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तीर्थस्थल ही रहेगा श्री सम्मेद शिखर, केंद्र सरकार ने जारी किया आदेश, सीएम हेमंत सोरेन ने भी लिखा था पत्र

श्री सम्मेद शिखर पवित्रता बनाये रखने के लिए यहां होटल, ट्रैकिंग और मांसाहार पर भी रोक रहेगी. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि सम्मेद शिखर पर्वत क्षेत्र जैन धर्म का सबसे पवित्र और पूजनीय तीर्थस्थल है

झारखंड का श्री सम्मेद शिखर जी तीर्थस्थल ही रहेगा. केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक आदेश जारी कर पारसनाथ पर्वत क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन बनाने संबंधी दो अगस्त, 2019 की अधिसूचना पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही इस तीर्थ क्षेत्र में किसी प्रकार के निर्माण पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस संबंध में राज्य सरकार को एक कार्यालय ज्ञापन भेजा है.

आदेश के मुताबिक, इस स्थल की पवित्रता बनाये रखने के लिए यहां होटल, ट्रैकिंग और मांसाहार पर भी रोक रहेगी. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि सम्मेद शिखर पर्वत क्षेत्र जैन धर्म का सबसे पवित्र और पूजनीय तीर्थस्थल है. मंत्रालय जैन समुदाय के साथ-साथ पूरे देश के लिए इसकी महत्ता को स्वीकार करता है.

केंद्र ने झारखंड सरकार को 2019 की अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों पर रोक लगाने और राज्य को इस पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है. केंद्र ने राज्य सरकार को इस पर्वत क्षेत्र की रक्षा का निर्देश देते हुए यहां शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले तथा मांसाहारी खाद्य पदार्थों का विक्रय व उपभोग तथा लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की पाबंदी को सख्ती से लागू करने के लिए तुरंत सभी संभव उपाय करने को कहा है.

आदेश में कहा गया है कि धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के पवित्र स्थलों जैसे स्मारकों, झीलों, चट्टानों, गुफाओं और मंदिरों, वनस्पतियों, जीवों, जंगलों, आदि की रक्षा के लिए पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर अनधिकृत कैंपिंग और ट्रैकिंग आदि की अनुमति नहीं होगी. इससे पहले, जैन समाज का प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से मिल कर श्री सम्मेद शिखरजी को पवित्र तीर्थस्थल घोषित करने की मांग की. वहीं, जैन मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने कहा है कि केंद्र व राज्य सरकारों ने हमारी भावना का सम्मान किया है. हम उनके आभारी हैं.

पारसनाथ जैनियों का सबसे पावन स्थल है

इस पहाड़ी का नाम जैनों के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के नाम पर पड़ा है. यहां पर जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों असंख्य जैन संतो व मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया है. इसलिए जैन समुदाय के लिए यह स्थान सबसे पावन स्थान में से एक है. यहां पर जैन तीर्थंकरों के चरण चिह्न सहित मधुबन कस्बे में कई प्राचीन मंदिर है.

यहां पर हर साल लाखों जैन धर्माबलंबी आते है और मधुबन स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद शिखरजी पर वंदना करने पहुंचते हैं. शिखरजी की वंदना में 9 किलोमीटर की चढ़ाई, 9 किलोमीटर की वंदना, और 9 किलोमीटर की उतराई जो कुल 27 किलोमीटर की यात्रा होती है.

सम्मेद शिखर की पवित्रता की रक्षा का आग्रह करने वाले जैन समुदाय के लोग मिले. मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि पीएम नरेंद्र मोदी जी की सरकार सम्मेद शिखर सहित जैन समाज के सभी धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है.

भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री,

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन

निगरानी के लिए समिति बनी

पारसनाथ मामले में केंद्र सरकार ने एक निगरानी समिति का भी गठन किया है. राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह समिति में जैन समुदाय के दो तथा स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को इसमें शामिल करे.

सीएम हेमंत सोरेन ने भी केंद्रीय मंत्री को लिखा था पत्र

सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल घोषित किये जाने के विवाद को लेकर गुरुवार को ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा. उन्होंने पत्र में जैन अनुयायियों द्वारा प्राप्त आवेदनों के अनुसार, सम्मेद शिखर की शुचिता बनाये रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में जारी अधिसूचना के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया.

सीएम श्री सोरेन ने लिखा कि राज्य सरकार जैन धर्मावलंबियों की भावनाओं का सम्मान करती है एवं उक्त स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए प्रतिबद्ध है. जहां तक भारत सरकार की अधिसूचना को निरस्त करने हेतु प्राप्त अनुरोध का प्रश्न है, इस पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ही कार्रवाई की जा सकती है.

राज्य सरकार 2006 की अधिसूचना पर करे अमल

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार को झारखंड सरकार द्वारा 2006 में जारी एक अधिसूचना का पता लगाना चाहिए, जो गिरिडीह के मधुबन को पवित्र शहर का दर्जा देती है और पारसनाथ पहाड़ियों की तलहटी में स्थित सम्मेद शिखरजी का पालना है.

श्री मुंडा ने बताया कि यह अधिसूचना 2006 में सीएम के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान जारी की गयी थी. अगर राज्य सरकार इस अधिसूचना पर संज्ञान लेती है और उसके अनुसार कार्य करती है, तो दुनिया भर के जैनियों को यह आश्वासन दिया जायेगा कि उनके सबसे पवित्र तीर्थ स्थान की धार्मिक पवित्रता बनी रहेगी.

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