रांची: आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो को रांची के मोरहाबादी में आयोजित तीन दिवसीय महाधिवेशन के आखिरी दिन रविवार को केंद्रीय समिति के चुनाव में सर्वसम्मति से एक बार फिर पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष चुना गया. चुनाव पर्यवेक्षक की भूमिका डोमन सिंह मुंडा ने निभायी. उमाकांत रजक ने सभा के समक्ष सुदेश महतो का नाम रखा. इसका सभी ने ध्वनिमत से समर्थन किया. कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने गर्मजोशी से अध्यक्ष के रूप में इनका स्वागत किया. सुदेश महतो ने कहा कि सुशासन का मतलब झारखंडी विचारों, विषयों, आम सहमति, जवाबदेही, उत्तरदायित्व का अनुसरण और आम आदमी को सत्ता का भागीदार बनाना होता है. सामाजिक न्याय और विकास आधारित होता है. उन्होंने कहा कि गिव एंड टेक की पॉलिटिक्स करने वालों को हमारे महाधिवेशन और विचार मंथन की समझ नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि आजसू पार्टी किसी भी राजनीतिक परिदृश्य एवं समीकरण में झारखंडी अस्मिता एवं पहचान तथा पिछड़ों, अल्पसंख्यकों एवं दलितों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगी. महाधिवेशन में लोगों को संबोधित करते हुए सुदेश महतो ने हेमंत सोरेन से पूछा कि आपका आदिवासी दर्शन क्या है? हेमंत सोरेन ने आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़ों को छला है. आदिवासी समाज के वीरों के सपनों को हाशिये पर छोड़ा है. सोरेन का आदिवासी दर्शन यही है कि सत्ता के भागीदारों को पांच किलो चावल और छोती साड़ी देकर उन्हें हाशिये पर रखना है, जबकि सुदेश महतो का आदिवासी दर्शन क्रांतिकारी सिदो- कान्हू, वीर बिरसा, बुधू भगत, जयपाल सिंह, टाना भगत हैं.
व्यवस्था परिवर्तन के लिए आंदोलन शुरू करेगी आजसू पार्टी
सुदेश महतो ने महाधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि आजसू पार्टी दलित, आदिवासी, ओबीसी, अल्पसंख्यक के सामाजिक आधार के दम पर झारखंडी अस्मिता एवं पहचान को पुनर्स्थापित करने के लिए संघर्ष करेगी एवं अपने संगठनात्मक ढांचों में हर स्तर पर दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्ग का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए युवाओं एवं महिलाओं को गोल बंद कर समाज के सभी वर्गों के सहयोग से स्वशासन से सुशासन तक के समाज एवं व्यवस्था परिवर्तन का आंदोलन प्रारंभ करेगी.
सुशासन की बात है बेमानी
शासन कमजोर, गैरजवाबदेह, भ्रष्टाचार में संलिप्त हो और बेलगाम प्रशासन के हाथों खेलता हो, आम आदमी, पंच, गांव की चौपाल की सत्ता में भागीदारी नहीं हो, तो वहां सुशासन की बात बेमानी होगी. हेमंत सोरेन की सरकार में झारखंड की यही तस्वीर उभरी है. सुशासन और स्वशासन में आम सहमति, जवाबदेही महत्वपूर्ण होती है. हम और हमारी पार्टी ने नवनिर्माण के नौ संकल्पों के साथ स्वशासन से सुशासन का लक्ष्य रखा है. इसमें झारखंडी हक और अधिकार सुनिश्चित किए जायेंगे. राज्य के सपनों को जगाने के लिए आजसू पार्टी आगे बढ़ चुकी है.
सुदेश महतो ने हेमंत सोरेन पर साधा निशाना
सुदेश महतो ने हेमंत सोरेन से पूछा कि आपका आदिवासी दर्शन क्या है? हेमंत सोरेन ने आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़ों को छला है. आदिवासी समाज के वीरों के सपनों को हाशिये पर छोड़ा है. सोरेन का आदिवासी दर्शन यही है कि सत्ता के भागीदारों को पांच किलो चावल और छोती साड़ी देकर उन्हें हाशिये पर रखना है, जबकि सुदेश महतो का आदिवासी दर्शन क्रांतिकारी सिदो- कान्हू, वीर बिरसा, बुधू भगत, जयपाल सिंह, टाना भगत हैं. स्वतंत्रता संग्राम का उद्गम स्थल आज का झारखंड वर्तमान समय में राजनीतिक भटकाव आर्थिक, दिशाहीनता, प्रशासनिक कुव्यवस्था, टूटते भरोसे, डूबते उम्मीदें एवं बिखरते सपनों का खंडहर प्रदेश बन गया है. राजनीतिक नेताओं की घटती विश्वसनीयता गिरती प्रतिबद्धता, पलटती प्राथमिकता एवं बढ़ती लालसा ने राज्य के युवाओं को निराश किया है. झारखंड के जनमानस में घनघोर निराशा एवं सुलगते आक्रोश की यह हालत तब है झारखंड में सिंहासन पर झारखंड आंदोलन की कोख से जन्मे पार्टी के राजकुमार बैठे हैं. मूलवासी आदिवासी के लिए संघर्ष करते-करते आज के राजनैतिक नेतृत्व इस वर्ग का शोषक बन गया. इस अधिवेशन में राजनीतिक समूह ने राजनीतिक परिदृश्य में उपजे शून्यता में आजसू की भूमिका एवं जिम्मेदारी पर गहन मंथन किया. मुख्य राजनीति उद्देश्य पिछले, दलितों एवं अल्पसंख्यकों को राजनीतिक और सामिजक तौर पर उनका वाजिब हक दिलाना तथा सत्ता तथा शासन में जनसंख्या के अनुपात में उनके हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है.
