माकपा नेता सुभाष मुंडा संभ्रांत आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखते थे. श्री मुंडा की रिंग रोड से सटे दलादली चौक के पास 20 एकड़ पुश्तैनी जमीन है. वह दलादली स्थित मार्केट कॉम्प्लेक्स में स्वीट्स और ग्रामोद्योग (मोमबत्ती) की लघु इकाई चलाते थे. इधर दुमका में होने वाली पार्टी की बैठक में शामिल होने जा रहे राज्य सचिव प्रकाश विप्लव हत्या की खबर सुनकर बस से रांची लौट रहे हैं.
वहीं, पार्टी के कई बड़े नेता भी दुमका के रास्ते से रांची लौट रहे हैं. रांची लौट रहे श्री विप्लव ने कहा कि यह विचारधारा की हत्या है. जिस तरह से श्री मुंडा को कार्यालय में निशाना बनाया गया है, यह किसी प्रोफेशनल किलर द्वारा दिया गया अंजाम प्रतीत होता है.
हटिया क्षेत्र में राजनीतिक हत्या का यह पहला मामला नहीं है. इसके पूर्व आइपीएफ नेता विष्णु महतो की हत्या हुई थी. 80 के दशक की शुरुआत में श्री महतो हटिया के संभावित विधायक माने जाते थे. और, एकीकृत बिहार के समय मार्च 1980 में पहली बार उन्होंने पहला चुनाव लड़ा. इसमें वह दूसरे स्थान पर रहे. इसके बाद 1985 में उन्होंने दूसरी बार चुनाव लड़ने के लिए नामांकन किया. लेकिन रातू स्थित तिलता मोड़ पर कार्यकर्ताओं और समर्थकों से मिलने के बाद घर लौटने के क्रम में उनकी हत्या कर दी गयी थी.