16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राज्य के लिए गोल्ड जीतनेवाली सरिता ढो रही है ईंट और बालू

झारखंड राज्य के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में गोल्ड समेत कई मेडल जीतनेवाली लॉनबॉल खिलाड़ी सरिता तिर्की ईंट व बालू ढोने के लिए मजबूर है

सुनील कुमार, रांची : झारखंड राज्य के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में गोल्ड समेत कई मेडल जीतनेवाली लॉनबॉल खिलाड़ी सरिता तिर्की ईंट व बालू ढोने के लिए मजबूर है. राज्य की ओर से किसी तरह की सहायता नहीं मिल पाने और परिवार चलाने के लिए उन्हें यह काम करना पड़ रहा है. सिर्फ यही नहीं, ईंट-बालू ढोने से पहले उन्होंने घर चलाने के लिए आया का काम किया, फिर चाय-पकौड़े की दुकान भी खोली. लॉकडाउन के कारण उनकी दुकान जब बंद हो गयी, तब उन्होंने अपने और परिवार के गुजर-बसर के लिए ईंट-बालू ढोने का काम शुरू किया.

नेशनल गेम्स में जीत चुकी है गोल्ड

बेहद गरीब परिवार की सरिता तिर्की ने पहली बार 2007 में 33वें राष्ट्रीय खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व किया और ब्रांज हासिल किया. झारखंड में 2011 में 34वें राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने बिहार की ओर से खेलते हुए गोल्ड जीता. इसके बाद फिर केरल में हुए 35वें राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने झारखंड के लिए खेला और गोल्ड हासिल किया.

इसके अलावा 2015 में हुए पांचवें नेशनल लॉनबॉल चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड, 2017 में छठे नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड, 2019 में आयोजित सातवें नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड व सिल्वर जीता. पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में हुई एशिया-पैसिफिक चैंपियनशिप में सरिता को ब्रांज मेडल से संतोष करना पड़ा.

लॉनबॉल में जीत चुकी है कई मेडल

33वां राष्ट्रीय खेल ब्रांज

35वां राष्ट्रीय खेल गोल्ड

5वीं नेशनल चैंपियनशिप गोल्ड

6ठी नेशनल चैंपियनशिप गोल्ड

7वीं नेशनल चैंपियनशिप गोल्ड

सिल्वर

एशिया-पैसिफिक चैंपियनशिप ब्रांज

ऑस्ट्रेलिया में होनेवाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में चयन.

गोवा नेशनल गेम्स के क्वालिफिकेशन में राज्य टीम के लिए गोल्ड.

सरकार से नहीं मिली कोई मदद

सरकार की ओर से सरिता को अब तक कोई मदद नहीं मिली है. संकल्प के आधार पर उन्हें तीन लाख 72 हजार रुपये मिलने हैं, लेकिन इसी संकल्प का हवाला देकर उनका नाम कैश अवॉर्ड और छात्रवृत्ति की सूची में शामिल नहीं किया गया. सरिता ने बताया कि पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में हुई एशिया-पैसिफिक चैंपियनशिप में भाग लेने जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे.

तब उन्होंने साथी खिलाड़ियों और परिचितों से 1.50 लाख रुपये उधार लिया. उन्हें उम्मीद थी कि खेल विभाग की ओर से मिलनेवाले कैश अवॉर्ड और छात्रवृत्ति से वह उधार लिये रुपये वापस कर देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

जूते खरीदने के लिए कोच ने दिये थे पैसे

एशिया-पैसिफिक चैंपियनशिप में भाग लेने जब वह ऑस्ट्रेलिया गयी, तब चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए उसके पास जूते भी नहीं थे. ऐसे में उनके कोच मधुकांत पाठक आगे आये और उन्होंने जूते खरीदने के लिए सरिता को सात हजार रुपये दिये.

Post by : Pritish Sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें