मेष राशि में शुक्र और राहु की युति, मेष राशि वालों की मैरिज लाइफ होगी खराब , जानें उपाय
मेष राशि की अधिपत्य मंगल करते है. इस राशि में पहले से राहु विराजमान है. जिसके कारण अंगकारक योग बन रहा है, इस घर में शुक्र भी विराजमान हो गए है.
Grah Gochar 2023: राहु-शुक्र की युति मेष राशि में बन गया है. दोनों ग्रहों का मिलना आम जीवन पर काफी प्रभावित करेगा. मेष राशि की अधिपत्य मंगल करते है. इस राशि में पहले से राहु विराजमान है. जिसके कारण अंगकारक योग बन रहा है, इस घर में शुक्र भी विराजमान हो गए है. कुल मिलाकर मेष राशि में एक छाया ग्रह तो दूसरा असुरों का देवता शुक्र एक वैभवशाली शुभ ग्रह है. यह जातक के जीवन में कामुकता बढ़ा देता है. वहीं धन भाव पर दृष्टि पड़ जाए तो मालेमाल होगा, जैसे कुण्डली में गुरु का ठीक होना जरुरी होता है, वैसे ही शुक्र का बेहतर प्रभाव फल देना जरूरी होता है. यदि कुंडली में अच्छा है तो धन, ऐश्वर्य, लाभ, सम्मान और प्रेम सब कुछ मिलता है. लेकिन, यदि कुंडली शुक्र की युति के पाप प्रभाव किसी ग्रह जैसे केतु, राहु या मंगल के साथ हो जाते है, तो एक अलग तरह का प्रभाव शुक्र देने लगता है. यह दो ग्रहों का युति मेष राशि में 12 मार्च 2023 से बन गया है.
मेष राशि वालों के जीवन में दिखेगा परिवर्तन
छाया ग्रह राहु के साथ शुक्र की युति व्यक्ति को गलत आदतों की ओर खींचता है, इससे राहु धीरे-धीरे व्यक्ति के अंदर से नैतिकता को नीचा दिखाने लगता है. ऐसे जातक अपनी मर्जी के अनुरूप गलत रास्ता भी चुन सकते हैं. इन युति प्रभावों के कारण जातक के जीवन में कई तरह के परिवर्तन होते हैं. राहु कुंडली में शुक्र के साथ होने पर कई तरह के अलग-अलग असर को दिखाने वाला हो सकता है. इन दोनों का युति के कारण सांस्कृतिक या भौगोलिक दूरियों की परवाह किए बिना वे उस व्यक्ति के लिए सीमाओं से परे जा सकते हैं. जिसे वे प्यार करते हैं. यानी अपनी प्रीतम के लिए कुछ कर सकते है अपने मनोकूल कार्य करने का हर संभव प्रयास रहता है.
जानें ग्रहों का प्रभाव
यह ग्रह की युति सबसे प्रेमी या शिकारी में से एक बना सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि राहु-शुक्र मिलकर प्यार में की भूख पैदा करते हैं. ऐसी स्थिति में अपनी प्यार का भूख मिटाने के लिए अपमानजनक संबंध को भी जन्म दे सकता है. यह दोनों ग्रहों का युति रिश्ते के मामलों में एक परेशानी भरा योग हो सकता है. विवाह का मुख्य कारक शुक्र ग्रह है. शुक्र पुरुष के लिए प्रेमिका या पत्नी का प्रतिनिधित्व करता है. शुक्र सभी संबंधों का कारक है, राहु – यह भ्रम ड्रग्स, दवाएं, गलत काम, किसी भी प्रकार का नशा, प्रसिद्धि, धन, सफलता, जुनून देता है. कुंडली में राहु ग्रह शुक्र ग्रह के साथ मिल कर आनन्दित हो जाते हैं क्योंकि दोनों का स्वभाव कई क्षेत्र में मैच कर जाता है.
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सुख भोगना दोनों की वरीयता
सुख भोगना दोनों की वरीयता है, दोनों के स्वभाव में भोग विलास यानी खाओ पिओ और मौज करो का सिद्धांत लागू होता है. जीवन में भोग विलास और सुख समृद्धि आदि सब शुक्र ग्रह के अधीन है. गुरु शिष्य होने के कारण राहु और शुक्र ग्रह की दोस्ती बहुत अच्छी होती है, दोनों की प्रमाइरी में सुख भोगना है. जिस तरह इन दोनों ग्रहों को सुख भोगना पसंद है उसी तरह जिस व्यक्ति की कुंडली में दोनों ग्रह अच्छी स्थिति में हैं. वह भी भौतिकता वादी चीजों को अधिक महत्व देगा. राहु अकूत संपदा देता है, दरअसल राहु के अंदर भोगने की लालसा बहुत जबर्दस्त होती है. शुक्र राहु वाले व्यक्ति की मैरिज लाइफ खराब रहती है. पति पत्नी के बीच लड़ाई झगड़े की स्थिति रहती है. मैरिड लाइफ अच्छी नहीं होती है.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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