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श्रद्धांजलि सभा: सुभाष मुंडा की प्रतिमा का अनावरण कर बोलीं CPM नेता वृंदा करात, हत्याकांड की जल्द सुलझे गुत्थी

सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने कहा कि सुभाष मुंडा इस क्षेत्र में जमीन माफियाओं द्वारा आदिवासियों की जमीन हड़पे जाने के खिलाफ एक बड़ी बाधा थे. इसलिए ही वे उनकी आंखों में खटक रहे थे और इस बाधा को हटाने के लिए ही उनकी हत्या कर दी गयी. उन्होंने हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने की मांग की.

रांची: दलादिली चौक (अब सुभाष मुंडा चौक) पर सुभाष मुंडा की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि व संकल्प सभा में बड़ी संख्या में लोग जुटे और लोगों ने उनके सपनों को पूरा किए जाने का संकल्प लिया. सभा की अध्यक्षता सीपीएम के राज्य कमेटी सदस्य सुरेश मुंडा ने की एवं संचालन रांची जिला सचिव सुखनाथ लोहरा ने किया. सभा को संबोधित करते हुए सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने कहा कि यह घटना उनके लिए स्तब्ध कर देने वाली है. 34 वर्ष का नौजवान काफी कम समय में इलाके का हरदिल अजीज बन गया क्योंकि वह इस क्षेत्र के आदिवासियों और अन्य गरीबों के हर सुख-दुख में तत्परता से खड़ा रहता था. उन्होंने हत्याकांड की गुत्थी जल्द से जल्द सुलझाने की मांग की.

हत्याकांड की गुत्थी जल्द से जल्द सुलझाने की मांग

सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने कहा कि सुभाष मुंडा इस क्षेत्र में जमीन माफियाओं द्वारा आदिवासियों की जमीन हड़पे जाने के खिलाफ एक बड़ी बाधा थे. इसलिए ही वे उनकी आंखों में खटक रहे थे और इस बाधा को हटाने के लिए ही उनकी हत्या कर दी गयी. उन्होंने पुलिस से जल्द से जल्द सुभाष मुंडा के हत्यारों को गिरफ्तार कर इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने की मांग की. वृंदा करात ने इस हत्याकांड पर मुख्यमंत्री द्वारा कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं किए जाने पर खेद प्रकट किया.

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बेकार नहीं जाएगी सुभाष की शहादत

सभा को संबोधित करते हुए सीपीएम के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि सुभाष की शहादत को बेकार नहीं होने दिया जाएगा. आने वाले दिनों में आदिवासियों और दूसरे गरीबों की हड़पी हुयी जमीन की वापसी के लिए एक बड़ा संघर्ष छेड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि सुभाष मुंडा कम्युनिस्ट आंदोलन में शामिल तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते थे. उनके दादा सुकरा मुंडा भूतपूर्व सैनिक थे तथा पचास के दशक में इस क्षेत्र में अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में जमीन को बचाने की लड़ाई लड़ी थी. सभा की शुरुआत में ही पार्टी के जिला सचिव सुखनाथ लोहरा ने शोक प्रस्ताव पेश किया. इसके बाद 2 मिनट मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी.

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इन्होंने दी श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि सभा को विभिन्न राजनीतिक पार्टियों, बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों और जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया. इनमें सीपीआई के पूर्व राज्य सचिव केडी सिंह, भाकपा(माले) के केंद्रीय कमेटी सदस्य सुभेंदु सेन, आरएसपी के राज्य सचिव गणेश दीवान, झामुमो के जिलाध्यक्ष मुश्ताक आलम, कांग्रेस नेता पूर्व महापौर अजयनाथ शाहदेव, आप प्रवक्ता यास्मीन लाल, पद्मश्री मधु मंसूरी, सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, आदिवासी जनपरिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की कुंदरसी मुंडा, आदिवासी सेना के सचिव राजेश लिंडा, झारखंड ट्राइबल एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष मनसा राम लोहरा, रांची जिला परिषद की अध्यक्ष निर्मला भगत, नगड़ी प्रमुख मधुआ कच्छप, बगाईचा के फादर टोनी और फादर टॉम, बौद्ध समाज के जैनेंद्र कुमार भंते, शहीद शेख भिखारी की परपोती शेख इंतेशाम अली, एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष मो. शाकिर, सीटू झारखंड के कार्यकारी अध्यक्ष भवन सिंह, एडवा की राज्य सचिव वीना लिंडा, राजी पड़हा प्रार्थना सभा के मगही उरांव, सिलागाई के पूर्व मुखिया बुधराम उरांव, सामाजिक कार्यकर्ता ज्ञानी उरांव, पार्षद झरी लिंडा, रिटायर्ड डीएसपी जयगोविंद सिंह, राजी पहड़ा मुड़मा जगराम उरांव, सुमन मिश्रा, मनीष कुमार सिंह, रजनीश उरांव, मंगलेश्वर टाना भगत, रातु प्रमुख संगीता देवी, नीमा तिर्की, सुभाष मुंडा की छोटी माता भीखन देवी, माता छोटन देवी, पिता ललित मुंडा, पत्नी कीर्ति सिंह मुंडा, भाई उमेश मुंडा, अमित मुंडा आदि ने शहीद को भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

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लाल झंडे को कमजोर करने की साजिश

पिछले दिनों सीपीएम के पोलित ब्यूरो सदस्य व पूर्व सांसद डॉ रामचंद्र डोम ने सुभाष मुंडा हत्याकांड के हर पहलू की जांच कराए जाने और दोषियों को समय सीमा के अंदर गिरफ्तार कर उन्हें सजा दिलाए जाने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि ये लाल झंडे को कमजोर करने की गहरी साजिश है. वे पार्टी के राज्य कार्यालय में प्रेस को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा था कि सुभाष मुंडा दलादली इलाके में कम्युनिस्ट आंदोलन की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते थे. उनके दादा शुक्रा मुंडा एक भूतपूर्व सैनिक थे और युद्ध में उन्होंने अपना एक पैर गंवाया था. सेना से रिटायर होने के बाद वे कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ गए थे. इस इलाके में आदिवासियों और दूसरे गरीबों के शोषण के खिलाफ हमेशा संघर्ष करते रहते थे. उन्हीं से प्रेरणा लेकर रांची के पंचपरगना क्षेत्र में गरीबों और आदिवासियों की भूमि हड़पने वाले महाजनों के खिलाफ 70 और 80 के दशक में ऐतिहासिक संघर्ष चला था. झारखंड बनने ठीक तीन महीने पहले दलादली का चाय बागान, जो आदिवासियों की जमीन थी और आजादी के बाद अंग्रेजों ने इस जमीन को अवैध तरीके से स्थानीय भूस्वामियों के हवाले कर दिया था. इसे बचाने की लड़ाई शुक्रा मुंडा के नेतृत्व में लड़ी गयी थी. इस दौरान जमींदारों द्वारा की गई फायरिंग में तीन आदिवासियों की मौत हुई थी. हालांकि आक्रोशित आदिवासियों द्वारा आत्मरक्षार्थ तीर-धनुष का इस्तेमाल किए जाने से जमींदार की भी मौत हो गयी थी. आपको बता दें कि पिछले दिनों सीपीएम के युवा नेता सुभाष मुंडा की दलादिली चौक स्थित उनके ऑफिस में हत्या कर दी गयी थी. पुलिस मामले की जांच में जुटी है.

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