रांची : वर्ष 2021 की जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग सरना धर्म कोड की व्यवस्था करने की मांग पर झारखंड के आदिवासी अड़ गये हैं. अब तक सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं मिलने से नाराज अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद व केंद्रीय सरना समिति ने 6 दिसंबर को रेल-रोड चक्का जाम का एलान किया है.
अपने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए दोनों संगठनों के प्रतिनिधि पूरे झारखंड में घूम-घूमकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. शनिवार (28 नवंबर, 2020) को इनका प्रतिनिधिमंडल जनसंपर्क अभियान चलाने के लिए रामगढ़ पहुंचा. इन लोगों ने रामगढ़ जिला सरना समिति के प्रभारी रामविलास मुंडा के नेतृत्व में कई क्षेत्रों का दौरा किया.
आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने बरकाकाना, बलकुदरा, मदकमा, सीटू आमझरिया, सुथरपुर, तालाटांड़, दड़दाग, हिलातु, पहानबेड़ा व अन्य जगहों पर जनसंपर्क अभियान चलाया. इसमें रामगढ़ जिला के सुथुरपुर सरना समिति के अध्यक्ष सीताराम मुंडा सियासी, बरकाकाना सरना समिति के अध्यक्ष रामा मुंडा, सुदामा बेदिया, तालाटांड़ सरना समिति के अध्यक्ष महावीर मुंडा एवं अन्य से मुलाकात की.
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अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद व केंद्रीय सरना समिति के प्रतिनिधियों ने जिला समितियों के अध्यक्षों एवं प्रतिनिधियों से अपील की कि वे 6 दिसंबर रेल-रोड चक्का जाम आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लें, ताकि आदिवासियों को उनका हक मिल सके. भारत सरकार उन्हें सरना कोड देने के लिए बाध्य हो.
वहीं, केंद्रीय सरना समिति के संरक्षक ललित कच्छप ने कहा कि अभी नहीं, तो कभी नहीं. करो या मरो की तर्ज पर आंदोलन करने की जरूरत है. यदि वर्ष 2021 की जनगणना में आदिवासियों को सरना कोड नहीं मिलता है, तो आदिवासियों की पहचान मिट जायेगी.
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इस अवसर पर केंद्रीय सरना समिति के संजय तिर्की, विनय उरांव, प्रशांत टोप्पो, हजारीबाग सरना समिति के अध्यक्ष महेंद्र बेक, रामगढ़ जिला सरना समिति के रामा मुंडा, महेंद्र श्रीवास्तव, मुंडा रामविलास मुंडा, पंचम करमाली, सुनील मुंडा, अशोक उरांव, सुभाष उरांव, विमल मुंडा, रामप्रसाद मुंडा, विनोद मुंडा, मुकेश मुंडा एवं अन्य मौजूद थे.
Posted By : Mithilesh Jha