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आजसू पार्टी के एजेंडे में गांव, चौपाल, पंच और युवा शक्ति
आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि उनके एजेंडे में गांव, चौपाल और पंच है. सत्ता की बागडोर संभाल रहे हेमंत सोरेन का एजेंडा भ्रष्ट शासन और जनभावना, जनादेश के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि अलग राज्य का बंटवारा सिर्फ भौगोलिक हिस्सेदारी के लिए नहीं था. अलग राज्य हासिल करने के पीछे झारखंडी अस्मिता, वजूद, जल, जंगल, जमीन की रक्षा और मूलवासियों के हितों को सुरक्षित करना था. उन्होंने नवनिर्माण समागम के नौ संकल्पों पर वचनबद्धता जाहिर करते हुए कहा कि आजसू पार्टी यह संकल्प लेती है कि झारखंडी मूलवासियों को उनका हक अधिकार हर हाल में दिलाना सुनिश्चित करेगी. रोजगार मुखी कृषि, उद्योग, खनन, निर्माण, पर्यटन एवं पर्यावरण के संरक्षण और संवधर्न के लिए काम किये जाएंगे. सामाजिक न्याय, राजनीतिक भागीदारी, महिला सशक्तिकरण, एवं जातीय जनगणना के लिए हर मोर्चे पर मुखर रहेंगे.
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पढ़ाई, दवाई और न्याय करेंगे सुनिश्चित
सुदेश महतो ने कहा कि अधिकतर स्कूल एक टीचर के भरोसे चल रहा है. हिस्ट्री का टीचर केमिस्ट्री पढ़ा रहा है. खिचड़ी स्कूल के नाम से जाना जा रहा है. राज्य के वर्तमान और भविष्य दोनों को बर्बाद कर रही है सरकार. सरकारी मेडिकल संस्थान को कमजोर कर निजी मेडिकल हॉस्पिटल को मजबूत करने का काम कर रही है. गरीब प्राइवेट हॉस्पिटल जाने को मजबूर है. उन्हें सुविधा देने की जरूरत है. सब मिल कर प्रदेश को आगे ले जाएंगे. एक एक गांव से आंदोलन शुरू करना है, क्रांति आएगी. आपकी मेहनत से राज्य का नया रूप तैयार होगा. आगे हम अपने लाखों चूल्हा प्रमुखों से मिलेंगे और चौपाल में बैठ कर चर्चा करेंगे.
नयी पीढ़ियों के लिए रोडमैप तैयार
सुदेश महतो ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, स्वशासन – पंच (ग्राम सभा) और पंचायतीराज, प्रशासनिक सुधार, भ्रष्टाचार उन्मूलनस विधायिका में सुधार, विधान, स्थानीय नीति, नियोजन नीति, युवा नीति, भाषा, संस्कृति और अस्मिता पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि हमने राज्य के भविष्य और आने वाली पीढ़ियों के वास्ते रोडमैप तैयार कर लिया है. गांव का विकास गांव वाले तय करेंगे, दफ्तरों में बैठने वाले साहब नहीं. ऐसी शासन व्यवस्था लाएंगे जहां अधिकारी गांव में जा कर काम करेंगे, ग्राम सभा के साथ मिल कर काम करेंगे. पुलिस का डंडा अपनो की रक्षा के लिए उठेगा उन्हें प्रताड़ित करने के लिए नहीं. आजसू का एक-एक कार्यकर्ता हमारा लीडर है और राज्य का निर्माणकर्ता. हर कार्यकर्ता को नेता के रूप में काम करना होगा, जो सबकी चिंता करे सबकी बात करे. राजनीति उद्देश्य नहीं सेवा मुख्य उद्देश्य बनाना होगा. सेवा के मानक को खोल देना ही हमारा लक्ष्य है. कार्यकर्ता गांव के लोगों की समस्या को सुनना उनके हित के लिए काम करना सबसे पंसदीदा काम बनायें. हम गठबंधन करेगे, लेकिन यह राज्य की अस्मिता पर नहीं होगा. राज्य की अस्मिता पर आंच नहीं आने देंगे.