शारदीय नवरात्र पांचवां दिन : ऐसे करें स्कंदमाता दुर्गा की पूजा
‘जो नित्य सिंहासनपर विराजमान रहती हैं तथा जिनके दोनों हाथ कमलों से सुशोभित होते हैं,वे यशस्विनी दुर्गा देवी स्कंदमाता सदा कल्याणदायिनी हों.’ दस महाविद्याओं की महिमा-5 दस महाविद्याओं में काली और भुवनेश्वरी दोनों मूल प्रकृति के अव्यक्त और व्यक्त रूप हैं. काली से कमला तक की यात्रा दस सोपानों में अथवा दस स्तरों में पूर्ण […]
‘जो नित्य सिंहासनपर विराजमान रहती हैं तथा जिनके दोनों हाथ कमलों से सुशोभित होते हैं,वे यशस्विनी दुर्गा देवी स्कंदमाता सदा कल्याणदायिनी हों.’
दस महाविद्याओं की महिमा-5
दस महाविद्याओं में काली और भुवनेश्वरी दोनों मूल प्रकृति के अव्यक्त और व्यक्त रूप हैं. काली से कमला तक की यात्रा दस सोपानों में अथवा दस स्तरों में पूर्ण होती है. दस महाविद्याओं का स्वरूप इसी रहस्य का परिणाम है.
दस महाविद्याओं में काली प्रथम हैं. तांत्रिक विद्या साधना में इनकी प्रधानता है. भव-बंधन-मोचन में काली की उपासना सर्वोत्कृष्ट है. शक्ति-साधना के दो पीठों में काली की उपासना श्यामा पीठपर करने योग्य है.
भक्तिमार्ग में तो सर्वथा किसी भी रूप में, किसी भी तरह उन महामाया की उपासना फलप्रद है, पर साधना या सिद्धि के लिए इनकी उपासना वीरभाव से की जाती है.
वीर साधक दुर्लभ होता है. जिनके मन में अहंकार, माया और भेद-बुद्धिका नाश नहीं हुआ है, वे इनकी उपासना को करने में पूर्ण सफल नहीं हो सकते. साधना के द्वारा जब पूर्ण शिशुत्व का उदय हो जाता है, तब भगवती का श्रीविग्रह साधक के सामने प्रकट हो जाता है, उस समय उनकी छवि अवर्णनीय होती है. कज्जल के पहाड़ के समान, दिग्वसना, मुक्तकुन्तला, शव पर आरूढ़, मुण्डमालाधारिणी भगवती का प्रत्यक्ष दर्शन साधक को कृतार्थ कर देता है.
साधक के लिए कुछ भी शेष नहीं रह जाता. महाकाली की उपासना पद्धतियां तत्संबंधी मंत्र और यंत्र, साधना, विधान, अधिकारीभेद और अन्य उपचार संबंधी सामग्री महाकाल संहिता, कालीकुलक्रमार्चन, व्योमकेशसंहिता, कालीतंत्र, कालिकार्णव, कामेश्वरीतंत्र, शक्तिसंगम, दक्षिणकालीकल्प, श्यामारहस्य-जैसे ग्रंथों में है. गुरूकृपा और जगदम्बा की कृपा अथवा पूर्वजन्मकृत साधनाओं के फलस्वरूप काली की उपासना में सफलता मिलती है. मां काली की प्रसन्नता संपूर्ण अभीष्टों की प्राप्ति है. (क्रमशः)
प्रस्तुति : डॉ एन के बेरा