राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (National Urban Livelihoods Mission) शहरी बेघर लोग शहरों की अर्थव्यवस्था में सहयोग करते है और इस तरह से अनौपचारिक क्षेत्र में वे सस्ते श्रम के जरिए देश की अर्थव्यवस्था में भी सहयोग करते है, फिर भी वे बिना किसी आश्रय या सामाजिक सुरक्षा के ही जीवनयापन करते हैं. शहरी बेघर लोगो के सामने बहुत सी चुनौतियां रहती है. उन्हें कोई भी सार्वजनिक सेवाएं जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा, खान-पान, स्वच्छ जल और साफ-सफाई की सुविधाएं नहीं मिल पाती है. ऐसे में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) का उदेश शहरी बेघरो के लिए आशय योजना के तहत स्थायी आश्रय प्रदान करना है, जिसमें उनके लिए सभी मूलभूत सुविधाएं हो.
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के संघटक के तहत शहरी बेघरों के लिए शेल्टर प्रदान करने का उदेश है-
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शहरी बेघरों को स्थायी आश्रय प्रदान करना जिसमें आधारभूत संरचना, जलापूर्ति, सफाई, सुरक्षा और संरक्षा मौजूद हो.
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शहरी बेघरों मे सबसे कमजोर लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखना जैसे- दूसरे लोगों पर आश्रित बच्चे, बुजुर्ग, अपंग, मानिसक रूप से कमजोर और गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए आश्रयों में एक खास हिसा बनाकर उनके लिए विशेष तरह की सुविधा का प्रावधान किया जा सके.
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बेघरों के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधाएं जैसे- सामाजिक सुरक्षा पेंशन, पीडीएस, आइसीडीएस, पहचान, वित्तीय समावेशन, शिक्षा और वहन करने योग घर प्रदान करना.
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राज्य और सिविल समाज संगठन जिसमें सामूहिक संगठन शामिल हो, उनके द्वारा बेघर लोगों के लिए विकास, प्रबंधन और आश्रय की निगरानी और बेघरों के लिए सेवाएं उपलब्ध कराने का स्वरूप और संरचना तैयार करना.
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शहरी बेघरों के लिए आश्रय सभी मौसम के लिए स्थायी होना चाहिए. हर एक लाख की शहरी जनसंख्या के लिए कम से कम सौ बेघरों के लिए साई तौर पर सामुदायिक आश्रयों का प्रावधान किया जाना चाहिए. हर आश्रय में 50-100 लोगों की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाना चाहिए.
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इस योजना में सबसे कमजोर समूह की बेघर जनसंखा की आवशकताओं को ध्यान में रखकर किया जाएगा. जैसे- अकेली महिला और उसके नाबालिग बच्चे, बुजुर्ग, अपंग, मानसिक रूप से कमजोर आदि वास्तविक बंटवारा स्तानीय परिस्तियों, शहर के आकार और उसमें कुल कतने आश्रय है, इसपर निर्भर करेगा.
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पुरुषो के लिए आश्रय: चूंकि बेघर पुरुषों का अनुपात अधिक है तो उनके लिए अलग से आश्रय का निर्माण किया जाना चाहिए. इसमें जो अकेले काम करने वाले उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए.
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महिलाओं के लिए आश्रय: विशेष रूप से महिलाओं के उपयोग के लिए आश्रय जिसके लिए स्थिति, डिजाइन, सेवा और सहयोग सिस्टम डिजाइन किया जा सकता है. जिससे उनकी और उनके बच्चों की जरुरतें पूरी की जा सके.
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विशेष आश्रय: विशेष तबके के लोगों जैसे- बूढ़ा व्यक्ति जिसका कोई सेवा करने वाला नहीं हो, मानिसक रूप से बीमार व्यक्ति, गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति और उनके परिवार के लोगों की जरुरतों को धान में रखते हए विशेष आश्रय प्रदान किया जाना चाहिए.
आश्रय स्थायी होंगे, जो पूरे साल भर चलते रहेंगे, और चौबीसो घंटे खुले रहेगे, क्योंकि बहुत से बेघर लोग रात की पाली में भी काम पर जाते हैं. उन्नत तरीके से जीवन यापन करने के लिए निम्न प्रकार की सुख सुविधाएं प्रदान की जाएंगी-
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पूरी तरह से हवादार कमरें
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पानी की व्वयस्था और साफ-सफाई
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नहाने के लिए प्रयाप्त व्यवस्था और प्रसाधन की सुविधाएं
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आश्रय के लिए उचित प्रकाश की व्यवस्था
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प्राथमिक उपचार की कीट
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कीट नियंत्रयण
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कंबलों, गद्दों और चद्दरों की नियमित सफाई
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उभयनिष्ट रसोई जैसे खाना पकाने के लिए जगह, बर्तन और गैस कन्क्शन आदि
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आश्रय के नजदिक आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की देखभाल करने की सुविधा
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पहचान प्रमाण पत्र और पत्र व्यवहार का पता, मतदाता पहचान पत्र
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वृद्धावस्था, विधवा और अपंगता पेशन
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बीपीएल काड्स, पीडीएस राशन काड्स
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बैक या पोस्ट ऑफिस खाता
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आईसीडीएस सेवाएं
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
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स्वास्थ्य की देखभाल के लिए सरकारी अस्पतालों में दाखिला
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मुफ्त कानूनी सहायता
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बेघर व्यक्तियों का समूह
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युवा और महिलाओं के समुदाय पर आधारित समूह
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विश्वविद्यालय और संस्थान
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नेहर युवा केंद्र
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मजदूरों का असंगिठत व्यापार संघ
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स्वयं सहायता समूह और कमेटियां जिनकी राज्य सरकार से मान्यता हो
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नागिरक कलाण संघ
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सावरजिनक/निजी क्षेत्र की कंपिनयां या संघ
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आश्रयों के निर्माण की 75 प्रतिशत लागत भारत सरकार वहन करेगी और 25 प्रतिशत राज्य का सहयोग होगा. विशेष वर्ग के राज्यों (अरणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिकिम, तिपुरा, जम्मू और काश्मीर, हिमाचल प्रदेश के लिए यह 90:10 होगा.
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स्वीकृत प्रोजेकटस के लिए, एसयूएलएम किस्तों में यूएलबी के लिए फंडस जारी करेगा. जो निर्माण या नवीनीकरण की स्थिति पर निर्भर करेगा. यूएलबी 40 प्रतिशत, 40 प्रतिशत और 20 प प्रतिशत की तीन किस्तें जारी करेगा.
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प्रत्येक आश्रय के लिए पहले पांच साल के लिए परिचालन व प्रबंधन की लागत का 75 प्रतिशत या 90 प्रतिशत केंद्र सरकार प्रदान करेगी, जिस तरह की जरूरत होगी. पचास बेघरों के एक आश्रय के परिचालन व प्रबंधन के लिए छह लाख रुपये की धनरािश का प्रावधान है.