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World Environment Day 2022: रांची का झिरी बना कचरों का पहाड़, कितनी बढ़ीं ग्रामीणों की मुश्किलें

World Environment Day 2022: रांची के झिरी के ग्रामीणों ने बताया इस डंपिंग यार्ड से बहुत ही बदबू आती है. दिन में भी खाना खाने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना होता है. फिर भी नगर निगम के द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया जाता है. कचरे के ढेर से जल भी प्रदूषित हो गया है.

World Environment Day 2022: कचरा प्रबंधन की स्थिति पूरी दुनिया में अच्छी नहीं है. वर्षों से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है. इसके साथ ही कचरे के निपटान के लिए बैक्टीरिया व वायरस की खोज वैज्ञानिकों व इंजीनियरों के बीच अहम हिस्सा बनकर रह गया है क्योंकि अब तक इसमें कोई वैज्ञानिक उपाय नहीं मिल सकी है. फिर भी लोग प्रतिवर्ष 2 बिलियन टन कचरा प्रोडयूज कर रही है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर आम आदमी क्या करे? रांची का झिरी इलाका कचरों के पहाड़ में तब्दील हो चुका है. इससे कई लोगों को परेशानी हो रही है. कई लोगों का घर इसी से चलता है.

झिरी में कचरे का पहाड़

झारखंड की राजधानी रांची से करीब 15 किलोमीटर दूरी पर रिंग रोड पास के इलाके में डंपिंग यार्ड बनाया गया है. आंकड़े की बात करें तो प्रतिदिन यहां 600 टन के करीब कचरा डंप किया जाता है. इस कारण कई कचरे के पहाड़ बन गये हैं. नगर निगम के तरफ से शहरों में जगह-जगह पर गीले व सूखे कचरे के लिए डस्टबीन रखा गया है. इतना ही नहीं करीब 30 प्रतिशत कचरे मेडिकल वेस्ट होते हैं जबकि इसका भी निष्पादन अलग तरीके से करना चाहिए. बता दें कचरे के निष्पादन होने की वजह से पास के इलाके में रहने वाले लोगों का भी बुरा हाल है. ग्रामीणों ने बताया इस डंपिंग यार्ड से बहुत ही बदबू आती है. दिन में भी खाना खाने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना होता है. फिर नगर निगम के द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया जाता है. कचरे की ढेर से जल भी प्रदूषित हो गया है. डंपिंग यार्ड में एक वृद्धा मिली जिसे बेटे-पतोहू घर से निकाल दिया है और एक नाबालिग बच्चे को मां-बाप छोड़कर चले गये, परन्तु वे उस डंपिंग यार्ड में कचरा बीनकर बाजारों में बेचने के मिले पैसे से अपना पेट चला रहे हैं.

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विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास

सर्वप्रथम ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ की शुरुआत 1972 में हुई थी. इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जून 1972 में की गयी थी. इसके बाद ही इस दिन प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा. वर्ष 2013 में राजधानी दिल्ली में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गान का शुभारंभ किया गया था.

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विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता जरूरी

5 जून यानी विश्व पर्यावरण दिवस, एक ऐसा दिन जब हम पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर बात करते हैं. पर्यावरण कैसे स्वच्छ रहे इन तमाम पहलुओं पर एकजुट होकर चर्चा करते हैं. पर्यावरण कैसे स्वच्छ रहे, कैसे हम इसे बचाएं इन तमाम पहलुओं पर हम एकजुट होकर चर्चा करते हैं, परन्तु अभी के इस दौर में हम कई ऐसे भी काम कर रहे हैं जो पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है. इसे बचाने व लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए ही विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है.

पर्यावरण स्वच्छ रखने के लिए उठाने होंगे ये कदम

-भारत में अधिकतर लोग भोजन बर्बाद करते हैं. एक व्यक्ति प्रतिवर्ष 50 किलो खाद्य पदार्थ की बर्बादी करता हैं. इसलिए भोजन को बर्बाद करने से हमें बचना चाहिए.

-केवल एक लगाकर पर्यावरण को समृद्ध बना सकते हैं क्योंकि केवल एक पेड़ 21 किलो कार्बन डाई ऑक्साइड कम करता है.

-पर्यावरण में 1.7 अरब ग्रीन हाउस गैस सिर्फ वाहनों की वजह से पहुंचती है. इसलिए अगर हम अपने कार की गति को 70 से 80 किमी प्रतिघंटा या इससे कम रखेंगे तो 8% प्रदूषण कम होगा.

-सबसे ज्यादा अहम बात पर्यावरण को स्वच्छ रखने वाले पेड़ की है क्योंकि दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 16 अरब पेपर मग का उपयोग हो रहा है. इसे बनाने के लिए 4 अरब गैलन पानी भी नष्ट होता है. इस प्रकार के कई टिशू पेपर का भी उपयोग किया जा रहा है जिसे सीमित करना चाहिए.

इनपुट : हिमांशु कुमार देव, रांची

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