Jharkhand News (रांची) : झारखंड की सखी मंडल की दीदियां जंगल बचाने के अनूठा प्रयास में जुट गयी है. पर्यावरण संरक्षण के लिए सखी मंडल की दीदियों की ‘जंगल बचाओ’मुहिम कारगर साबित होने लगा है. आर्थिक और सामाजिक सशक्तता के साथ-साथ गांव और समाज की बेहतरी की ओर सखी मंडल की महिलाएं अग्रसर है. यही कारण है कि इन ग्रामीण महिलाओं के प्रयास से पेड़ों की कटौती में कमी आयी है और ग्रामीणों के बीच पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ी है.
पश्चिमी सिंहभूम जिले के आनंदपुर के झाड़बेड़ा पंचायत की सखी मंडल की महिलाओं ने जंगल और जंगल के पेड़ों को कटने से बचाने के लिए एक अनोखे प्रयास की शुरुआत की है. अप्रैल 2021 से ग्रामीण महिलाओं द्वारा शुरू किये गये इस प्रयास के जरिये ग्रामीणों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है.
पश्चिम सिंहभूम के आनंदपुर प्रखंड अंतर्गत महिषगिड़ा क्षेत्र में 9 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जंगल फैला हुआ है. इसमें साल, सागवान, आसन, बांस, करंज, चिरोंजी, चौकुडी, महुआ, केंदु आदि के पेड़ लगे हुए हैं. आजीविका के लिए इन जंगली फसलों की खेती और कटाई के समय आस-पास के छोटे पेड़ों को काट दिया जाता है. साथ ही, खेती के लिए जंगलों में आग लगा दी जाती है जिससे प्राकृतिक संतुलन पर बुरा असर पड़ता है. आनंदपुर प्रखंड के झाड़बेड़ा पंचायत की सखी मंडल की महिलाओं ने इस समस्या को देखते हुए पेड़ों की रक्षा करने के अनूठे प्रयास की शुरुआत की.
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जंगल बचाओ पहल की शुरुआत इस इलाके के 7 सखी मंडल स्वयंसेवी आजीविका सखी मंडल, उज्ज्वल सखी मंडल, ज्योति आजीविका सखी मंडल, जागृति आजीविका सखी मंडल, विकास आजीविका सखी मंडल, दया आजीविका सखी मंडल और गुलाब आजीविका सखी मंडल की 104 ग्रामीण महिलाओं ने किया.
जंगल बचाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य जंगलों को बचाना एवं पर्यावरण को संरक्षित करना है. इस प्रयास की शुरुआत अप्रैल माह से हुई जिसके अंतर्गत महिलाओं ने अपने आप को 4 ग्रुप में बांट कर हर दिन सुबह 6 से 9 बजे एवं शाम 4 से 6 बजे तक जंगल के इन इलाकों में पहरेदारी का काम करती है. हाथों में डंडा लेकर पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को बल दे रही ये महिलाएं हर दिन पेड़ों की गिनती भी करती हैं, जिससे पेड़ों की संख्या में आयी कमी का पता चल सके.
हर दिन महिलाएं एक जगह पर एकत्रित होती हैं. फिर अलग-अलग ग्रुप में बंटकर जंगलों की पहरेदारी करती है. कड़ाई के लिए सबने मिलकर निर्णय लिया है कि अगर कोई महिला बिना सूचना अपनी जिम्मेदारी से बचती है, तो उन्हें 200 रुपये जुर्माना देना पड़ेगा, ताकि इस सामाजिक मुहिम में कड़ाई रहे एवं पर्यावरण की रक्षा सुनिश्चित की जा सके.
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इस संबंध मेें सखी मंडल की दीदी बेरोनिका बरजो बताती हैं कि पहरेदारी का संतुलन बरकरार रखना बहुत जरूरी है. इसलिए पहरेदारी के दौरान अगर बिना सूचना के कोई महिला नहीं पहुंचती तो उन्हें 200 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा. ऐसा नहीं करने पर सख्त कारवाई का प्रावधान भी किया गया है जिससे सदस्यों में डर बना रहे. कोरोना महामारी के इस समय में महिलाएं सरकार द्वारा निर्धारित सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर दीदियां दो गज की दूरी पर रहकर अपनी जिम्मेदारी को अंजाम दे रही हैं.
वहीं, विकास आजीविका सखी मंडल की नेमंती जोजो कहती हैं कि जंगल के पेड़ों के कटने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है. पर्यावरण को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है. इसलिए जंगलों की रक्षा भी हमें खुद ही करनी होगी. जंगल हमारी आजीविका का एक बड़ा हिस्सा है. अगर इनपर खतरा आयेगा, तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित नहीं होगा. हम सभी महिलाएं जंगल की सुरक्षा के लिए डंडे के सहारे जंगल के अंदर दो से तीन घंटे तक पहरेदारी करते हैं. जंगल बचाओ पहल से हम अपनी सामाजिक जिम्मेदारी, प्रकृति का बचाव एवं पर्यावरण संरक्षण कर अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए भी एक बेहतर कल के निर्माण में जुटे हैं.
जेएसएलपीएस की सीईओ नैन्सी सहाय ने कहा कि सखी मंडल की दीदियों की सामूहिक पहल ‘जंगल बचाओ’ पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रामीण महिलाओं की जागरूकता एवं सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है. सखी मंडल से जुड़कर महिलाएं आर्थिक एवं सामाजिक जिम्मेदारी का भी निर्वहन कर रही है. राज्य की सखी मंडल की दीदियों को जैविक खेती, सौर सिंचाई संयंत्र, पर्यावरण अनुकूल खेती समेत तमाम विषयों पर मदद एवं जागरूक किया जाता है.
Posted By : Samir Ranjan.