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ज्योतिष : पौरुष एवं भौतिक सुखों का कारक ग्रह है शुक्र, जानें शुक्र ग्रह की शांति के उपाय

पीएन चौबे, ज्योतिषविद् शुक्र का अर्थ सामान्यत: पौरुष ही होता है. ये दैत्यों के गुरु माने जाते हैं. इनके पास मृत संजीवनी विद्या है. ऐसी कथा है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश इन्हें निगल लिया था, लेकिन इनकी संजीवनी विद्या के कारण उन्हें पचा नहीं पाये. तब शुक्र ने शिव के उदर में […]

पीएन चौबे, ज्योतिषविद्
शुक्र का अर्थ सामान्यत: पौरुष ही होता है. ये दैत्यों के गुरु माने जाते हैं. इनके पास मृत संजीवनी विद्या है. ऐसी कथा है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश इन्हें निगल लिया था, लेकिन इनकी संजीवनी विद्या के कारण उन्हें पचा नहीं पाये. तब शुक्र ने शिव के उदर में ही तपस्या कर उन्हें प्रसन्न कर लिया. बारह वर्षों की तपस्या के बाद ये भगवान शिव के पौरुष ग्रंथि से अत्यंत सुंदर एवं तेजस्वी ऋषि के रूप में बाहर आ गये.
तब से ये भोग-विलास एवं भौतिक सुखों के कारक बन गये. इस ग्रह का प्रभाव गला, गाल, अंडाशय, गुर्दा, कमर एवं जननेंद्रियों पर रहता है. रोग में सिर दर्द, टॉन्सिल, मूत्राशय संबंधी रोग के अलावा स्त्री रोग, लिवर एवं ग्लैंड्स पर भी इनका अधिकार है. वनस्पतियों में हरा आम, हरी मिर्च एवं हरी पत्तियों पर इनका अधिकार है.
ज्योतिष में शुक्र : सामान्यत: हर लग्न के लिए सारे ग्रह शुभ एवं अशुभ दोनों होते हैं. लेकिन शुक्र नैसर्गिक शुभ ग्रह हैं. पृथ्वी तत्व राशि, वृष एवं संतुलन की राशि तुला पर इनका स्वामित्व है. पावों की राशि मीन इनकी उच्च राशि है, तो कन्या इनकी नीच राशि है. कुंभ एवं मकर लग्न में ये सर्वाधिक शुभ माने जाते हैं. कुंभ में भाग्य एवं सुख के स्वामी हैं, तो मकर लग्न में इनका स्वामित्व कर्म एवं संतान का स्थान बनता है.
अन्य भावों में इनका प्रभाव मिश्रित है. किसी दंपती के बेडरूम का स्वामित्व भी मंगल के साथ इन्हीं को है. चौथे या दशम स्थान में बैठे शुक्र जातक को घर, मकान, वाहन आदि का सुख अपने बल के अनुसार जरूर देते हैं. बुध के साथ बैठकर ये लक्ष्मीनारायण योग का निर्माण करते हैं. अगर जातक का जन्म दिन में हुआ हो, तो ये माता के भी कारक बनते हैं. स्वभाग्य के कारक गुरु एवं पौरुष के कारक ग्रह शुक्र जब अस्त रहते हैं, तो सारे विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित रहते हैं.
शुक्र ग्रह की शांति के उपाय
आपकी कुंडली में अगर शुक्र ग्रह कमजोर हो, तो आपका कोई भी काम पूरा नहीं हो पायेगा. जीवन में सुख-समृद्धि की कमी हमेशा बनी रहेगी. इसलिए अगर आप अपनी कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो इस ग्रह के कुप्रभाव से बचना चाहिए. इसके लिए यथायोग्य चीनी, दूध, सफेद मिठाई, घी, दही, खीर, सफेद वस्त्र आदि शुक्रवार को शुक्र के होरा में ही दान अवश्य देना चाहिए. प्रतिदिन धरती को प्रणाम कर लक्ष्मी मंत्र का जाप अवश्य करें. भिंडी, उड़द की साबूत दाल, माड़ आदि का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें.
रत्नों में इनके प्रमुख रत्न हीरा, सफेद जरकन, सफेद मूंगा, सफेद पुखराज एवं अमेरिकन डायमंड अपनी सामर्थ्य के अनुसार अनामिका अंगुली में शुक्रवार को शुक्र की होरा में धारण करना चाहिए.
सफेद वस्त्र अधिक-से-अधिक पहनें. चूंकि इनका अधिकार हरी पत्तियों पर है, तो अधिकाधिक पेड़ लगाकर इनकी रक्षा करनी चाहिए. इससे इन्हें अनुकूल बना सकते हैं. पेड़-पौधों को कभी नहीं काटना चाहिए. शुक्र के मंत्र का जप प्रतिदिन अवश्य करें. जहां तक संभव हो, मांस–मदिरा से दूर रहें.

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