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झारखंड के इन युवाओं ने Swami Vivekananda को आदर्श मान लहराया परचम, समाज में पेश की मिशाल

Swami Vivekananda Jayanti 2023: हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है. युवा दिवस स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मनाया जाता है. झारखंड में भी कई युवा हैं जो स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानते हैं और सफलता की कहानी लिख रहे हैं.

रांची, लता रानी : 12 जनवरी यानी राष्ट्रीय युवा दिवस. यह दिन राष्ट्र के ऐसे युवाओं को समर्पित है, जो देश को बेहतर भविष्य देने की क्षमता रखते हैं. इसके लिए कार्य करते हैं. युवा दिवस स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद, जिनका सपना था हर भारतीय युवा के पास आध्यात्मिक शक्ति हो. क्योंकि वह अध्यात्म की ताकत को पहचानते थे. तभी तो उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा था : उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये. अध्यात्म की ताकत ने ही साधारण नरेंद्रनाथ दत्ता को महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद बना दिया. झारखंड में भी कई युवा हैं जो स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानते हैं. सफलता की कहानी लिख रहे हैं.

महिलाओं के
उत्थान पर दी
थी सीख

एक बार एक समाज सुधारक विवेकानंद के पास गए और उनसे पूछा : यह बहुत अच्छा है कि आप महिलाओं के उत्थान में भी विश्वास करते हैं. मैं भी करता हूं. आप मुझे बतायें कि महिलाओं के उत्थान के लिए मैं क्या करूं?” इस सवाल के जवाब में स्वामी विवेकानंद ने कहा : हैंड्स ऑफ, आपको उनके बारे में कुछ नहीं करना है. बस उन्हें अकेला छोड़ दीजिए. उन्हें जो करना है वह खुद करेंगी. यही सबसे जरूरी बात है. ऐसा नहीं है कि पुरुष को स्त्री को सुधारने की जरूरत है. अगर वह यह सोच छोड़ दें, तो महिलाएं वही करेंगी जो उनके लिए बेहतर है.

वान्या जोश और जुनून से नाप रहीं संघर्ष का रास्ता

अशोक नगर की वान्या लोचन. उम्र सिर्फ 26 वर्ष. 20 साल की उम्र में मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारी की चपेट में आ गयीं, लेकिन हारी नहीं. आज संघर्ष के रास्ते को जोश और जुनून से नाप रही हैं. एक ऐसी बीमारी जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर हमला करती है. यह ब्लड के जरिए ब्रेन तक पहुंचती है और धीरे-धीरे पूरे बॉडी सिस्टम को बिगाड़ना शुरू कर देती है. फिर भी वान्या ने जीने का जज्बा नहीं छोड़ा. वह देश की एक प्रतिष्ठित पत्रिका में स्पेशल प्रोजेक्ट्स एडिटर हैं. संत थॉमस स्कूल और जवाहर विद्या मंदिर की छात्रा रह चुकीं वान्या ने मिरांडा हाउस, दिल्ली विवि से इतिहास में ग्रेजुएशन किया है. फिर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चली गयीं और एमफिल की डिग्री हासिल की. वह हिंदी में कविताएं भी लिखती हैं और कई पुरस्कार भी हासिल कर चुकी हैं. महिलाओं पर आधारित इनका एक शोध पत्र लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज की रीडिंग लिस्ट में शामिल है. वान्या कहती हैं : वह युवतियों को मल्टीपल स्केलेरोसिस बीमारी के बारे में सजग करना चाहती हैं.

श्रुति ने कभी हार नहीं माना

चुटिया निवासी श्रुति सेनापति पेशे से कोरियाेग्राफर हैं. जिमनास्ट और थियेटर आर्टिस्ट भी हैं. बचपन से ही अध्यात्म से लगाव रहा है. वह कहती हैं : यही कारण है कि वह योग से जुड़ी. पूरे परिवार का भी अध्यात्म से गहरा जुड़ाव है. सभी योगदा मठ से जुड़े हुए हैं. यह परंपरा दादा जी हितलाल देशमुख से चली आ रही है. सोनी टीवी के बूगी वूगी की प्रतिभागी रही हैं. साथ ही इंडियाज गॉट टैंलेंट-2018 सीजन आठ में सेमीफाइनल में पहुंची. उनके डांस के प्रशंसकों की कमी नहीं है. खास बात है कि श्रुति को युवाओं को प्रेरित करने के लिए बुलाया जाता है. कई राज्यों में जज की भूमिका निभाने के लिए जाती हैं. जिमनास्टिक में भी बेहतर कर रही हैं.

राज्यस्तर पर चार गोल्ड और एक सिल्वर मेडल मिल चुका है. फरवरी में रिदिमिक आर्टिस्टिक एरो डांस में शामिल होंगी. वह कहती हैं : ध्यान से मन को अजीब सी शांति मिलती है. अध्यात्म से जुड़कर हम जीवन जीने की कला सीखते हैं. बचपन से ही स्वामी विवेकानंद के आदर्श प्रेरित करते रहे. यही कारण है कि जिंदगी में विपरीत परिस्थितियां भी आयीं, लेकिन कभी हार नहीं मानी. पिताजी जब गंभीर रूप से बीमार हुए, तो डिप्रेशन में चली गयी, लेकिन स्वामी विवेकानंद जी की बातों से फिर से उठने की हिम्मत मिली. संत अन्ना स्कूल की छात्रा रहीं श्रुति वॉयस ऑफ चेंज एनजीओ के माध्यम से गरीब बच्चों को नि:शुल्क ट्यूशन भी देती हैं.

