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झारखंड के युवा डॉक्टर मेडिकल अफसर बनने में नहीं ले रहे रुचि, जानिए क्या है कारण

चिकित्सक सरकारी क्षेत्र में चिकित्सकों के नहीं आने का कारण राज्य सरकार द्वारा जारी सेवा शर्त को ही प्रमुख कारण बताते हैं. सेवा शर्त के मुताबिक चिकित्सक की नियुक्ति होने पर उम्मीदवार को पहले ग्रामीण क्षेत्र में अपनी सेवा देनी होगी.

झारखंड के युवा चिकित्सक सरकारी चिकित्सक या फिर मेडिकल अफसर बनने में रुचि नहीं ले रहे हैं. इस बार भी झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा मेडिकल अफसर की नियुक्ति के लिए लिये गये इंटरव्यू में उम्मीदवारों की संख्या कम हो गयी. आयोग ने 232 पद पर नियमित नियुक्ति के लिए योग्य उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किये. आयोग के पास देश भर से कुल 1460 आवेदन ही आये. जिसमें अपूर्ण या फिर नियमानुसार आवेदन नहीं मिलने से 827 आवेदन रद्द हो गये, जबकि 633 उम्मीदवार ही इंटरव्यू के लिए योग्य पाये गये.

नियमानुसार रिक्त पदों के पांच गुना यानी 1160 उम्मीदवार होने चाहिए थे, लेकिन 633 उम्मीदवार ही रहने से लिखित परीक्षा नहीं हो सकी. उम्मीदवारों को सीधे कागजात सत्यापन और इंटरव्यू में बुलाया गया. 17 से 25 नवंबर 2022 तक कागजात सत्यापन और इंटरव्यू का आयोजन किया गया, लेकिन कागजात सत्यापन में 60 प्रतिशत उम्मीदवार ही पहुंचे. 40 प्रतिशत उम्मीदवार आये ही नहीं. जब 18 नवंबर से इंटरव्यू का आयोजन किया गया, तो यहां भी उम्मीदवारों की संख्या घट कर 60 प्रतिशत से भी कम हो गयी. इसी प्रकार बैकलॉग में दो पद पर नियुक्ति के लिए कुल 48 आवेदन में 41 रिजेक्ट हो गये, सात उम्मीदवार ही कागजात सत्यापन व इंटरव्यू के योग्य पाये गये. 24 नवंबर को आयोजित इंटरव्यू में सात से भी कम उम्मीदवार आये.

वर्ष 2018 में विशेषज्ञ चिकित्सक के पद खाली रह गये

जेपीएससी द्वारा 2018 में गैर शैक्षणिक विशेषज्ञ चिकित्सक के 386 पद पर नियुक्ति के लिए इंटरव्यू लिये गये. लेकिन मात्र 70 सीट ही भर पायी, जबकि 316 सीट खाली रह गयी थी. अनारक्षित के 193 पद में 69 ही भर सके, जबकि एसटी के 101 पद में एक ही चयनित हो सके. एससी की 39 सीट, बीसी वन की 30 सीट और बीसी टू की 23 सीट खाली रह गयी थी. गैर शैक्षणिक (बैकलॉग) विशेषज्ञ चिकित्सक की 65 सीटों में आठ ही भर पायी थी, जबकि 57 सीटें खाली रह गयी थीं.

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2020 में मेडिकल अफसर की 81 सीटें खाली रह गयी

जेपीएससी द्वारा वर्ष 2020 में मेडिकल अफसर के 380 पदों पर नियुक्ति के लिए इंटरव्यू लिये गये, लेकिन इसमें भी 81 सीटें खाली रह गयीं. कुल 380 में 299 की ही अनुशंसा हो सकी. कुल 380 में एसटी के 124 में 72 का और इडब्ल्यूएस में कुल 37 सीट में आठ का ही चयन हो सका. वर्ष 2019 में मेडिकल कॉलेज में विभिन्न विषयों में 129 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में 52 पद ही भर सके थे, जबकि 77 पद खाली रह गये.

राज्य सरकार की सेवा शर्त भी बन रही बाधा

चिकित्सक सरकारी क्षेत्र में चिकित्सकों के नहीं आने का कारण राज्य सरकार द्वारा जारी सेवा शर्त को ही प्रमुख कारण बताते हैं. सेवा शर्त के मुताबिक चिकित्सक की नियुक्ति होने पर उम्मीदवार को पहले ग्रामीण क्षेत्र में अपनी सेवा देनी होगी. इसके अलावा आवेदक के रूप में अधिक उम्र सीमा व नियुक्ति होने पर कम वेतन मिलना भी है. वहीं प्राइवेट अस्पताल में मनचाहा पैकेज व प्राइवेट प्रैक्टिस को भी इसका एक कारण मानते हैं.

कुड़ुख विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर के 16 पद में से छह खाली रह गये

जेपीएससी द्वारा कुड़ुख विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर के 16 नियमित पद पर नियुक्ति के लिए शुक्रवार को रिजल्ट जारी कर दिया. कुल 16 पद में 10 पद पर नियुक्ति अनुशंसा की गयी, जबकि छह पद खाली रह गये. सभी 10 पद अनारक्षित है. जबकि एससी के तीन पद, बीसी वन के दो पद और बीसी वन के एक पद खाली रह गये. आयोग द्वारा कुल 31 अभ्यर्थियों को 17 नवंबर 2022 को आयोजित इंटरव्यू में आमंत्रित किया गया. सभी 16 पद रांची विवि में रिक्त थे. इंटरव्यू के बाद जिन उम्मीदवारों का चयन किया गया है. इनमें रीना कुमारी, धीरज उरांव, सुषमा मिंज, कीर्ति मिंज, राधिका उरांव, सरिता कच्छप, सुमंती तिर्की अरूण अमित तिग्गा, प्रेमचंद उरांव व बांडे खलखो शामिल हैं. इधर शुक्रवार को खडिया विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पांच पद पर नियुक्ति के लिए इंटरव्यू का आयोजन किया गया. इंटरव्यू में कुल 10 अभ्यर्थियों को आमंत्रित किया गया था.

रिपोर्ट : संजीव सिंह, रांची

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