प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सह वित्त व खाद्य आपूर्ति मंत्री डाॅ रामेश्वर उरांव ने कहा कि मोदी सरकार तीन काले कानून लाकर हरित क्रांति को हराने की घिनौनी साजिश कर रही है. मोदी सरकार कोरोना महामारी की तरह खेती-किसानी के लिए जानलेवा साबित हो रही है. डॉ उरांव शनिवार को कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कृषि बिल लाकर कृषि उपज खरीद व्यवस्था को पूरी तरह नष्ट करना चाहती है. ऐसे में किसानों को न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा और न ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत. अगर पूरे देश की कृषि उपज मंडी व्यवस्था ही खत्म हो गयी, तो इससे सबसे बड़ा नुकसान किसान-खेत मजदूर को होगा और सबसे बड़ा फायदा मुट्ठीभर पूंजीपतियों को.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार दावा कर रही है कि अब किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है, पूरी तरह से झूठ है. आज भी किसान अपनी फसल किसी भी प्रांत में ले जाकर बेच सकता है. अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट लागू करना चाहती है, ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े और सालाना एक लाख करोड़ की बचत हो.
इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव खेत-खलिहान पर पड़ेगा. अध्यादेश के माध्यम से किसान को ठेका प्रथा में फंसा कर उसे अपनी ही जमीन में मजदूर बना दिया जायेगा. कांग्रेस विधायक दल के नेता सह मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि देश का किसान और मजदूर सड़कों पर है, पर सत्ता के नशे में मदमस्त मोदी सरकार उनकी रोटी छीन खेत और खलिहान को मुट्ठी भर पूंजीपतियों के हवाले करने में लगी है.
कृषि विरोधी तीन काले कानूनों ने सबका साथ, सबका विकास की झूठ और उसका पर्दा मोदी सरकार के चेहरे से उठा दिया है. अब मोदी सरकार का नया मूल मंत्र है, किसानों को मात और पूंजीपतियों का साथ. केंद्र सरकार खेत मजदूरों का शोषण और पूंजीपतियों का पोषण कर रही है. मौके पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर, केशव महतो कमलेश, संजय लाल पासवान, डाॅ एम तौसीफ, ज्योति सिंह मथारू, सुरेश बैठा आदि मौजूद थे.
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