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अब WhatsApp बन रहा स्कूल डायरी, कोरोना काल के बाद तेजी से बदला यह कांसेप्ट

स्कूल डायरी स्कूली जीवन की अहम कड़ी है. लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव आने लगा है. खासकर कोरोना काल में जब बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन होने लगी, तो व्हाट्सएप ग्रुप ने स्कूल डायरी का स्थान ले लिया.

डिजिटल होती इस दुनिया में बहुत कुछ तेजी से बदल रहा है. इसी बदलाव में शामिल हो रही है स्कूल डायरी. स्कूल डायरी बच्चों की गतिविधियों को बयां करती है. शिक्षक ने नियमित होमवर्क दिया या नहीं और अभिभावकों की ओर से कोई फीडबैक है या नहीं, इसकी जानकारी डायरी से ही मिल पाती है. स्कूल डायरी स्कूली जीवन की अहम कड़ी है. लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव आने लगा है. खासकर कोरोना काल में जब बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन होने लगी, तो व्हाट्सएप ग्रुप ने स्कूल डायरी का स्थान ले लिया.

आज जब स्थिति सामान्य है, तब भी खास बदलाव नहीं दिख रहा है. बच्चों के बैग में डायरी तो है, लेकिन अधिकतर सूचनाएं व्हाट्सएप पर ही मिल रही हैं. कई अभिभावक इसे स्कूल के साथ डायरेक्ट कनेक्शन मानते हैं. जबकि, कई अभिभावकों का कहना है कि मोबाइल में आने वाले मैसेज पर अक्सर ध्यान नहीं जाता. इससे समय पर मिलने वाली जानकारियां देर से मिलती हैं. नोटिफिकेशन के तौर पर मिलने वाली सूचना अक्सर जल्दबाजी का सबब बनती है.

इंटरनेट के जमाने में स्कूल डायरी ज्यादा प्रभावी नहीं

चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ वरुण मेहता ने कहा कि इंटरनेट के जमाने में स्कूल डायरी अब उतनी प्रभावी नहीं रही. अभिभावक बच्चों की स्कूल डायरी को देखना भूल रहे हैं. वहीं मोबाइल नोटिफिकेशन उन्हें अलर्ट कर रहा है. इसके अलावा पहले की तुलना में अभिभावक भी शिक्षकों के सीधे संपर्क में आ गये हैं. इस कारण डायरी का प्रचलन कम होता जा रहा है. उनका कहना है कि सभी बच्चे एक समान नहीं होते. कई बच्चे अभिभावकों से स्कूल की गतिविधियां छिपाते हैं, जो गलत है. यही कारण है कि डायरी में लिखे संदेश भी अभिभावक तक नहीं पहुंच पाते थे. अब शिक्षकों के पास सभी अभिभावकों का फोन नंबर रहता है, जिस कारण बच्चों की गतिविधि की सीधी जानकारी साझा हो रही है. अभिभावक भी बच्चों की पढ़ाई और स्कूल एक्टिविटी से जुड़ने लगे हैं.

स्कूलों में बदल रहा डायरी कल्चर

सीबीएसइ के पूर्व समन्वयक डॉ मनोहर लाल ने कहा कि स्कूलों में डायरी कल्चर अब बदल रहा है. हालांकि आज भी स्कूल की ओर से डायरी दी जा रही है. स्कूल डायरी बच्चों को अनुशासित जीवन से जोड़ने में अहम भूमिका निभाती है. प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों की डायरी में क्लास और होम वर्क लिखे जाते हैं, ताकि घर में बच्चे रुटीन पढ़ाई कर सकें. इससे अभिभावक भी स्कूल की गतिविधियों से जुड़ते हैं. बच्चा कितने दिन स्कूल में उपस्थित रहा इसका आंकलन आसान हो जाता है. अभिभावकों को स्कूल डायरी के जरिये ही पूरे सत्र के दौरान स्कूल की छुट्टियां की जानकारी दी जाती है. डायरी को सटीक रिकॉर्ड का माध्यम माना गया है. इसमें लिखे वाक्यांश को आज भी साक्ष्य के रूप में देखा जाता है. इसी तरह स्कूल डायरी बच्चों के स्कूल रिकॉर्ड को दर्शाती है. डायरी क्लास वर्क और होम वर्क के अलावा अभिभावक से बातचीत का भी जरिया बनती है. इसमें दर्ज रिकॉर्ड बच्चों की शैक्षणिक यात्रा को आसान बनाती है.

