रांची : झारखंड के देवघर जिला में हर साल आयोजित होने वाले विश्व विख्यात श्रावणी मेला (Shravani Mela 2020) के आयोजन पर झारखंड हाइकोर्ट का फैसला आ गया है. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने सरकार से कहा है कि वह भक्तों के लिए बाबा भोलेनाथ के वर्चुअल दर्शन (ऑनलाइन दर्शन) की व्यवस्था करें. इस फैसले के बाद देवघर में सदियों से लगने वाले श्रावणी मेला की परंपरा टूट गयी.
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की जनहित याचिका पर शुक्रवार (3 जुलाई, 2020) को दो सत्रों में सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुनाया. जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई, भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे के वकील ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से दिये गये बयान की ओर माननीय न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराया.
याचिकाकर्ता के वकील की बात सुनने के बाद माननीय न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई थोड़ी देर के लिए टाल दी और कहा कि कुछ देर बाद वह फिर से याचिका पर सुनवाई करेंगे. इस दौरान आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को कोर्ट ने तलब किया. आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव की कोर्ट में ऑनलाइन पेशी हुई. सचिव ने खंडपीठ को मेला के दौरान पेश आने वाली समस्याओं के बारे में बताया. इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया.
हालांकि, कोर्ट ने झारखंड सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन के बयान पर नाराजगी भी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि जब मामला कोर्ट में लंबित था, तो मुख्यमंत्री को बयान नहीं देना चाहिए था. ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक और दो जुलाई, 2020 को साफ-साफ कह दिया था कि इस वर्ष बाबाधाम और बासुकीनाथ धाम में श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होगा.
श्री सोरेन ने कहा था कि कोरोना संकट के मद्देनजर इस साल देवघर में श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होगा. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से राज्य सरकार के सामने बड़ी चुनौतियां हैं. कहा कि बाबा भोलेनाथ की कृपा और राज्यवासियों के सहयोग से वैश्विक महामारी को नियंत्रित कर पाये हैं. वर्तमान परिस्थितियों में मंदिर खोलना जन स्वास्थ्य के लिहाज से उचित नहीं है.
इसके पहले, एक जुलाई, 2020 को उन्होंने रांची स्थित झारखंड मंत्रालय में पंडा धर्मरक्षिणी सभा, देवघर के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की थी और कहा था कि इस वर्ष श्रावणी मेला का आयोजन करना संभव नहीं है. इतना ही नहीं, उन्होंने 2 जुलाई, 2020 को देवघर और दुमका के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर स्पष्ट कर दिया कि इस वर्ष मेला का आयोजन करना संभव नहीं है.
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उल्लेखनीय है कि देवघर में श्रावणी मेला के आयोजन को लेकर निशिकांत दुबे ने झारखंड हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. इस पर 30 जून को सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने 3 जुलाई, 2020 तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिका में कहा गया था कि कोविड-19 के संक्रमण की आशंका के कारण प्रोटोकॉल का पालन करते हुए श्रावणी मेला का आयोजन किया जाना चाहिए.
श्री दुबे ने हाइकोर्ट से अपील की थी कि श्रावणी मेला से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. इसलिए मेला के आयोजन की अनुमति दी जानी चाहिए. दो पाली में सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने मामले को निष्पादित कर दिया.
Posted By : Mithilesh Jha