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ईडी की जांच में फंसे विशाल चौधरी की संस्था को मिली बड़ी जिम्मेदारी, युवाओं के लिए करेगी ये काम

सूचीबद्ध की गयी संस्थाओं में विशाल चौधरी की संस्था ‘फ्रंट लाइन ग्लोबल सर्विसेज चैरिटेबल ट्रस्ट’ का नाम भी शामिल है. इडी के चंगुल में फंसा विशाल चौधरी इस ट्रस्ट का अध्यक्ष है. उसकी पत्नी श्वेता सिंह चौधरी संस्था की सचिव है

शकील अख्तर, रांची :

झारखंड स्किल डेवलपमेंट मिशन सोसाइटी (जेएसडीएमएस) ने इडी के चंगुल में फंसे विशाल चौधरी की संस्था को प्रशिक्षण देने का काम देने का फैसला किया है, जबकि इडी की ओर से सितंबर में ही आइएएस अधिकारी राजीव अरुण एक्का प्रकरण में विशाल चौधरी की भूमिका की विस्तृत जानकारी दी जा चुकी है. इसमें स्किल डेवलपमेंट का काम लेने के लिए मंत्री को 12 लाख रुपये देने और जेएसडीएमएस में भी 10 लाख रुपये बांटे जाने का उल्लेख किया गया था.

जेएसडीएमएस ने ‘सक्षम झारखंड कौशल विकास योजना’ के तहत युवाओं को प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से संस्थाओं को सूचीबद्ध करने के लिए निविदा प्रकाशित की थी. प्रक्रिया पूरी करने के बाद सोसाइटी ने अक्तूबर 2023 में 109 सफल संस्थाओं की सूची जारी कर दी. सूचीबद्ध की गयी संस्थाओं में विशाल चौधरी की संस्था ‘फ्रंट लाइन ग्लोबल सर्विसेज चैरिटेबल ट्रस्ट’ का नाम भी शामिल है. इडी के चंगुल में फंसा विशाल चौधरी इस ट्रस्ट का अध्यक्ष है. उसकी पत्नी श्वेता सिंह चौधरी संस्था की सचिव है, जबकि निलोफर आरा और विशाल चौधरी के पिता त्रिवेणी चौधरी इस ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं.

इन संस्थाओं को ‘सक्षम झारखंड कौशल विकास योजना’ के तहत 18-35 साल के युवाओं को पांच साल के लिए प्रशिक्षण का काम दिया जा सकेगा. हालांकि कार्यादेश एक-एक साल के लिए ही दिया जायेगा. पहले वर्ष की सफलता के मूल्यांकन के बाद दूसरे साल के लिए कार्यादेश दिया जायेगा. सोसाइटी अपनी आवश्यकता के अनुरूप सूचीबद्ध संस्थाओं को अलग-अलग जिलों में प्रशिक्षण का काम देगी.

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मनपसंद संस्थाओं के चयन के लिए रखीं लचीली शर्तें

‘सक्षम झारखंड कौशल विकास योजना’ में सूचीबद्ध होने के लिए शर्तें निर्धारित की गयी थीं. इन शर्तों के अनुसार, संस्थाओं के पास राज्य के पांच जिलों (रांची, धनबाद, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम व हजारीबाग) में 10-10 हजार वर्ग फीट और बाकी जिलों में पांच-पांच हजार वर्ग फीट के ट्रेनिंग सेंटर होने चाहिए.

टेंडर में शामिल संस्थाओं में से योग्य संस्थाओं को चुनने के लिए 100 अंक देने का प्रावधान था. इसमें कानूनी दस्तावेज के लिए 20, टेक्निकल पेपर के लिए 25, वित्तीय स्थिति के लिए 20, टेक्निकल प्रेजेंटेशन के लिए 25 व स्किल डेवलपमेंट सेंटर के लिए 10 अंक देने का प्रावधान था. टेक्निकल पेपर व प्रेजेंटेशन में 50 अंकों का प्रावधान किया गया था, ताकि मनपसंद संस्थाओं को अधिक नंबर देकर उन्हें भी चुना जा सके.

टेंडर के बीच में ही सचिव से शिकायत

टेंडर प्रक्रिया के बीच ही विभागीय सचिव से संस्थाओं के चयन में पैसों के लेन-देन के आधार पर गड़बड़ी करने की शिकायत की गयी थी. सचिव को भेजे गये शिकायती पत्र के साथ 14 संस्थाओं की सूची भी भेजी गयी थी. साथ ही यह आरोप भी लगाया गया था कि इन संस्थाओं चुनाव गलत तरीके से करने की पृष्ठभूमि तैयार कर ली गयी है. जेएसडीएमएस द्वारा जारी चयनित संस्थाओं की सूची में शिकायती पत्र में शामिल संस्थाओं के नाम भी शामिल हैं.

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