TATA Steel Jharkhand Literary Meet: जाने-माने कवि, पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने कहा है कि हम आदिवासियों को क्या सिखायेंगे. आदिवासियों से हमें बहुत कुछ सीखना चाहिए. प्रकृति का संरक्षण, अपनी संस्कृति से जुड़े रहना हमें उनसे सीखना चाहिए. आज दुनिया भर में विकास के नाम पर एकड़ के एकड़ जंगल काटे जा रहे हैं. आदिवासी जहां भी हैं, वहां प्रकृति का संरक्षण कर रहे हैं.
रांची के ऑड्रे हाउस में हुआ टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट का आगाज
जावेद अख्तर ने शनिवार को ये बातें टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट में कहीं. झारखंड की राजधानी रांची के ऑड्रे हाउस में आयोजित दो दिवसीय इस लिटरेरी मीट का उद्घाटन करने के बाद जावेद अख्तर दर्शकों के सवालों का जवाब दे रहे थे. इस दौरान एक महिला ने दो आदिवासी बच्चों को कुछ सीख देने का निवेदन जावेद अख्तर से किया.
जीवन मूल्यों के बारे में हमें आदिवासियों से सीखना चाहिए
इस पर जावेद अख्तर ने कहा कि हम उन्हें क्या सिखायेंगे. ज्यादा से ज्यादा गाईडलाइन दे देंगे. एक आई-पैड दे देंगे. एक मोबाइल फोन दे देंगे. जीवन मूल्यों के बारे में हमें उनसे सीखना चाहिए. प्रकृति के प्रति उनके मन में जो श्रद्धा है, प्रकृति के लिए उनके मन में जो समर्पण है, उससे हमें सीखना चाहिए. आदिवासियों ने प्रकृति के संरक्षण में बड़ा योगदान दिया है. वे जहां भी रहते हैं, प्रकृति के बीच रहते हैं और उसका संरक्षण करते हैं.
दुनिया में हर मिनट कट जाते हैं कई एकड़ जंगल
जावेद अख्तर ने कहा कि हम बातें तो करते हैं, लेकिन दुनिया में हर मिनट एकड़ के एकड़ जंगल कट जाते हैं. हम पूरी दुनिया में आदिवासियों की जिंदगी को बर्बाद कर रहे हैं. उनके समाज में जो समानता है, उसकी बराबरी हम नहीं कर सकते. वह लैटिन अमेरिका का आदिवासी हो या भारत के किसी कोने का आदिवासी. आदिवासी समाज में महिलाएं जितनी सशक्त हैं, किसी विकसित कौम की महिला नहीं है.