डॉ एनके बेरा, ज्योतिषविद्
इंसान के जीवन को दो चीजें विशेष रूप से प्रभावित करती हैं- एक, भाग्य और दूसरा, वास्तु. पचास फीसदी भाग्य, पचास फीसदी वास्तु. अगर आपके सितारे बुलंद हैं, मगर वास्तु गड़बड़ है, तो प्रयास की तुलना में नतीजे आधे मिलेंगे. इसके विपरीत यदि आपकी वास्तु सही है, मगर ग्रह दशा ठीक नहीं है, तो भी उतने कष्ट नहीं झेलने पड़ते, जितने यदि दोनों ही गड़बड़ हों तो, अर्थात वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार, आपका मकान सही हो तो मनुष्य के भाग्य की स्थिति बदल सकती है. हम जिस घर में निवास करते हैं, उसकी बनावट, दिशाएं एवं घर में पंचतत्वों के उचित समावेस का हमारे जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता ही है. साथ ही घर के आसपास पेड़-पौधों, घर के समीपवर्ती घरों का भी शुभाशुभ प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है.
घर के सामने लॉन में या पिछवाड़े में पेड़-पौधे लगाना लोग पसंद करते हैं. इस संबंध में वास्तु शास्त्र के विद्वानों का अलग-अलग मत है. लॉन या पिछवाड़े में पेड़-पौधों के गमले लगाने से सुंदरता आती है, इसमें संदेह नहीं है. घर के बाहर बड़े वृक्ष लगाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वृक्ष घर से इतनी दूरी पर लगाये जाएं कि प्रातः नौ बजे से लेकर तीसरे प्रहर तीन बजे तक पेड़ की छाया मकान पर न पड़े. घर के सामने आंगन में या लॉन में गुलाब, गेंदा, रात की रानी, बेला आदि सुगंधित फूलों के पौंधे प्रायः गमलों में या ऐसे ही स्थान पर लगाएं, जहां सहज ही नजर आएं. अशोक के पेड़ भी प्रायः घरों के सामने लगाये जाते हैं. इन पेड़ों का कोई अशुभ फल नहीं होता. वरन ये तो घर के पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं.
वृक्षों का वास्तुदोष निवारण में भी प्रयोग होता है. यदि घर के चारों ओर खुला स्थान दक्षिण दिशा में उत्तर एवं पूर्व दिशा से अधिक छूटा हुआ है, तो इस खुले स्थान में बड़े वृक्ष लगाये जाने चाहिए. अधिकांश गमले भी घर में दक्षिण दिशा में ही रख देने चाहिए. इससे दक्षिण दिशा में जो पृथ्वी तत्व का अभाव हो रहा था, वह काफी सीमा तक पूरा किया जा सकता है. मुख्य द्वार को लताओं, फूल-पौधों आदि से सदैव सुशोभित रखना चाहिए. ऐसा करने से उस स्थान पर रहनेवाले लोग सुख एवं शांति का अनुभव करते हैं.
घर में तुलसी का पौधा लगाये
घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए, यह कृमिनाशक है तथा आस-पास के दूषित वायु को शुद्ध करता है. तुलसी आरोग्य के लिए प्राकृतिक अमर संजीवनी है, यह सौ हाथ तक वायुमंडल को विशुद्ध करती है. चंपा, गुलाब, केला, चमेली, केतकी, पुन्नाग, फलिनी, नीम, अनार (दाड़िम), अशोक जाति (चमेली), गुड़हल (जबा), केशर, जयंती, चंदन, अपराजिता, नारियल, बेल, आम, भृङ्ग, अंगुर आदि वृक्ष एवं लतायें जहां भी लगाये जायें, शुभदायक होते हैं. इसी प्रकार फूलों के पौधे जहां चाहें लगा सकते हैं. वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के पूर्व में ऊंची इमारतें अथवा विशाल वृक्ष नहीं होने चाहिए, ताकि सूर्य की किरणें उस पर सीधी पड़ सकें. जो देवालय, मठ, मकान सूर्य की जीवनदायिनी किरणें और वायु से वंचित रहें, वह शुभफलदायी नहीं होता और प्रथम व चतुर्थ प्रहर की छाया को छोड़कर द्वितीय एवं तृतीय प्रहर की छाया यदि किसी कूप पर भी पड़े, तो शुभ नहीं होती.