झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा के सदस्य सरहुल पूजा महोत्सव की तैयारी में जुट गये हैं. इस अवसर पर धुर्वा में हुई बैठक में अध्यक्ष मेघा उरांव ने बताया कि पाहनों की अगुवाई में विधि-विधान और पारंपरिक तरीके से हर्षोल्लास के साथ सरहुल मनाया जायेगा. 23 मार्च को उपवास, 24 मार्च को सरहुल पूजा व शोभायात्रा और 25 मार्च को घर-घर फूल खोंसी का कार्यक्रम होगा.
सिर्फ प्रार्थना करने सेनहीं बचेगा समाज का अस्तित्व
उन्होंने कहा कि जनजाति समाज की पहचान उसकी बोली, भाषा, संस्कार, संस्कृति के साथ-साथ रुढ़ि प्रथा, अनुष्ठान और पूजा पद्धति से होती है. सरहुल के अवसर पर तीन या चार रंग के मुर्गे की बलि दी जाती है. इस परंपरा का पालन अवश्य करना चाहिए. केवल प्रार्थना करने से जनजाति समाज का अस्तित्व और पहचान नहीं बचेगी. जो अपनी रुढ़ि, अनुष्ठान परंपरा को छोड़ देगा, वह अपनी पहचान खो देगा.
पुरखौती सफेद झंडा को फिर से करें स्थापित
अपने पुरखौती सफेद झंडा को भी फिर से स्थापित करें. बैठक में लोरया उरांव, लुथरु उरांव, रामप्रकाश टोप्पो, जयमंत्री उरांव, बिरसा भगत, डॉ बुटन महली, मोहन महली, कुमुदिनी लकड़ा, सीमा टोप्पो, मुन्नी देवी, पूजा देवी, लाल मुनी उराव, अंजली खलखो व अन्य शामिल थे.
सरहुल पर्व को लेकर रांची नगर निगम विशेष सफाई अभियान चलायेगा. सभी सरना स्थलों एवं अखाड़ों की विशेष सफाई के लिए उप नगर आयुक्त रजनीश कुमार ने सभी जोनल एवं सुपरवाइजर के साथ बैठक की. बैठक में कहा गया कि सरहुल पर्व के दौरान शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त रहे, इसके लिए जोनल सुपरवाइजर एवं वार्ड सुपरवाइजरों को अपने-अपने वार्ड स्थित सरना स्थल में घास की कटाई कर पर्याप्त डस्टिंग, झाडू, कूड़े का उठाव, ब्लीचिंग एवं चुना का छिड़काव कार्य समय पर पूरा करायें. बैठक में सहायक नगर आयुक्त शीतल कुमारी, नगर प्रबंधक, जोनल सुपरवाइजर, वार्ड सुपरवाइजर व अन्य कर्मी मौजूद थे.