13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शांति के प्रतीक टैगोर हिल के ब्रह्म मंदिर से जुड़ी हैं रवींद्रनाथ टैगोर के भाई ज्योतिरिंद्र की यादें

Jharkhand News: प्राकृतिक सौंदर्य व आदित संस्कृति संरक्षण संस्थान (एसपीटीएन) के अध्यक्ष अजय कुमार जैन ने बताया कि ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर 1884 में पत्नी के निधन के बाद वैरागी हो गये थे. इसके बाद 1902 से 1908 के बीच परिवार में कई लोगों की अकाल मृत्यु हो गयी थी.

Jharkhand News: गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर और उनके भाई ज्योतिरिंद्र नाथ टैगोर की यादें मोरहाबादी के टैगोर हिल से जुड़ी हुई हैं. टैगोर हिल के शीर्ष पर स्थित ब्रह्म मंदिर की नींव 14 जुलाई 1910 में रखी गयी थी. ज्योतिरिंद्र नाथ टैगोर अपने बड़े भाई सत्येंद्रनाथ ठाकुर के साथ रांची आए थे. यहां का परिवेश भा जाने के कारण उन्होंने यहीं रहने का मन बना लिया था. चार मार्च 1925 को शांति धाम परिसर में उन्होंने अंतिम सांस ली थी.

भा गया था यहां का परिवेश

प्राकृतिक सौंदर्य व आदित संस्कृति संरक्षण संस्थान (एसपीटीएन) के अध्यक्ष अजय कुमार जैन ने बताया कि ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर 1884 में पत्नी के निधन के बाद वैरागी हो गये थे. इसके बाद 1902 से 1908 के बीच परिवार में कई लोगों की अकाल मृत्यु हो गयी थी. इससे आहत होकर 1908 में ज्योतिरिंद्र नाथ टैगोर बड़े भाई सत्येंद्रनाथ ठाकुर के साथ रांची पहुंचे थे. यहां का परिवेश उन्हें भा गया था और उन्होंने यहीं रहने का मन बना लिया था.

Also Read: चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद की अपील याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में आंशिक सुनवाई, दिया ये निर्देश
1910 में ब्रह्म मंदिर का निर्माण शुरू

23 अक्तूबर 1908 को ही मोरहाबादी पहाड़ी गांव के जमींदार बाबू हरिहर सिंह से मिलकर 15 एकड़ 80 डिसमिल जमीन पहाड़ी के साथ बंदोबस्त करायी. फिर 1910 में ब्रह्म मंदिर का निर्माण शुरू हुआ़ ब्रह्म मंदिर के साथ-साथ पहाड़ी के परिसर में शांतिधाम का भी निर्माण किया गया था. ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर यहीं रहने लगे. इसका जिक्र 1910 में बांग्ला पत्रिका ‘तत्वबोधिनी’ में भी मिलता है.

Also Read: Jharkhand Weather Forecast: झारखंड में कैसा रहेगा मौसम का मिजाज, क्या है मौसम विभाग का पूर्वानुमान
शांति धाम परिसर में ली अंतिम सांस

अजय जैन ने बताया कि डॉ सरोज बोस, मंजरी चक्रवर्ती और कृष्णा प्रसाद से प्राप्त तथ्यों के आधार पर ब्रह्म मंदिर की नींव रखे जाने के बाद परिसर में संगीत, गोष्ठी, भजन, प्रवचन और कीर्तन होने लगे थे. परिसर में रहते हुए ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर ने 1924 में बाल गंगाधर तिलक की मराठी पुस्तक ‘गीता रहस्य’ का बांग्ला अनुवाद किया था और चार मार्च 1925 को शांति धाम परिसर में अंतिम सांस ली थी.

Also Read: असिस्टेंट टाउन प्लानर नियुक्ति मामले में प्रार्थियों को झटका, हाईकोर्ट ने JPSC की अनुशंसा को ठहराया सही

Posted By : Guru Swarup Mishra

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें