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थ्री पिन प्लग से झारखंड के शैलेश ने शुरू किया स्टार्टअप, हाई वोल्टेज होने के बावजूद नहीं जलेगा तार

2018 में इनोवेटिव आइडिया के साथ ‘स्टार्टअप इंडिया झारखंड यात्रा’ से जुड़े. इसमें इलेक्ट्रिकल स्टार्टअप में ‘प्लगमेन’ को प्रथम पुरस्कार मिला. पुरस्कार राशि 75000 रुपये और अपनी जमा पूंजी के साथ 17 जुलाई 2019 को कंपनी की शुरुआत की

रांची, अभिषेक रॉय:

रतनजी रोड पुराना बाजार धनबाद के शैलेश कुमार साव ने अपने इनोवेटिव थ्री पिन प्लग से स्टार्टअप ‘एसएस प्लगमेन’ की शुरुआत की. हाई वोल्टेज या ओवरलोड के बावजूद यह जलता नहीं. शैलेश ने बताया कि 2015 में इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों में काम करते हुए थ्री पिन प्लग की समस्या और इससे होनेवाले नुकसान का आकलन कर लिया था. इसके बाद नये कंसेप्ट के साथ थ्री पिन तैयार करने में जुट गये.

2018 में इनोवेटिव आइडिया के साथ ‘स्टार्टअप इंडिया झारखंड यात्रा’ से जुड़े. इसमें इलेक्ट्रिकल स्टार्टअप में ‘प्लगमेन’ को प्रथम पुरस्कार मिला. पुरस्कार राशि 75000 रुपये और अपनी जमा पूंजी के साथ 17 जुलाई 2019 को कंपनी की शुरुआत की. ‘स्टार्टअप इंडिया झारखंड यात्रा’ में प्रथम पुरस्कार हासिल करने पर आइडिया को डेवलप करने की जिम्मेदारी आइआइटी आइएसएम धनबाद ने ली.

शैलेश जनवरी 2019 में संस्थान के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर से जुड़े, जहां एसएस प्लगमेन को मूर्त रूप दिया गया. उन्होंने बताया कि बाजार में ज्यादातर प्लग बैकीलाइट, मेलामाइन और पॉलीकार्बोनेट से तैयार होते हैं. इनमें हाई वोल्टेज प्रवाहित होने पर थ्री पिन गर्म होकर जल जाता है. जबकि, एसएस प्लगमेन के निचले हिस्से को पोर्सलीन से तैयार किया गया.

पोर्सलीन हाई वोल्टेज में गर्म न होकर इसे अवशोषित करता है. इससे थ्री पिन प्लग का बैलेंस बना रहता है और जलता नहीं. प्रोडक्ट तैयार होने के बाद आइआइटी आइएसएम धनबाद की मदद से एसएस प्लगमेन के मॉडल का पेटेंट कराया गया. कंपनी का रजिस्ट्रेशन पिता स्व शंकर साव के नाम पर ‘एसएस प्लगमेन’ किया गया. कंपनी 11.88 लाख रुपये का टैक्स भुगतान कर रही है.

महिलाओं को प्रशिक्षित कर दे रहे रोजगार

एसएस प्लगमेन की मांग झारखंड समेत बंगाल में है. शैलेश ने बताया कि उत्पाद तैयार करने की जिम्मेदारी महिलाओं की है. कंपनी थ्री पिन प्लग के पुर्जे महिलाओं के घर डिलीवर कर देती है. निश्चित समय में उन्हें बड़ी मात्रा में इन्हें जोड़कर पैकिंग के साथ उपलब्ध कराना होता है. तैयार पैकेज को महिलाओं के घर से ले लिया जाता है. एक महिला प्रतिदिन 300 रुपये कमा रही है. इसके लिए आइआइटी आइएसएम धनबाद में महिलाओं को 170 घंटे का प्रशिक्षण भी दिया गया था.

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