Shani Parivartan 2023: 30 साल बाद शनि अपनी ही राशि में कुंभ में विराजमान होंगे। कर्मफलदाता के कुंभ में प्रवेश करते ही कुछ राशियों पर से साढ़े साती और ढैय्या समाप्त होगी। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार करीब एक राशि में ढाई वर्षों तक रहते हैं फिर दूसरी राशि में जाते हैं. ज्योतिष में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का विशेष महत्व होता हैं. शनि 17 जनवरी को रात 08 बजकर 02 मिनट पर अपने दूसरे घर कुंभ में प्रवेश करेंगे. साढेसाती के प्रभाव से जातकों को कई तरह की परेशानियां आती हैं. आइए जानें किन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का असर देखने को मिलेगा.
कर्क राशि के अष्टम भाव में शनि गोचर करेंगे. इससे इन्हें सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा. माता के स्वास्थ्य की ओर से चिंतित हो सकते है. इस अवधि में किसी भी व्यक्ति को धन उधार ने दें. वरना पैसा फंस सकता है.
शनि वृश्चिक राशि के चतुर्थ भाव में गोचर करने जा रहे हैं. इन्हें कार्यस्थल पर तनाव मिल सकता है. आर्थिक स्थिति ख़राब हो सकती है. वाहन चलाते समय खास सावधानी रखें.
ज्योतिष के अनुसार मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती 26 जनवरी 2017 को शुरू हुई थी. इन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रकोप 29 मार्च 2025 तक रहेगी. मौजूदा समय में इन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है.
मीन राशि वालों पर शनि की ढैय्या का असर देखने को मिल सकता है. शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करने से मीन राशि,मकर राशि, और कुंभ राशि वालों पर शनि की ढैय्या का खास असर देखने को मिलेगा. मकर राशि के जातकों पर इसका शुभ असर पड़ेगा. मान-सम्मान में वृद्धि होगी. बिजनेस में भी तरक्की मिल सकती है. इसके अलावा कुंभ और मीन राशि वालों पर इसका अशुभ असर पड़ेगा. कामकाज में बदलाव आने के साथ-साथ आप बीमार भी पड़ सकते हैं.
ज्योतिष गणना के अनुसार किसी जातक पर शनि साढ़ेसाती तब लगती है जब जन्म राशि से 12वें, पहले और दूसरे भाव में शनि संचरण करते हैं. शनि साढ़ेसाती साढ़े सात साल तक चलती है, इस कारण से इसे साढ़ेसाती कहा जाता है.
क्या होती है ढैय्या
शनि का गोचर राशि से चौथे और आठवें भाव में होता है तो शनि की ढैय्या लगती है. ज्योतिष में कुंडली का चौथा और आठवां भाव शुभ नहीं माना जाता है.