जानें नवरात्रि में कलश स्थापना का क्या है महत्व
शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 10 अक्तूबर से होने जा रहा है. नौ दिनों तक चलनेवाली पूजा में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-उपासना से जातक को हर मुश्किल से छुटकारा मिल जाता है. 10वें दिन कन्या पूजन के साथ व्रत खोला जाता है. घटस्थापना नवरात्रि […]
शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 10 अक्तूबर से होने जा रहा है. नौ दिनों तक चलनेवाली पूजा में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-उपासना से जातक को हर मुश्किल से छुटकारा मिल जाता है. 10वें दिन कन्या पूजन के साथ व्रत खोला जाता है. घटस्थापना नवरात्रि के पहले दिन होती है. घटस्थापन अर्थात नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तितत्त्व का घट अर्थात कलश में आवाहन कर उसे सक्रिय करना. शक्तितत्व के कारण वास्तु में उपस्थित कष्टदायक तरंगे नष्ट हो जाती हैं. प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश का पूजन करते हैं तथा प्रतीक स्वरूप नारियल रखते हैं. षोडशोपचार पूजन किया जाता है.
घटस्थापना में सर्वप्रथम खेत की मिट्टी लाकर उसमे पांच अथवा सात प्रकार के धान बोए जाते हैं. पांच प्रकार के धानों में गेहूं, जौ, चना, तिल, मूंग आदि होते हैं. जल, चंदन, पुष्प, दूर्वा, अक्षत, सुपारी तथा सिक्के मिट्टी अथवा तांबे के कलश में रखे जाते हैं. यदि घटस्थापना के मंत्र मालूम न हो, तो सभी वस्तुओं के नाम लेते हुए ‘समर्पयामि’ का उच्चारण करें.