केरल सरकार ने खाने-पीने की 21 चीजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया है. इनमें 16 प्रकार की सब्जियां भी शामिल हैं. केरल सब्जियों का एमएसपी तय करनेवाला पहला राज्य है. यह एक नवंबर से पूरे राज्य में लागू हो जायेगा. केरल में सब्जियों के एमएसपी तय होने से कई अन्य राज्यों के किसानों ने भी इसकी मांग तेज कर दी है.
झारखंड में भी सब्जियों का एमएसपी तय करने का वादा विभिन्न राजनीतिक दलों ने चुनावी घोषणा के दौरान किया था. झारखंड सरकार ने इस पर पहल शुरू कर दी है. कृषि विभाग कमेटी बना रहा है, जो इसका अध्ययन करेगी. कमेटी की अधिसूचना जल्द जारी की जायेगी. कृषि विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में झारखंड में 3562 हजार टन सब्जी उत्पादन का अनुमान लगाया है. इसके लिए 295 हजार हेक्टेयर में खेती होगी.
पूरे देश में जल्दी खराब होनेवाली सब्जियों में केवल प्याज का एमएसपी तय है. इसके अतिरिक्त अन्य सब्जियों का एमएसपी अभी तय नहीं था. केरल सरकार ने केला का समर्थन मूल्य 30 रुपये, अनानास का 15 रुपये तथा टमाटर का समर्थन मूल्य आठ रुपये प्रति किलो तय किया है.
केरल सरकार ने यह भी तय किया है कि वह अपने राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों के उत्पादों की खरीद के लिए एक हजार स्टोर भी खोलेगी. जब किसानों को एमएसपी से कम कीमत मिलेगी, तो किसान ऐसेे स्टोर में सब्जियां बेच सकेंगे.
वहीं, झारखंड सरकार ने सब्जियों के एमएसपी के मुद्दे पर कमेटी बनायी है. यह मध्य प्रदेश के भावांतर (कीमतों में अंतर) योजना का भी अध्ययन करेगी. वहां बाजार भाव और उत्पादन लागत में अंतर होने पर सरकार सब्जी खरीद लेती थी.
यह योजना बहुत सफल नहीं हो पायी है. कमेटी इसके फेल होने का कारण भी जानेगी. अभी भारत सरकार नौ-10 फसलों पर एमएसपी दे रही है. इसके अतिरिक्त वनोत्पाद पर भी समर्थन मूल्य दिया जा रहा है. समर्थन मूल्य भारत सरकार की एजेंसी सीएसीपी तय करती है.
झारखंड में इसे लागू करने से पहले सलाहकार के माध्यम से अध्ययन कराया जायेगा. सलाहकार यह बतायेगा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान सब्जियों का बाजार ट्रेंड क्या रहा है. लागत क्या अाती है. इसके बाद बीएयू व आइसीएआर प्लांडू सहित खाद्य आपूर्ति विभाग के समन्वय के बाद इस पर विचार होगा.
गैर सरकारी संस्था प्रदान भी सब्जियों की एमएसपी तय करने के लिए अभियान चला रही है. संस्था का मानना है कि वर्तमान कृषि नीति से झारखंड जैसे राज्य के किसानों को नुकसान होगा. इसलिए यहां के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए. कृषि राज्य का विषय है.
राज्य सरकार यहां बिल बनाकर सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की दिशा में काम कर सकती है. पंजाब, छत्तीसगढ़ व केरल की तर्ज पर अपना कानून होना चाहिए, जिससे किसानों को सहयोग मिलेे. इस अभियान से कई संस्थाएं जुड़ी हैंं.
सब्जी क्षेत्रफल उत्पादन
टमाटर 170 230
आलू 45 624
पत्तागोभी 22 300
बैंगन 21 216
फूलगोभी 20 220
प्याज 15 264
मटर 15 150
सरकार अगर ऐसा करती है, तो बहुत अच्छा होगा. अभी किसान आलू का बीज 30-40 रुपये किलो खरीद कर लगा रहे हैं. जब आलू तैयार होगा, तो यह तीन-चार रुपये किलो हो जाता है. ऐसे में मुनाफा होना तो दूर, किसानों की पूंजी भी डूब जाती है. एमएसपी तय होने से किसानों को बड़ी राहत मिलेगी.
सुखदेव उरांव, प्रगतिशील किसान
हर साल झारखंड के किसानों को टमाटर, पत्तागोभी, फूल गोभी व अन्य सब्जियों की उचित कीमत नहीं मिल पाती है. लॉकडाउन में भी किसानों को औने-पाने दाम में सब्जी बेचनी पड़ी. इससे बचने के लिए सब्जियों की कीमत तय कर सरकार को सहयोग करना चाहिए.
आनंद कोठारी, अध्यक्ष, झारखंड एग्रो चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज
posted by : sameer oraon