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कैसा रहा कपड़े और जूते की दुकान खुलने का पहला दिन, कितना है सुरक्षित

राज्यभर में कपड़े और जूते चप्पल की दुकान खुल गयी है. बाजार में भीड़ लौटी है लेकिन इस क्षेत्र में ग्राहक कितने हैं, कितना नुकसान हुआ है और कबतक इन दुकानों में रौनक लौटेगी इन सवालों के साथ हमने कुछ दुकानदारों से बातचीत की. राजधानी रांची का सबसे व्यस्त बाजार है अपर बाजार. यहां आपको जरूरत की सारी चीजें मिलेंगी. अब कपड़े और जूते चप्पल की दुकानें भी खुल गयी है. पढ़ें पंकज कुमार पाठक की इस रिपोर्ट में कैसा है अनलॉक के पहले दिन का बाजार.

रांची : राज्यभर में कपड़े और जूते चप्पल की दुकान खुल गयी है. बाजार में भीड़ लौटी है लेकिन इसमें ग्राहक कितने हैं, कितना नुकसान हुआ है और कबतक इन दुकानों में रौनक लौटेगी, इन सवालों के साथ हमने कुछ दुकानदारों से बातचीत की. राजधानी रांची का सबसे व्यस्त बाजार है अपर बाजार. यहां आपको जरूरत की सारी चीजें मिलेंगी.पढ़ें, पंकज कुमार पाठक की इस रिपोर्ट में कैसा है अनलॉक के पहले दिन का बाजार.

https://www.facebook.com/prabhat.khabar/videos/268900941089684/ त्योहार और लगन की तैयारी थी, भारी नुकसान हुआ

अपर बाजार में रंगरेज गली ऐसा मार्केट है जहां खासकर त्योहार की खरीदारी होती है. साड़ी नये तरह के शूट, लहंगा जैसी कई कपड़े यहां खूब डिमांड में रहते हैं. हमने इसी गली में गोपाल मुरारका से बात की जिनकी दुकान लगभग 38 साल पुरानी है. गोपाल बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले हमने लगन की सारी तैयारी कर ली थी क्लेक्शन रखे थे. ट्रेंड बदलता है अब पुराने सामान बेचने में दिक्कत होगी. क्या बाजार में पहले जैसी रौनक है ? इस सवाल पर गोपाल कहते हैं मैं सुबह से बैठा हूं अबतक कोई ग्राहक नहीं आया. आप जो भीड़ देख रहे हैं उन लोगों की है जो जरूरत का सामान लेने आये हैं या उनका पुराना काम रूका हुआ था उसके लिए आये हैं. पहले जैसा बाजार बिल्कुल नहीं है. आजकल लोग लगन में ही खरीदारी करते हैं अब कोई ऐसे ही कपड़े नहीं खरीदता.

अभी 30 जून तक लगन है, बाजार आज खुला है लेकिन पहले जैसी प्रतिक्रिया नजर नहीं आती. अगर सरकार पांच दिन पहले यह बताती कि हम फलां तारीख को खोलेगे तो संभव है कि बेहतर रिस्पांस होता. हमारे यहां जो स्टांफ हैं हमारे यहां 15 सालों से जुड़े हैं वह हमारे लिए घर के सदस्य की तरह हैं. बहुत सारे लोग अपने घर भी चले गये हैं यहां जो भी लोग हैं उनका ध्यान आपको रखना पड़ेगा. हमारे यहां यानि इस बाजार में मैंने तो नहीं सुना है कि किसी व्यापारी ने ऐसा किया. उम्मीद है कि रौनक आयेगी.

इसी गली में साड़ी की दुकान चलाने वाले नवीन कहते हैं हमने रामनवमी, सरहुल और ईद यह तीन बड़े मौके हमने गवां दिये. इस त्योहार में बाजार बड़ा होता है लोग खरीदारी करते हैं. अब तीन महीने बंद होने के बाद दुकान खुली है तो बाजार से उम्मीद है लेकिन लॉकडाउन का असर इतना जल्द कम नहीं होगा.