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क्यों जरूरी है स्कूल डायरी

स्कूल डायरी स्कूल, शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों के बीच के कनेक्शन को मजबूत करती है. इसमें बच्चों के नाम, पता, क्लास, ब्लड ग्रुप और माता-पिता से जुड़ी जरूरी जानकारी रहती है. यह स्कूल के साथ किसी आपात स्थिति में मददगार साबित होती है.

  • स्कूल के पाठ्यक्रम, टाइम-टेबल, स्कूल के नियम, स्टाफ की जानकारी आदि रहती है.

  • स्कूल कार्यालय, शिक्षकों के संपर्क नंबर दर्ज होने से स्कूल से संपर्क करना आसान होता है.

  • शिक्षक डायरी नोट्स के जरिये अभिभावकों से लिखित संवाद कर सकते हैं.

  • स्कूल डायरी में विभिन्न क्लास टेस्ट और परीक्षाओं की जानकारी दी जाती है. इन्हें देख बच्चे पहले से अपनी तैयारी कर सकते हैं. डायरी में मौजूद कैलेंडर विषयवार पढ़ाई की योजना को बनाने में मदद करता है.

  • डायरी में मौजूद टाइम टेबल बच्चों को अनुशासित बनने में मदद करता है. इसे देख बच्चे न केवल अपना बैग पैक कर सकते हैं, बल्कि अपनी पढ़ाई के योजना तैयार कर सकते हैं.

  • शिक्षक के डायरी नोट्स से आज भी बच्चे डरते हैं. इससे बच्चों को समय की पाबंदी और अनुशासित रहने की सीख मिलती है.

  • डायरी बच्चों को नियमित लिखने के अभ्यास से जोड़ती है. इससे लिखावट भी समय के साथ बेहतर होती है.

अभिभावकों ने कहा

बेटी सातवीं कक्षा में पढ़ती है. पहले स्कूल डायरी में सभी नोटिस, छुट्टी संबंधित जानकारी, बच्चों की गतिविधियों के बारे में लिखा जाता था. अब व्हाट्सएप ग्रुप या ईमेल के जरिये स्कूल के नोटिस आते हैं. कई बार मोबाइल नहीं देखने पर स्कूल से जुड़ी जानकारी ही नहीं मिल पाती है. स्कूल डायरी की महत्ता को बरकरार रखना चाहिए.

-निशा भारती श्रीवास्तव, हरमू

बेटा प्री-नर्सरी का छात्र है. इसलिए प्रतिदिन की एक्टिविटी रिपोर्ट डायरी में लिखकर भेजी जाती है. मोबाइल पर भी स्कूल से संबंधित ग्रुप बना हुआ, जिसमें नोटिस आदि की जानकारी दी जाती रहती है. मैं मोबाइल के साथ-साथ स्कूल डायरी भी प्रतिदिन देखती हूं.

-रिम्मी रॉय, पिस्का मोड

बेटा पांचवीं और बेटी 10वीं क्लास में हैं. दोनों के स्कूल से जुड़ी छोटी-बड़ी जानकारी भी व्हाट्सएप पर आती है. कोरोना से पहले स्कूल डायरी को इस्तेमाल होता था. अब डायरी का रूप व्हाट्सएप ग्रुप ले चुका है. अभिभावक भी बच्चों की डायरी देखना भूलते जा रहे हैं.

-नीति नारायण, अशोक कुंज

बेटा और बेटी दोनों अलग अलग स्कूल में पढ़ते हैं. दोनों के स्कूलों से जुड़ी जानकारी व्हाट्सएप ग्रुप में ही आती है. स्कूल डायरी में कभी-कभी ही लिखा जाता है. कोरोना के बाद से डायरी का इस्तेमाल काफी कम हो गया है. हालांकि छोटे बच्चों के लिए डायरी का इस्तेमाल हो रहा है.

-आनंद किशोर, चुटिया

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