Weather Forecast Jharkhand : रांची : मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक 23 दिसंबर तक आसमान पूरी तरह से साफ रहेगा. पश्चिम की ओर से चलनेवाली हवा की रफ्तार चार से पांच किमी प्रति घंटे होने के कारण ठंड का अनुभव होगा. मंगलवार को न्यूनतम तापमान में थोड़ी वृद्धि होने की संभावना है. वहीं 24 दिसंबर से आसमान में हल्का बादल छाये रहने की संभावना है. इससे तापमान में उतार-चढ़ाव होगा. इस कारण क्रिसमस के मौके पर भी कनकनी बनी रहने की संभावना है.
न्यूनतम तापमान
मैकलुस्कीगंज 2.0
डालटनगंज 6.1
बोकारो 6.2
जमशेदपुर 7.6
रांची 7.2
चाईबासा 7.0
रांची का न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. रांची का न्यूनतम तापमान फिर से गिरा है. सोमवार को रांची का न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. रविवार को न्यूनतम तापमान 7.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था. दूसरी ओर कांके का न्यूनतम तापमान चढ़ा है. सोमवार को कांके का न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि रविवार को न्यूनतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था.
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रांची शहरी क्षेत्र और कांके के तापमान में अंतर बढ़ा है. पिछले वर्ष से यह अंतर कभी-कभी चार से पांच डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जब ठंडक की तीव्रता अधिक होती है, तो अंतर में बढ़ोतरी होती है. डॉ वदूद कहते हैं कि कांके शहर नहीं है और न ही पूरी तरह गांव है, लेकिन यह गांव का प्रतिनिधित्व करता है.
दूरदराज के गांवों में वेधशाला रहती, तो संभव है कि वहां के भी मौसमी आंकड़े रिकॉर्ड होते और कांके की तरह ही तापमान रहता या फिर इससे भी कम मिलता. कांके में बिरसा कृषि विवि मुख्यालय स्थित मौसम विभाग में वेधशाला है, जिससे इस क्षेत्र का तापमान रिकॉर्ड होता है. डॉ वदूद बताते हैं कि आम धारणा है कि कांके से कर्क रेखा गुजरी है, इसलिए उक्त इलाके में ठंड ज्यादा है, जबकि यह धारणा सही नहीं है. यह सही है कि सूर्य की सापेक्ष उपस्थिति उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा तक होती है, लेकिन तापमान के उतार-चढ़ाव में कर्क रेखा ही एकमात्र कारण नहीं है.
शहर की तुलना में ग्रामीण इलाके में न्यूनतम तापमान अक्सर कम ही रहता है. ग्रामीण क्षेत्र में कम प्रदूषण, खुली जगह और निर्बाध रूप से हवा की गति इसके प्रमुख कारण हैं. वहीं, शहर में ट्रैफिक, ईंधन की खपत, जेनरेटर, बिजली आदि से प्रदूषण फैल रहा है. बड़ी-बड़ी बिल्डिंग हवा की गति में अवरोध पैदा कर रही हैं और यह तापमान में उतार-चढ़ाव के लिए काफी हैं. बिरसा कृषि विवि मौसम विभाग के अध्यक्ष डॉ अब्दुल वदूद कहते हैं कि मौसम परिवर्तन के कारण झारखंड में गर्मी का मौसम ज्यादा गरम और जाड़े का मौसम अधिक ठंडा हो गया है, जिससे रहन-सहन और खेती खलिहानी प्रभावित हो रहे हैं.
बीएयू के मौसम विभाग ने पाया है कि गांवों के क्षेत्र में जहां खेती होती है, वहां का न्यूनतम तापमान दिसंबर से जनवरी माह के दौरान पांच डिग्री सेल्सियस 25 से 29 दिन (लगातार नहीं) रहता है. न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस से कम रहने पर किसान शाम के समय अपने-अपने खेतों के मेढ़ पर जगह-जगह घास-फूस जला कर धुआं कर दें. जरूरत नहीं होने पर भी पौधों में सिंचाई कर दें. इससे खेतों में पौधों के लिए तापमान में दो से तीन डिग्री की बढ़ोतरी हो जाती है. इससे फसल पाला से बच जाता.
Posted By : Guru Swarup Mishra