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वर्ल्ड मिल्क डे विशेष: दुग्ध उत्पादन से समृद्ध हो रहे झारखंड के बुढ़मू प्रखंड के किसान

रांची जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर बुढ़मू प्रखंड (Burmu Block) से हर रोज लगभग साढ़े चार हजार लीटर दूध रांची पहुंचता है. मेधा डेयरी (medha dairy) की गाड़ी हर रोज जाकर दूध लेकर आती है. फिर उसे रांची के बाजार में बेचा जाता है. इससे किसान समृद्ध हो रहे हैं. उनके घर में खुशहाली है. बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला रहे हैं. प्रखंड के इतनी मात्रा में दूध उत्पादन (Milk Production) का लक्ष्य हासिल करने के पीछे यहां कि किसानों ने काफी मेहनत की है. इसके साथ ही (एनडीडीबी) (NDDB) राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और (जेएमएफ) झारखंड मिल्क फेडरेशन (JMF) ने भी किसानों को जागरूक किया. किसानों के लिए गव्य विकास विभाग की ओर से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ दिलाया.

रांची जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर बुढ़मू प्रखंड से हर रोज लगभग साढ़े चार हजार लीटर दूध रांची पहुंचता है. मेधा डेयरी की गाड़ी हर रोज जाकर दूध लेकर आती है. फिर उसे रांची के बाजार में बेचा जाता है. इससे किसान समृद्ध हो रहे हैं. उनके घर में खुशहाली है. बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला रहे हैं. प्रखंड के इतनी मात्रा में दूध उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के पीछे यहां कि किसानों ने काफी मेहनत की है. इसके साथ ही (एनडीडीबी) राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और (जेएमएफ) झारखंड मिल्क फेडरेशन ने भी किसानों को जागरूक किया. किसानों के लिए गव्य विकास विभाग की ओर से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ दिलाया. आज वर्ल्ड मिल्क डे पर पढ़िये पवन कुमार कि रिपोर्ट.

72 लीटर से हई थी शुरुआत

बुढ़मू प्रखंड के दुग्ध उत्पादक किसान लखन यादव बताते कि सबसे पहले जब जब उन्होंने वर्ष 2008 में एमपीपी के तहत बुढ़मू रूट में दूध का कारोबार शुरू किया था उस समय मात्र 72 लीटर दूध जमा होता था. इसके बाद वर्ष 2016 तक आते आते किसान जागरूक हो गये. अधिक से अधिक लोग इस काम से जुड़ने लगे. आज पूरे प्रखंड से साढ़े चार हजार लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है. प्रखंड के चार गांव बरौदी, कंडेर, बेड़वारी और कोटारी में बीएमसी (बल्क मिल्क कूलर) स्थापित की गयी है. जहां पर बुढ़मू प्रखंड के लगभग सभी गांवों के किसान आकर दूध जमा करते हैं. यहां से डेयरी की गाड़ी आकर दूध को ले जाती है. इन चार बीएमसी से प्रखंड के लगभग 900 गौपालक जुड़े हुए हैं. बीपीएल परिवारों को मुफ्त गाय देने की योजना के तहत लगभग 700 गाय किसानों को मिले हैं. कई ऐसे किसान है जिन्होंने खुद से गाय खरीदा है. अधिकांश शाहीवाल और जरसी नस्ल की गाये हैं.

बरौदी बीएमसी

बरौदी बीएमसी में ठाकुरगांव, चापाटोली, काशीटोला इत्यादी गांवों से किसान जाकर दूध जमा करते हैं. इस बीएमसी से हर रोज लगभग 1400 लीटर दूध रांची भेजा जाता है. इस बीएमसी के आस-पास के गांवों के 245 किसान जुड़े हुए हैं.

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कोटारी बीएमसी

कोटारी बीएमसी में सात गांवों के लगभग 300 किसान आकर दूध जमा करते हैं. किसानों की संख्या घटती बढ़ती रहती है क्योंकि गाय कुछ महीनों के लिये दूध देना बंद करती है. यहां से हर रोज सुबह शाम 900 लीटर दूध रांची भेजा जाता है.

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कंडेर बीएमसी

कंडेर बीएमसी को 2016 में जेएमएफ द्वारा स्थापित किया गया था. यहां से प्रत्येक रोज 1400 लीटर दूध रांची भेजा जाता है. लगभग 200 किसान यहां से जुड़े हुए हैं. दूध उत्पादन से जुड़ने के बाद कंडेर के आस-पास के गांवों के किसान समृद्ध हुए हैं.

बेड़वारी बीएमसी

बेड़वारी बीएमसी से लगभग 600 से 650 लीटर दूध रांची भेजा जाता है. इस बीएमसी से कुल 71 किसान जुड़े हुए हैं. बीएमसी के संचालक रामेश्वर बताते हैं कि वर्ष 2017 में इस बीएमसी की स्थापना हुई थी. इसके बाद से गांव में लगातार दूध उत्पादन बढ़ा है. जिस घर में पहले एक लीटर भी दूध नहीं होता था, उन घरों में आज 70-80 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है. अपने पैसे से कई किसानों ने गाय खरीदा है.

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प्रशिक्षण और दूध के लिए बाजार मिला : रामेश्वर महतो

बेड़वारी के दुग्ध उत्पादक किसान रामेश्वर महतो बताते हैं कि वर्ष 2016 के बाद से इलाके में दूध उत्पादन बढ़ा. एनडीडीबी और जेएमएफ की ओर से किसानों को दुग्ध उत्पादन का प्रशिक्षण देने के लिए गुजरात, करनाल, सिल्ली-गुड़ी ले जाया गया. वहां पर किसानों को गायों के बेहतर रखरखाव, टीकाकरण और बीमारियों से संबंधित जानकारी दी गयी. इसके बाद दूध उत्पादन बढ़ने पर बाजार मिला जिससे किसान उत्साहित हुए.

किसानों के जीवन में आया बदलाव : लखन यादव

लखन यादव बताते हैं कि बुढ़मू में एक वक्त ऐसा भी था जब दूध बेचने के नाम पर गाली मिलती थी. होटल वाले को दूध खरीदने के लिए लालच देना पड़ता था. पर अब बेहतर बाजार की व्यवस्था हो गयी है. इसके अलावा लोग अपने बच्चों को भी दूध पिलाने पर ध्यान दे रहे हैं.

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