सद्गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं…
सवाल- कुछ समय से बेरोज़गार हूं. करियर संवारने का कोई उपाय बतायें.
जन्मतिथि- 14.09.1986, जन्म समय-13.25, जन्म स्थान- सुल्तानपुर.
-राहुल शुक्ला
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं की आपकी राशि मकर और लग्न धनु है. आपका लाभेश शुक्र लाभ में, कर्मेश बुध कर्म में और भाग्येश सूर्य में भाग्य में ही बैठ कर अति श्रेष्ठ योगों की झड़ी लगाकर उत्तम भविष्य की रचना कर रहा है. पर मंगल लग्न में बैठ कर जहां स्वभाव की उग्रता से क्षति पहुंचा रहा है, वहीं व्यय का शनि शुभ फलों में पलीता लगा रहा है. बची खुची कसर शनि की साढ़ेसाती निकाल रही रही है. पर आप चिंता बिलकुल न करें. दिव्यांगों और बुज़ुर्गों की सेवा, काले रंग का न्यूनतम प्रयोग और मांसाहार और मद्यपान का त्याग लाभ प्रदान करेगा, ऐसा मैं नहीं ज्योतिषीय मान्यताएं कहती हैं.
सवाल- क्या ग्रंथों में धन समृद्धि के लिए किसी विशेष इत्र या सुगंध का वर्णन मिलता है?
– विजय कुशवाहा
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि धन- समृद्धि किसी सुगंध से नहीं, बल्कि सही दिशा में लगातार उचित कर्म से ही प्राप्त हो सकती है. जिसमें सकारात्मक सोच के साथ मीठी वाणी और उत्तम आचरण अनिवार्य शर्त है. रही बात सुगंध की तो आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार देह के कई प्रकार माने गए हैं, यथा, स्थूल देह, लिंग देह, सूक्ष्म देह और कारण देह. लिंग देह का संबंध देवी, देवताओं, यक्ष और अन्य शक्तियों से है।सुगंध को लिंग देह का भोजन माना गया है. इसलिए लगभग हर धर्म में पूजन व प्रार्थना में किसी न किसी प्रकार से सुगंध का प्रावधान है. मान्यताओं के अनुसार चमेली की सुगंध को आकर्षण के लिए बेहतर कहा गया है। आकर्षण धन अर्जित करने के आवश्यक कारकों में से एक है. इसके अलावा गुलाब की महक शक्ति संचरण और विकास के लिए श्रेष्ठ मानी गयी है. शक्ति हासिल करने से धनार्जन सुगम हो जाता है। पर सनद रहे कि सही दिशा में उचित कर्म का कोई विकल्प नहीं है.
सवाल- कालसर्प का दुर्योग कितने सालों तक भोगना होता है.
-अजय अग्रवाल
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि जन्म के समय राहु और केतु के मध्य समस्त ग्रहों के इकट्ठा होने को कालसर्प योग कहते है. योग और दशाओं में अंतर है. दशाएं चलायमान यानि परिवर्तनशील होती हैं और योग स्थिर। यह बदलते नहीं हैं. कालसर्प योग दरअसल भद्र योग, गजकेशरी योग, रुचक योग, बुद्धादित्य योग, हंसयोग, मालव्य योग, या कुल दीपक जैसा एक योग हैं, जो यदि है, तो जीवन भर रहेंगा, खत्म नहीं होगा. काल सर्प योग को बुरा योग समझना बड़ी ग़लती होगी. इस योग ने ही बड़े-बड़े शूरवीरों, उद्यमियों, युग पुरुषों, राजनैतिक हस्तियों, अभिनेताओं और उद्योगपतियों को जन्म भी दिया और अर्श पर भी बिठाया है।काल सर्प योग अक्सर मध्य आयु के बाद बड़ी कामयाबी से नवाजता है. यह योग कभी-कभी शुरुआती संघर्ष का कारक बनता है, पर वह आरंभिक असफलता ही भविष्य की बड़ी सफलता का सबब साबित होती हैं.
सवाल- अचानक नौकरी चली गयी. नई नौकरी के लिए कोई उपाय बतायें. अच्छा समय कब आएगा.
जन्म तिथि-07.05.1982, जन्म समय-9.40 प्रातः, जन्म स्थान- गोपालगंज.
जवाब- सदगुरु श्री कहते हैं कि आपकी राशि तुला व लग्न मिथुन है. सूर्य एकादश भाव में बैठकर जहां उज्जवल भविष्य की सरगोशी कर रहे हैं वहीं, लग्नेश और सुखेश बुध व्यय भाव में बैठ गलत फ़ैसलों से क्षति का संकेत दे रहे हैं. साथ में वृहस्पति पंचम भाव में बैठ कर कठोर वाणी और नकारात्मक चिंतन से कुछ तनाव का भी इशारा कर रहा है वहीं, आपकी शनि की महादशा इसमें इज़ाफ़ा कर रही है. 10 जून, 2021 के बाद आप सकारात्मक काल में प्रविष्ट होंगे. नियमित ध्यान, नेत्रहीनों की सहायता और दुग्धमिश्रित जल से स्नान से लाभ होगा, ऐसा मैं नहीं पारम्परिक अवधारणाएं कहती हैं.
सवाल- आजकल घर में कांच बहुत टूट रहा है. मन बहुत घबरा रहा है। किसी ने कहा है कि वास्तु में इसे अशुभ माना गया है. आप क्या कहते हैं?
-रीना पांडेय
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि सामान्य रूप से कही सुनी बातें, नवीन सिद्धांत और मान्यताएं घर में कांच के टूटने या टूटे-चिटके कांच की गृह में मौजूदगी शुभ नहीं मानती. यद्यपि इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. वास्तु के प्राचीन नियम इस विषय पर मौन है क्योंकि उस काल में कांच का प्रचलन शायद नहीं था. पर इसे प्राचीन वास्तु के उस सिद्धांत से भी जोड़कर देखा जा सकता है जो किसी भी प्रकार की फर्श, दीवार और छत की टूटन, दरार और सीलन को शुभ फल प्रदायक नहीं मानते हैं.
(अगर आपके पास भी कोई ऐसी समस्या हो, जिसका आप तार्किक और वैज्ञानिक समाधान चाहते हों, तो कृपया प्रभात खबर के माध्यम से सद्गुरु स्वामी आनंद जी से सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आपको बस इतना ही करना है कि आप अपने सवाल उन्हें सीधे saddgurushri@gmail.com पर भेज सकते हैं. चुनिंदा प्रश्नों के उत्तर प्रकाशित किये जायेंगे. मेल में Subject में प्रभात ख़बर अवश्य लिखें. )
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ज्योतिषीय समाधान: कालसर्प का दुर्योग कितने सालों तक भोगना होता है ? जानें क्या कहते हैं सद्गुरु स्वामी आनंद जी
सद्गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं […]
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