अभिषेक रॉय, रांची :
रांची के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल टैगोर हिल को संवारने व संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया गया है. जिला प्रशासन की देखरेख में जीर्णोद्धार का काम शुरू कर दिया गया है. इसके लिए पर्यटन विभाग ने लगभग चार करोड़ रुपये की योजना को स्वीकृति दी है. कोशिश की जा रही है कि पुराने स्ट्रक्चर में बदलाव किये बिना इसकी मरम्मति की जाये. ताकि, पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बना रहे. पहले चरण में टैगोर हिल की सफाई और चोटी पर स्थित ब्रह्म मंदिर को मूर्त रूप दिया जा रहा है. पर्यटन सचिव मनोज कुमार ने बताया कि मार्च माह में टैगोर हिल के संरक्षण को लेकर 70 लाख रुपये आवंटित किये गये था. इसके बाद विभाग ने स्थल निरीक्षण कर नया डीपीआर तैयार किया. कार्यकारी एजेंसी भवन निर्माण विभाग को बनाया गया है. एक वर्ष में सौंदर्यीकरण का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
ब्रह्म मंदिर के अलावा प्रवेश द्वार व सीढ़ियों की भी मरम्मत की जायेगी. बिजली, पानी और शौचालय की व्यवस्था दुरुस्त की जायेगी. परिसर में स्थित कुसुम ताल, समाधि स्थल व शांति धाम के ऑडिटोरियम को विकसित कर उसमें लाइब्रेरी व आर्ट गैलरी का निर्माण किया जायेगा. पहाड़ पर चढ़ाई के दौरान जगह-जगह लोगों के बैठने की व्यवस्था की जायेगी. लोगों के वाहनों के लिए पार्किंग की भी व्यवस्था की जायेगी.
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इधर, प्राकृतिक सौंदर्य व आदिम संस्कृति संरक्षण संस्थान (एसपीटीएन) की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी थी. संस्था के अजय जैन ने ब्रह्म मंदिर के संरक्षण के साथ-साथ इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की थी. उन्होंने दस्तावेज के आधार पर ब्रह्म मंदिर के 113 वर्ष हो जाने पर इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की अपील की थी. हाइकोर्ट के निर्देश के बाद आर्कियोलाॅजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (रांची सर्किल) ने टैगोर हिल के संबंध में दिल्ली स्थित हेडक्वार्टर को रिपोर्ट भेजी है. तीन माह के भीतर इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने पर विचार किया जायेगा.
पूर्व में वर्ष 2016 में पर्यटन विभाग की ओर से टैगोर हिल का सौंदर्यीकरण किया गया था. इसके तहत सीढ़ियों पर टाइल्स लगाया गया था और बैठने के लिए जगह चिह्नित कर बेंच लगाये गये थे. पीने के पानी और लाइटिंग की भी व्यवस्था की गयी थी.
1908 की शुरुआत में ज्योतिंद्र नाथ टैगोर अपने बड़े भाई सत्येंद्रनाथ ठाकुर के साथ रांची पहुंचे थे. कोलकाता आर्काइव में मौजूद पत्रिका ‘तत्वबोधिनी’ के अनुसार, 1884 में ज्योतिंद्र नाथ टैगोर की पत्नी का निधन हो गया. इसके बाद 1902 से 1908 के बीच परिवार के कई और सदस्य की अकाल मृत्यु हो गयी. इसके बाद से ज्योतिंद्र नाथ टैगोर वैराग्य जीवन जीने लगे थे. रांची पहुंचने पर उन्हें यहां का परिवेश अनुकूल लगा और यहीं के हो गये. 23 अक्तूबर 1908 में मोरहाबादी के पहाड़ी गांव के जमींदार बाबू हरिहर सिंह से कागजी लिखा-पढ़ी कर करीब 15 एकड़ 80 डिसमिल जमीन पहाड़ के साथ 290 रुपये सालाना लगान और कुछ शर्तों के साथ बंदोबस्त करायी.
इसी वर्ष 19 दिसंबर से परिसर में पहले शांति धाम का निर्माण कार्य शुरू कराया. लगभग दो वर्ष तक निर्माण कार्य चला और पहाड़ के शीर्ष पर ब्रह्म मंदिर की स्थापना की गयी. 14 जुलाई 1910 को इसकी प्राण प्रतिष्ठा की गयी. इसके बाद ज्योतिंद्र नाथ टैगोर लगातार आध्यात्म से जुड़े रहे. साथ ही बांग्ला पत्रिकाओं के लिए लेखनी का काम शांति धाम पर रहते हुए जारी रखा. 1924 में बाल गंगाधर तिलक की मराठी पुस्तक ‘गीता रहस्य’ का बांग्ला अनुवाद भी किया. चार मार्च 1925 को शांति धाम परिसर में उन्होंने अंतिम सांस ली.
टैगोर हिल पर भू-माफिया की नजर पड़ गयी थी. उनके द्वारा धड़ल्ले से अतिक्रमण कर अवैध निर्माण शुरू कर दिया गया था. प्रभात खबर में तीन दिसंबर 2022 को प्रमुखता के साथ इससे संबंधित खबर प्रकाशित की गयी. इसके बाद डीसी रांची ने अंचलाधिकारी बड़गाईं को इसकी जांच की जिम्मेदारी दी थी. इसके बाद 14 मार्च को ‘संकट में धरोहर’ शीर्षक से टैगोर हिल की खबर प्रकाशित की गयी थी.