रांची: रांची विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षकों को सातवें वेतनमान के एरियर के रूप में राज्य सरकार को गलत जानकारी देकर लिये गये 109.50 करोड़ रुपये से संबंधित मामले की संचिका गायब हो गयी है. इसका खुलासा उस वक्त हुआ, जब राजभवन ने रांची विवि प्रशासन को पत्र भेज कर इस मामले में हुई अब तक की कार्रवाई की जानकारी देने काे कहा. साथ ही वित्तीय अनियमितता के उत्तरदायी पूर्व कुलपति, तत्कालीन वित्तीय सलाहकार (एफए), वित्त पदाधिकारी (एफओ) व रजिस्ट्रार के खिलाफ हुई कार्रवाई की भी जानकारी मांगी.
राजभवन से पत्र मिलने के बाद कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने जब संचिका की खोज की, तो वह नहीं मिली. कुलपति ने अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों को शीघ्र ही संचिका खोज कर उनके समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि संचिका नहीं मिलने पर दोषी कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी. कुलपति के निर्देश के बाद सभी विभाग में संचिका की तलाश की जा रही है.
रांची विवि की ओर से 1013 शिक्षकों के लिए एक जनवरी 2016 से 31 मार्च 2019 तक सातवें वेतनमान के तहत राज्य सरकार से एरियर के रूप में 109.50 करोड़ रुपये की मांग की गयी थी. राज्य सरकार ने वर्ष 2020 में 109.50 करोड़ रुपये, जिनमें रांची विवि को 99.60 करोड़ और डीएसपीएमयू के लिए नौ करोड़ 90 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करा दी. विवि में राशि वितरण के समय इस बात का खुलासा हुआ कि विवि में 860 शिक्षक ही हैं, लेकिन सरकार से 1013 शिक्षकों के नाम पर राशि ली गयी है.
यह लगभग 50 करोड़ रुपये से अधिक की राशि थी. इतना ही नहीं, विवि प्रशासन ने कुल 1013 शिक्षकों में रांची कॉलेज के 101 शिक्षकों के नाम पर भी लगभग 10 करोड़ रुपये ले लिये. दूसरी तरफ इन्हीं 101 शिक्षकों के नाम पर डीएसपीएमयू (पूर्व में रांची कॉलेज) के नाम पर भी राज्य सरकार ने नौ करोड़ 90 लाख रुपये दे दिये. प्रभात खबर ने नौ मई 2020 को जब इस गड़बड़ी का खुलासा किया, तो मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिये. उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने तीन सदस्यीय कमेटी द्वारा इसकी जांच भी करायी. गड़बड़ी की पुष्टि होने पर उच्च शिक्षा विभाग ने राज्यपाल के पास कार्रवाई की अनुशंसा की है.
यह सही है कि एरियर से संबंधित मूल संचिका अभी तक नहीं मिली है. संचिका नहीं मिलने पर प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कहने पर इससे संबंधित एक संचिका तो मिल गयी है. लेकिन मूल संचिका अभी भी नहीं मिली है. हमने अधिकारियों से कह दिया है कि अगर संचिका नहीं मिलती है, तो संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी.
डॉ अजीत कुमार सिन्हा, कुलपति, रांची विवि
रिपोर्ट- संजीव सिंह