बस्ताकोला क्षेत्र की बंद घनुडीह परियोजना के अग्नि-प्रभावित इलाके के गांधी चबूतरा के पास शुक्रवार को गोफ में गिरे बेलगड़िया निवासी परमेश्वर चौहान (40) की मौत हो गयी. शनिवार को सीओ के प्रयास से रांची से आयी एनडीआरएफ की टीम ने गोफ से उसके शरीर का अवशेष निकाला. 15 सदस्यीय टीम ने इंस्पेक्टर राहुल सिंह के नेतृत्व में करीब तीन घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, उसके बाद परमेश्वर के शरीर का अवशेष निकाला गया. इधर, अवशेष निकलने के बाद जमसं (कुंती गुट) समर्थकों ने बतौर मुआवजा 10 लाख रुपया की मांग की, जबकि अवशेष के साथ झरिया विधायक प्रतिनिधि केडी पांडेय अपनी टीम के साथ घंटों जमे रहे.
एनडीआरएफ की टीम सुबह 8.30 बजे पहुंची. धनसार माइंस रेस्क्यू के पीआर मुखर्जी, केओसीपी परियोजना पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह, एरिया सुरक्षा अधिकारी एम कुंडू भी इससे पहले अपनी टीम के साथ पहुंचे. लेकिन शव के गोफ में होने की बात से इनकार किया. बाद में रेस्क्यू टीम ने गोफ का तापमान मापा तो लगभग 200 डिग्री था, जबकि मिथेन गैस भी पांच प्रतिशत निकल रही थी. ऐसे में ऑपरेशन करना काफी कठिन था. लेकिन एनडीआरएफ की टीम ने अपने उपकरण के माध्यम से गोफ के लगभग 20 फीट नीचे लोहे का सरिया डालकर उसके सहारे अवशेष को ऊपर निकाला.
पूरी टीम के प्रयास से असंभव को संभव किया : एनडीआरएफ
एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर राहुल सिंह ने कहा कि तापमान बहुत अधिक था और वहां काम करना मुश्किल था. फिर भी टीम के सभी सदस्यों ने कड़ी मेहनत से नामुमकिन को मुमकिन बनाया.
कहते हैं सीओ
सीओ प्रमेश कुशवाहा ने कहा कि इलाका अग्नि-प्रभावित व अति खतरनाक है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से आसपास में लोगों का रहना ठीक नहीं है. जो भी लोग यहां रह रहे हैं. उन्हें यहां से बीसीसीएल प्रबंधन से बात कर सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास करायेंगे एवं नियम के अनुसार जो मुआवजा होगा, वह भी परिजन को दिलाने का प्रयास करेंगे.
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लोग जान जोखिम में डाल कर रह रहे हैं : प्रबंधन
केओसीपी पीओ सत्येंद्र कुमार मौके पर पहुंचे और कहा कि क्षेत्र खतरनाक है. पहले ही हटने का नोटिस दिया जा चुका है. कई दीवारो में स्लोगन भी लिख कर लोगों को सचेत किया गया है. फिर भी लोग नहीं हट रहे हैं. जान जोखिम में डालकर कुछ लोग रह रहे थे.