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शेल कंपनियों में निवेश मामले पर हुई सुनवाई, झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- किसी को क्यों बचाना चाह रही है सरकार

कल झारखंड हाईकोर्ट में शेल कंपनियों में निवेश मामले पर सुनवाई हुई. जिसमें रवि केजरीवाल ने इडी को दिये अपने बयान में शेल कंपनियों के सहारे मनी लाउंड्रिंग करने की जानकारी दी. ईडी ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की दलील दी

रांची: जेएमएम के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल ने इडी को दिये अपने बयान में शेल कंपनियों के सहारे मनी लाउंड्रिंग करने की जानकारी दी है. याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा ने याचिका में 32 शेल कंपनियों का उल्लेख किया है. इडी की जांच के दौरान इसमें से कुछ कंपनियों के सहारे मनी लाउंड्रिंग की बात सामने आयी है. शेल कंपनियों पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है. इसलिए इसे मामले की जांच सीबीआइ को दे देना चाहिए, मनरेगा घोटाले में दर्ज प्राथमिकी की जांच भी 12 साल से चल रही है. इसे भी सीबीआइ को दे देना चाहिए.

इडी का पक्ष पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने यह बात कही. राज्य सरकार का पक्ष पेश कर रहे कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया. न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सच्चाई सामने लाना चाहिए. सरकार किसी को बचाने पर क्यों उतारू है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 मई की तिथि निर्धारित की. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉक्टर रविरंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ में सीएम के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश करने के मामले में दायर याचिका की वीडियो कांफ्रेंसिंग के सहारे सुनवाई हुई.

वहीं न्यायालय ने सीलबंद लिफाफे को खोल कर पढ़ने के बाद फिर से सील बंद कर दिया.

सुनवाई के दाैरान इडी का पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि खूंटी में मनरेगा घोटाले को लेकर 16 प्राथमिकी दर्ज थी. उस समय पूजा सिंघल वहां की उपायुक्त थी. मामले की जांच के दाैरान मनी लांड्रिंग का पता चला था. इसके बाद इडी ने पूजा सिंघल सहित अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की. छापेमारी में जो दस्तावेज बरामद किये गये है, वह अलार्मिंग है.

इससे यह पता चला है कि शेल कंपनियों के सहारे मनी लांड्रिंग की जाती है. उन्होंने अदालत को कुछ शेल कंपनियों के नाम भी बताये. इसमें निर्मल प्राइवेट लिमिटेड, गायत्री प्राइवेट लिमिटेड, शिवमंगल विनयम और वसुंधरा प्राइवेट लिमिटेड व अन्य शामिल हैं. उन्होंने अदालत से कहा कि मनी लांड्रिंग मामले की जांच सीबीआइ को दे देना चाहिए.

साथ ही मनरेगा घोटाले की जांच भी सीबीआइ को दे दी जानी चाहिए. क्योंकि सरकारी एजेंसी इस मामले में पिछले 12 साल से जांच ही कर रही है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों द्वारा दर्जनों शेल कंपियों में बड़े पैमाने पर राशि निवेश करने के मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की है.

मामले की अगली सुनवाई 19 मई को सुबह 10.30 बजे से होगी

इडी के सीलबंद लिफाफे को खोल कर पढ़ने के बाद फिर से कोर्ट ने सीलबंद कर दिया

राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल की दलील

याचिकाकर्ता ने किस प्राथमिकी को सीबीआइ को सौंपने की मांग की है, इसका उल्लेख नहीं है

जब कोई केस होता है, तभी वह सीबीआइ को रेफर होता है

जब तक मामला दर्ज न हो, ईडी अपने स्तर से जांच नहीं कर सकती

सरकार ने मामले की जांच एसीबी से करायी, पूजा को निलंबित किया

इडी की ओर से अधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा

खूंटी में मनरेगा घोटाले को लेकर 16 प्राथमिकी दर्ज थी. जांच में मनी लांड्रिंग का पता चला था.

इडी ने जांच कर पूजा सहित अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की

दस्तावेज से पता चला है कि शेल कंपनियों से मनी लांड्रिंग की गयी

मनी लांड्रिंग मामले व मनरेगा घोटाले की जांच सीबीआइ को दें

Posted By: Sameer Oraon

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