी हुई, तो योजना स्वीकृत कराने और काम शुरू कराने में काफी समय लगेगा. इस तरह इस वित्तीय वर्ष का काफी समय गुजर जायेगा.