रांची : झारखंड की सांसद अन्नपूर्णा देवी ने एक स्टील कंपनी के रिजोल्यूशन प्रोफेशनल संजय गुप्ता को हटाने और उनके खिलाफ जांच शुरू करने की मांग की है. इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (आइबीबीआइ) को पत्र लिखकर अन्नपूर्णा देवी ने यह मांग की है. कोडरमा की सांसद और उद्योग विभाग के स्टैंडिंग कमेटी की सदस्य अन्नपूर्णा देवी ने अपने खत में लिखा है कि यह अधिकारी कर्ज में डूबी कंपनी में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा कर रहा है.
आइबीबीआइ के कंप्लेन एंड ग्रिवांस ऑफिसर को अन्नपूर्णा देवी ने जो चिट्ठी लिखी है, उसमें कहा है कि संजय गुप्ता को नहीं हटाया गया, तो इनसॉल्वेंसी बैंकरप्सी कोड के अंतर्गत संचालित टॉपवर्थ स्टील्स एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड बर्बाद हो जायेगा. कर्ज में डूबी यह कंपनी एक दिन तबाह हो जायेगी और इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना होगा.
संजय गुप्ता को टॉपवर्थ स्टील्स एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड का रिजोल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया गया है. सांसद ने संजय गुप्ता पर आरोप लगाया है कि वह निजी और कुछ अन्य लोगों का हित साधने के लिए ऐसा काम कर रहे हैं कि कंपनी कर्ज से उबर ही न सके. अन्नपूर्णा देवी ने कहा है कि यह शख्स भ्रष्टाचार में लिप्त है और कंपनी के प्लांट से पैसे की उगाही कर रहा है.
उनका आरोप है कि संजय गुप्ता ने प्लांट में अपने सप्लायर और वेंडर लगा दिये हैं, जो पैसे बनाने में उनकी मदद कर रहे हैं. अन्नपूर्णा देवी ने यह भी आरोप लगाया है कि संजय गुप्ता बाजार से ऊंची कीमत देकर कंपनी के नाम पर कच्चा माल खरीद रहे हैं. कच्चे माल की कीमत बाजार भाव से 500 से 1,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक अधिक होता है.
दूसरी तरफ, वह तैयार माल को बाजार भाव से कम कीमत (1,100-1,200 रुपये प्रति मीट्रिक टन) पर बेच रहे हैं. इससे कंपनी को नुकसान हो रहा है. यह सिलसिला जारी रहा, तो कंपनी कभी भी कर्ज से उबर नहीं पायेगी. इसका नुकसान कंपनी को लोन देने वाले बैंकों को भी झेलना पड़ेगा, जो आम लोगों के पैसे से चलता है.
अन्नपूर्णा देवी का यह भी आरोप है कि संजय गुप्ता ने अपने खास लोगों को कंपनी में ऊंची तनख्वाह पर काम पर रख लिया है, जो सिर्फ उसके फायदे के लिए काम करते हैं. सांसद ने कहा है कि इस तरह एक दिन कर्ज लेने वाली यह कॉरपोरेट कंपनी डूब जायेगी और इसका बोझ आम जन को उठाना पड़ेगा. कोडरमा की सांसद ने संजय गुप्ता को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटाने और उनके कार्यकाल में हुई तमाम डील की जांच कराने की मांग की है.
इतना ही नहीं, अन्नपूर्णा देवी ने मांग की है कि संजय गुप्ता को अब तक जितनी भी जिम्मेदारियां दी गयी हैं, उन सभी की जांच करायी जाये. उनका दावा है कि जांच कराये जाने पर बड़े पैमाने पर जनता के पैसे का पता चलेगा, जो श्रमिकों, बैंकों और भारत सरकार को मिलना चाहिए था, लेकिन मिला नहीं.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 100 करोड़ की पूंजी वाली यह कंपनी मई, 2004 में पंजीकृत हुई थी. गैर-कृषि उत्पादों और वेस्ट एवं स्क्रैप के बिजनेस से जुड़ी कंपनी की आखिरी वार्षिक आम सभा वर्ष 2017 में हुई थी. कंपनी ने 2017 में ही आखिरी बार बैलेंस शीट भी फाइल की थी. कंपनी सेमी फिनिश्ड स्टील, स्पंज आयरन, ब्लूम एवं स्ट्रक्चरल स्टील प्रोडक्ट्स बनाती है.
मुंबई में पंजीकृत टॉपवर्थ स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला के रसमाडा में लोकल ऑफिस था. टॉपवर्थ ग्रुप के मालिकों को वर्ष 2018 में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, बाद में जमानत पर उन्हें रिहा भी कर दिया गया. वहीं टॉपवर्थ कंपनी के मुताबिक, कंपनी के डायरेक्टर की कभी गिरफ्तारी नहीं हुई थी. एक वारंट जरूर जारी हुआ था जो चेक बाउंस मामले से जुड़ा था.
Posted By : Mithilesh Jha
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