सद्गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं…
सवाल- किस पूजा से धन की प्राप्ति होती है.
-रंजन डे
सवाल- सदगुरु श्री कहते हैं कि धन प्राप्ति के लिए सही दिशा में सतत सटीक कर्म का कोई अन्य विकल्प नहीं है. जहां तक धनप्राप्ति की उपासनाओं और साधनाओं की बात है, तो यह कर्म-काण्ड और तंत्र शास्त्र के तकनीकी और गंभीर विषय है. प्राचीन उपासना पद्धति के बहुत से शोध कार्य वर्तमान में विलुप्त हो गये हैं. अब ग्रंथों और शास्त्रों से ज़्यादा पद्धतियां पारंपरिक हैं. प्रचलित प्रणालियों में वैज्ञानिक पहलू के मिटने का ख़तरा सर्वाधिक होता है. पूर्ण निष्ठा से किसी भी दैविक ऊर्जा की आराधना सुख समृद्धि प्रदायक कही गयी है. संदर्भ के लिए यूं तो बहुत-सी साधनाएं धनप्रदायक मानी गयी हैं, पर यक्षोपासना को धन के लिए श्रेष्ठ माना गया है. कुबेर यक्ष हैं और लक्ष्मी यक्षिणी हैं। कर्म से बड़ा कुछ नहीं है. पर साधनाओं में मैं धनकारक साधनाओं से श्रेष्ठ ऐश्वर्यकारक साधनाओं को समझता हूं. धन होना ऐश्वर्य की गारंटी नहीं है, पर ऐश्वर्य और वैभव आने से धन की आपूर्ति स्वयमेव हो जाती है। अनेक शक्तियों की अर्चना के साथ माया या भुवनेश्वरी की उपासना को भी ऐश्वर्य प्रदायक माना जाता है. शक्ति प्राप्त करने से भी धन प्राप्त हो सकता है. इसके लिए प्राचीन ग्रंथ आद्या महाशक्ति की उपासना पर बल देते रहे हैं। इसमें नवार्ण से शक्ति की उपासना भी माकूल फल देती है, ऐसा प्राचीन ग्रंथ कहते हैं.
सवाल- क्या खाना बनाने की कोई विशेष दिशा है?
-नपुर अवस्थी
जवाब- सदगुरु श्री कहते हैं कि हां, वास्तु के नियम पूर्वाभिमुख होकर भोजन बनाने की संस्तुति करते हैं। गृह के दक्षिण – पूर्व कोण में पाकशाला होना सुख, शांति और समृद्धि को आमंत्रित करता है.
सवाल- मेरा बॉय फ़्रेंड कहीं शादी से मना तो नहीं कर देगा?
जन्म तिथि- 4 जून, 1995, जन्म समय- 4.31 प्रातः, जन्म स्थान-पटना
– रीमा सिंह
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि कर्क और लग्न वृष है. आपका लग्नेश शुक्र व्यय भाव में बैठ कर जहां एक से ज़्यादा प्रेम संबंधों की आधारशिला रखता है, वहीं सप्तम भाव यानि पतिभाव का वृहस्पति दांपत्य जीवन को प्रभावित करता है. श्री मंगल देव आपकी कुंडली के चतुर्थ भाव में बैठकर आपको मांगलिक भी बना रहे हैं. आपके लग्न में आसीन सूर्य स्वभाव की उग्रता के लिये भी जाना और पहचाना जाता है. ग्रहयोग आपके किसी भी रिश्ते में जुड़ने के लिये सतर्क रहने और कुंडली का मिलान अवश्य करने की ताक़ीद कर रहे हैं. आपके मित्र से आपके भविष्य की पड़ताल के लिये उनका भी जन्म विवरण अनिवार्य है.
सवाल- अनावश्यक ख़र्च बढ़ गया है. इससे बहुत चिन्तित रहता हूं. क्या करुं.
जन्म तिथि- 25.09.1987, जन्म समय- 13.36, जन्म स्थान- मुंगेर
– प्रदीप बागची
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि तुला और लग्न धनु है. आपके धन का स्वामी शनि जहां व्यय भाव में बैठ कर धन के प्रति तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर रहा है, वहीं शत्रु मंगल के घर में आसीन होने से कुछ नकारात्मक छटा भी बिखेर रहा है. यह स्थिति आपके स्वभाव में उग्रता और आलस्य पैदा कर धन के व्यर्थ ख़र्च की भूमिका भी बना रही है. धन को अपव्यय से बचाने के लिये सही योजना, कठिन परिश्रम, मीठी वाणी और प्रसन्न रहने का प्रयास अनिवार्य शर्त है. किसी की भी निंदा व आलोचना से बचना, रविवार को नमक का त्याग, शुक्रवार को दही का दान लाभ प्रदान करेगा, ऐसा परम्परायें कहती हैं.
(अगर आपके पास भी कोई ऐसी समस्या हो, जिसका आप तार्किक और वैज्ञानिक समाधान चाहते हों, तो कृपया प्रभात खबर के माध्यम से सद्गुरु स्वामी आनंद जी से सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आपको बस इतना ही करना है कि आप अपने सवाल उन्हें सीधे saddgurushri@gmail.com पर भेज सकते हैं. चुनिंदा प्रश्नों के उत्तर प्रकाशित किये जायेंगे. मेल में Subject में प्रभात ख़बर अवश्य लिखें. )