स्टार्टअप की दुनिया में पहचान बना रहे रवि

संत जेवियर्स कॉलेज रांची के छात्र रहे रवि रंजन स्टार्टअप की दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं. हाल में ही फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में हुए प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. जपला में बचपन गुजारनेवाले रवि रंजन कहते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, बावजूद इसके उनका जोश कम नहीं हुआ. रवि रंजन ने संत जेवियर्स कॉलेज से पत्रकारिता की डिग्री हासिल की है. वह सोनी टीवी के शो शार्क टैंक इंडिया के पिछले सीजन में क्यूरेटर और बिजनेस एडवाइजर की भूमिका निभा चुके हैं. वह अभी तक 20 से ज्यादा देशों का भ्रमण कर चुके हैं. रवि रंजन कहते हैं : स्वामी विवेकानंद जी प्रेरणा के स्रोत हैं.

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मरीजों और युवाओं को प्रेरित करते हैं डॉ एकांश

डॉ एकांश देबुका हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं. साथ ही मोटिवेटर भी. वह कहते हैं : कई बड़े मौके मिले, लेकिन झारखंड की सेवा के लिए यहां आ गया. वह मरीजों की सेवा के साथ-साथ चिकित्सा के क्षेत्र में करियर बनानेवाले युवाओं को प्रोत्साहित भी करते हैं. यूट्यूब पर ऐसे वीडियो अपलोड करते हैं, जिससे मरीजों को लाभ हो. एक किताब भी लिख रहे हैं. डॉ एकांश कहते हैं : हमारे यहां बच्चे डॉक्टरी की पढ़ाई करते हैं. इस दौरान उन्हें कई परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है. उस वक्त उन्हें अच्छे मेंटर की जरूरत होती है. वह खुद स्वामी विवेकानंद के कथनों से काफी प्रभावित रहे हैं. उनका कथन उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये…काफी प्रेरित करता है. होलीक्रॉस वर्द्धमान कंपाउंड और दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र रहे डॉ देबुका 15 वर्षों से चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज मणिपाल से एमबीबीएस किया है और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. इसके बाद इंग्लैंड में पढ़ाई की और कंसल्टेंट के रूप में सेवाएं भी दी.

जहांगीर के प्रेरणास्रोत हैं स्वामी विवेकानंद

झरिया के जहांगीर आलम बालाजी टेलीफिल्म्स से बतौर एसोसिएट एडिटर के रूप में जुड़े हुए हैं. अभी कलर्स के सीरियल धर्मपत्नी के लिए काम कर रहे हैं. साथ ही नागिन, परिणीति, कुमकुम, कुंडली जैसे धारावाहिकों से भी जुड़े हुए हैं. दिल ही तो है.. वेबसीरीज बेबाकी, देव डबल डी सीजन टू, माेलल्की सीजन वन, ये हैं चाहते, अपनापन जैसे टीवी शो के लिए काम किया है. जहांगीर आलम कहते हैं : मैं बचपन से ही स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से प्रभावित रहा हूं. उनकी निष्ठा और अनुशासन से प्रेरणा मिलती है.

युवाओं में ऊर्जा
बहुत है, सिर्फ उसके सदुपयोग की जरूरत

आज के युवाओं के सामने समस्याएं हैं, लेकिन उन्हें इसके कारण पर विचार जरूर करना चाहिए. पहले ही फल पर विचार नहीं कर लेना चाहिए. आज के युवाओं में ऊर्जा बहुत है. जरूरत है उस ऊर्जा के सदुपयोग की. सरकार को भी चाहिए कि युवाओं की ताकत का सही इस्तेमाल करे. युवाओं को ऐसे काम में लगाया जाये, तो जिससे उनमें भटकाव नहीं आये. आज की पीढ़ी में दृढ़निश्चय की कमी दिखती है. छोटी-छोटी असफलता से हार मान लेते हैं. युवाओं को चाहिए कि जीवन में अच्छा काम करें. राष्ट्र प्रेमी बनें. समाज सेवा करें. ऐसा करने से उनके जीवन में अवश्य सुधार आयेगा. युवा पीढ़ी को स्वामी विवेकानंद से सीख लेनी चाहिए.

ये भी जानिए

1890 में जब स्वामी विवेकानंद हिमालय की यात्रा पर थे, तो उस दौरान उनके साथ स्वामी अखंडानंद भी थे. एक रोज काकड़ीघाट में पीपल के पेड़ के नीचे स्वामी विवेकानंद तपस्या में लीन थे, तभी उन्हें इस जगह ज्ञान की प्राप्ति हुई. वहां से स्वामी विवेकानंद अल्मोड़ा से चलते हुए कुछ दूर करबला कब्रिस्तान के पास पहुंचे, तो भूख और थकान के कारण अचेत होकर गिर पड़े. एक फकीर ने उन्हें खीरा खिलाया, जिससे वह चेतना में लौटे.

जानिए स्वामीजी के खास मूलमंत्र

  • जब तक आप अपने काम में व्यस्त हैं, तब तक काम आसान होता है लेकिन आलसी होने पर कोई भी काम आसान नहीं लगता.

  • पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता और एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान. ध्यान से ही हम इंद्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं.

  • जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है.

  • एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उस काम में डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.

  • ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं. वो हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है.

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