रांची : ये तस्वीर किसी गांव के मैदान की नहीं है. मैदान में जो प्लास्टिक के टेंट हैं, वे शरणार्थियों के लिए नहीं बनाये गये हैं. ये लोग बंजारे भी नहीं हैं, जो कहीं जाते समय यहां रुक गये हैं. ये तस्वीरें झारखंड की राजधानी रांची स्थित ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान की है. टेंट में रहने वाले लोग नक्सल प्रभावित 12 जिलों में लोगों को नक्सलियों से सुरक्षा देने के लिए तैनात किये गये सहायक पुलिसकर्मी हैं.
एक दर्जन जिलों के 2,350 सहायक पुलिसकर्मी सात दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. आंदोलन कर रहे पुलिसकर्मियों में महिलाएं भी हैं. कुछ महिला पुलिसकर्मियों के साथ उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. ये सभी इस मैदान में पिछले सात दिन से डटे हुए हैं. अपनी नौकरी स्थायी करने की मांग कर रहे हैं. कड़ाके की धूप हो या आंधी-बरसात. हर मौसम को झेल रहे हैं.
गुरुवार की देर मौसम बदल गया. मेघ गर्जन के साथ तेज बारिश हुई. इस दौरान भी प्लास्टिक के टेंट में किसी तरह इन सहायक पुलिसकर्मियों ने रात गुजारी. रात भर तंबू के बाहर मिट्टी से मेड़ बनाते रहे, ताकि दरी न भींग जाये. बच्चे को गीले बिस्तर पर न सोना पड़े. इसके लिए खुद भींगते रहे. रांची नगर निगम की ओर से इन्हें बिछाने के लिए तिरपाल मिला था, उसी से तंबू बनाया और किसी तरह कुछ लोग बारिश से बच पाये.
Also Read: VIDEO: तीसरी पास कल्लू प्लंबर ने 7500 रुपये में बना दी बैटरी कार, फीचर्स कर देंगे हैरानउल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में झारखंड की तत्कालीन रघुवर दास सरकार ने 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की अनुबंध पर नियुक्ति की थी. इन लोगों का वेतन 10 हजार रुपये प्रति माह तय हुआ था. कथित तौर पर आश्वासन दिया गया था कि तीन साल बाद जिला पुलिस में इन्हें समायोजित कर लिया जायेगा. या पुलिस की बहाली होगी, तो नियुक्ति में इन्हें प्राथमिकता दी जायेगी.
मोरहाबादी में आंदोलन कर रहे इन सहायक पुलिसकर्मियों का आरोप है कि अब जबकि इनका अनुबंध खत्म हो गया, सरकार इन्हें स्थायी नौकरी देने के बारे में कोई विचार नहीं कर रही है. इनका यह भी आरोप है कि 31 अगस्त को इनका अनुबंध खत्म होना था. इन्हें 30 अगस्त तक का ही वेतन दिया गया.
सहायक पुलिसकर्मी कह रहे हैं कि 10 हजार रुपये किसी परिवार के लिए पर्याप्त नहीं हैं. अब यह भी छिन जायेगा, तो वे भुखमरी की स्थिति में आ जायेंगे. इसलिए उन्हें आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. वरिष्ठ पुलिस पदाधिकारियों के साथ उनकी दो दौर की वार्ता विफल हो चुकी है. विरोधी दलों का समर्थन मिल रहा है, लेकिन सरकार में शामिल किसी दल ने उनकी मांगों पर अपनी राय नहीं दी है.
Also Read: झारखंड में फेसबुक पर किसने बनाये बंगाल के आइपीएस अधिकारियों के फर्जी अकाउंटदूसरी तरफ, रांची पुलिस प्रशासन इन सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन खत्म कराने में जुटी हुई है. सख्ती भी दिखाने लगी है. 14 सितंबर की शाम को आंदोलन कर रहे एक हजार पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी. 20 लोगों को नामजद किया गया. 12 सितंबर, 2020 को ये लोग राज भवन और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए अलग-अलग जिलों से आये थे, लेकिन जब भी ये आगे बढ़े, इन्हें रोक दिया गया.
Posted By : Mithilesh Jha