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ऑनलाइन मार्केट की तरफ भी बढ़ रहा है बाजार

इसी गली में आकाश की भी एक दुकान है इनकी दुकान में बच्चों के कपड़े उनसे जुड़े सारे सामान मिलते हैं. आकाश ने हमसे बातचीत में बताया कि देखिये, बाजार में मंदी तो है आज से बाजार खुला है तो इस पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया देना मुश्किल है लेकिन इतना कह सकता हूं कि बाजार सामान्य दिनों की तरह नहीं है. इन तीन महीनों मे हमारे लिए बहुत कुछ बदल गया है. मेरी दुकान में बच्चों के समर कलेक्शन के कपड़े अब पुराने हो गये. बरसात आ गयी है. मेरी दुकान में भले बच्चों के कपड़े हैं लेकिन इनका ट्रेंड भी फॉलो करना होता है. इस लॉकडाउन ने हमें इंटरनेट की तरफ भी देखने को मजबूर किया है. हमारी दुकान को फेसबुक पेज है कुछ लोगों को जोड़कर हमारा व्हाट्सएप ग्रुप भी है. उसमें भी नये ट्रेंड के आये कपड़े भेजते हैं जिन्हें पसंद आता है वह वहीं ऑर्डर कर लेते हैं.

क्या छूट मिलेगी

गोपाल कहते हैं कि अभी से कुछ कहना मुश्किल है कि कितना छूट मिलेगा. आज ही दुकानें खुली है पहले दिन लोग साफ – सफाई में व्यस्त रहे. सभी व्यापारी वर्ग देखेंगे कि क्या प्रतिक्रिया है उसके बाद संभव है कि इस पर कोई फैसला लिया जा सके हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि हम जो बेचते हैं साड़ी और सलवार शूट उसमें बहुत बेहतर बाजार हो जायेगा ऐसी उम्मीद नहीं करते. संभव है कि कुछ दिनों के आंकलन के बाद हम ग्राहकों के लिए कुछ मिलकर कर सकें.

कितना सुरक्षित है बाजार
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हमारे यहां हमने ट्रायल पर पूरी तरह रोक लगा रखी है. साथ से सेनिटाइजर औऱ मास्क रखा है. जो भी ग्राहक बगैर मास्क के आ रहा है हम उसे मास्क दे रहे हैं उसके बाद ही उससे खरीदारी की बातचीत कर रहे हैं. हम इसका भी ध्यान रख रहे हैं कि दुकान में ज्यादा भीड़ ना हो. हमने एक बार खरीद कर लिया गया सामान उसकी वापसी पर भी रोक लगा दी है. अब आप जो भी खरीद कर ले जायेंगे हम उसे दोबारा एक्सचेंज या वापस नहीं लेंगे. एक बार जो खरीद कर ले गये वो आप ले गये. हम सरकारी गाइडलाइन का भी पूरी तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. हमारे यहां कई लोग काम करते थे हमने तीन लोगों को अभी ड्यूटी पर रखा है. सबको शिफ्ट के आधार पर बुलाना है हम इसी आधार पर चल रहे हैं.

आज सिर्फ साफ सफाई ही की है

कपड़े के साथ – साथ जूते चप्पल की भी दुकानें खुली हैं. शहर में आज ज्यादातर दुकानें बंद हैं कुछ खुली भी हैं तो उनमें साफ सफाई का काम हो रहा है. लालपुर में जूते की दुकान चलाने वाले मनीष कहते हैं, देखिये तो जरूरत की चीज है. कई लोगों ने लॉकडाउन के दिनों में भी छुपकर दुकानें खोली हैं.

अब इजाजत मिली है तो हमें ज्यादा सुरक्षित रखना है क्योंकि हर किसी को जूता पहनकर यह जांच करने की इच्छा होती है कि साइज बेहतर है या नहीं, कुछ लोग चलकर देखते हैं. हम सरकारी गाइडलाइन का पूरी तरह पालन कर रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि दुकान खुली और ग्राहक दौड़कर हमारी दुकान की तरफ आ गये. धीरे- धीरे बाजार में रौनक लौटने की उम्मीद है.

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