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विधायक बंधु तिर्की ने झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल 2020 को क्यों कहा ‘काला कानून’

विधानसभा के मानसून सत्र में सदन में पेश किये जाने से पहले ही झारखंड सरकार के ‘लैंड म्यूटेशन बिल 2020’ का विरोध शुरू हो गया है. विरोधी तो विरोधी, सरकार के सहयोगी ही इसका घोर विरोध कर रहे हैं. सरकार को समर्थन देने वाले विधायक इसे काला कानून बता रहे हैं. राज्य के वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता डॉ रामेश्वर उरांव ने भी कहा है कि इस पर विचार किया जाना चाहिए. इसलिए यह जानना जरूरी है कि यह बिल है क्या और इसका विरोध क्यों हो रहा है.

रांची : विधानसभा के मानसून सत्र में सदन में पेश किये जाने से पहले ही झारखंड सरकार के ‘लैंड म्यूटेशन बिल 2020’ का विरोध शुरू हो गया है. विरोधी तो विरोधी, सरकार के सहयोगी ही इसका घोर विरोध कर रहे हैं. सरकार को समर्थन देने वाले विधायक इसे काला कानून बता रहे हैं. राज्य के वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता डॉ रामेश्वर उरांव ने भी कहा है कि इस पर विचार किया जाना चाहिए. इसलिए यह जानना जरूरी है कि यह बिल है क्या और इसका विरोध क्यों हो रहा है.

दरअसल, झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट ने पिछले दिनों ‘झारखंड लैंड म्यूटेशन एक्ट-2020’ के लिए तैयार बिल को मंजूरी दे दी. विधानसभा के मानसून सत्र में इस बिल को पेश करके कानून का रूप देना है. इस बिल में एक प्रावधान है, जिसमें कहा गया है कि राज्य में अब अंचल अधिकारी (सीओ) समेत राजस्व से जुड़े अन्य किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकेगी. किसी गलती के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकेगा.

बिल के इस प्रावधान का जबर्दस्त विरोध शुरू हो गया है. झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के भाजपा में विलय के निर्णय से नाराज होकर कांग्रेस में शामिल होने वाले मांडर के विधायक बंधु तिर्की ने इसे काला कानून करार दिया है. उन्होंने कहा, ‘लैंड म्यूटेशन बिल काला कानून है़ यह गरीबों रैयतों के अधिकारों का हनन करेगा़ इसके जनविरोधी प्रावधान को हटाना होगा. विधानसभा में यह बिल आया, तो निश्चित रूप से विरोध करेंगे़ किसी कीमत पर ऐसे कानून को पारित नहीं होने देंगे.’

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हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार में वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, ‘राज्य भर में इस बिल का विरोध हो रहा है़ इसे देखने की जरूरत है़ पार्टी विधायकों से इस मुद्दे पर चर्चा होगी़ पार्टी लाइन पर भी सोचना होगा.’ निर्दलीय विधायक सरयू ने भी खुलकर अपनी राय नहीं जाहिर की. कहा, ‘यह सदन का मामला है़ बिल सदन में आने और उसके अध्ययन के बाद ही इस विचार दिया जाना सही होगा़ बिल में कोई प्रावधान जन विरोधी या अनुकूल नहीं है, तो उसमें संशोधन लाने का प्रावधान है.’

वहीं, भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने कहा, ‘आम आदमी के अधिकार का हनन करने वाले प्रावधान को हटा दिया जाना चाहिए़ जिस तरह की चर्चा इस बिल को लेकर है, तो नि:संदेह वह प्रावधान जनविरोधी है़ बिल अभी देखा नहीं है़, लेकिन कोई भी इस तरह का मसला आयेगा, तो विरोध होगा.’ मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसका विरोध करने का एलान कर दिया है. 18 सितंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र के शुरू होने से पहले ही इस बिल पर हंगामा मच गया है.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि ऐसा ही एक बिल वर्ष 2019 में भी पास कराने की कोशिश की गयी थी, लेकिन उसे तब की कैबिनेट ने अस्वीकार कर दिया था. ‘झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल 2020 में जो प्रावधान किया गया है, उसे वर्ष 2019 में ‘रेवेन्यू प्रोटेक्शन एक्ट’ के रूप में पारित कराने का प्रयास हुआ था. राजस्व अधिकारियों की सुरक्षा के नाम पर तैयार उक्त एक्ट को कैबिनेट में दो बार पेश किया गया, लेकिन दोनों बार इसे नामंजूर कर दिया गया. तर्क दिया गया था कि इससे आम आदमी के अधिकारों का हनन होता है.

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क्या हैं प्रावधान और क्यों हो रहा विरोध

  • झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने जो झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल-2020 तैयार किया है, उसके मुताबिक, अब किसी राजस्व अधिकारी को उसकी गलती के लिए दंडित नहीं किया जा सकेगा. यहां तक कि उसके खिलाफ लोगों को शिकायत का भी अधिकार नहीं होगा. एक्ट की धारा-22 के प्रावधान के तहत अब अंचलाधिकारी व अन्य राजस्व अधिकारी के द्वारा जमीन से संबंधित मामलों के निबटारे के दौरान किये गये किसी काम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है. इसी प्रावधान का विरोध हो रहा है.

  • ‘झारखंड लैंड म्यूटेशन एक्ट-2020’ और ‘बिहार लैंड म्यूटेशन एक्ट-2011’ में म्यूटेशन, जमाबंदी रद्द करने और खाता पुस्तिका से संबंधित किये गये प्रावधान आदि एक समान है. बिहार के कानून में जमीन के मामले में किसी तरह की गड़बड़ी होने की स्थिति में आम नागरिक को सीओ सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने या न्यायालय जाने का अधिकार है. झारखंड सरकार के कानून में लोगों को यह अधिकार नहीं होगा.

  • झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल-2020 में बिहार के सभी प्रावधानों के अलावा एक अतिरिक्त प्रावधान जोड़ा गया है, जो आम आदमी के अधिकार को समाप्त करता है. एक्ट की धारा-22 के प्रावधान के तहत अब अंचलाधिकारी व अन्य राजस्व अधिकारी के द्वारा जमीन से संबंधित मामलों के निबटारे के दौरान किये गये किसी काम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है.

  • बिल में प्रावधान किया गया है कि किसी भी कोर्ट में इन अधिकारियों के खिलाफ किसी तरह का सिविल या क्रिमिनल केस दर्ज नहीं कराया जा सकेगा. अगर किसी कोर्ट में किसी भी अधिकारी के खिलाफ जमीन से संबंधित सिविल या क्रिमिनल केस चल रहा हो, तो उसे समाप्त कर दिया जायेगा.

Posted By : Mithilesh Jha

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