संतान की लंबी आयु का जीवित्पुत्रिका व्रत मंगलवार को, जानें इसका महत्व

इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत दो अक्तूबर को मनाया जायेगा. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रख कर बेटों की लंबी उम्र की कामना करेंगी. इससे एक दिन पूर्व सोमवार को यानी आज सप्तमी तिथि पर नहाय खाय का व्रत किया जा रहा है. जबकि, अष्टमी के अगले दिन नवमी पर बुधवार को जिउतिया व्रत का पारण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 1, 2018 12:32 PM

इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत दो अक्तूबर को मनाया जायेगा. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रख कर बेटों की लंबी उम्र की कामना करेंगी. इससे एक दिन पूर्व सोमवार को यानी आज सप्तमी तिथि पर नहाय खाय का व्रत किया जा रहा है. जबकि, अष्टमी के अगले दिन नवमी पर बुधवार को जिउतिया व्रत का पारण किया जायेगा.

ज्योतिषाचार्य प्रभात मिश्र कहते हैं कि सूर्योदय के साथ ही पारण किया जा सकता है. नहाय खाय के दिन भात, नोनी का साग, मड़ुवा की रोटी सबसे पहले भोजन के रूप में ग्रहण किया जा रहा है. पर्व के दिन महिलाएं जल भी ग्रहण नहीं करेंगी. माना जाता है जो महिलाएं जीमूतवाहन की पूरे श्रद्धा व विश्वास के साथ पूजा करती हैं, उनके पुत्र को लंबी आयु व सभी सुखों की प्राप्ति होती है.

पूजन के लिए जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित किया जाता है और फिर पूजा करती है. साथ ही मिट्टी व गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनायी जाती है, जिसके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजन समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है.

पुत्र की लंबी आयु, आरोग्य व कल्याण की कामना से स्त्रियां इस व्रत को करती हैं. कहते हैं जो महिलाएं पूरे विधि-विधान से निष्ठापूर्वक कथा सुनकर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देती हैं, उन्हें पुत्र सुख व उनकी समृद्धि प्राप्त होती है.

Next Article

Exit mobile version