सद्गुरु स्वामी आनंद जी आधुनिक संन्यासी हैं. पाखंड के धुर विरोधी हैं. संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कॉर्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में कदम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं. मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार के बारे में गहरी समझ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं.
वाल : कहीं पढ़ा था कि ऊन के गोले घर में दुर्भाग्य को न्योता देते हैं. क्या ये सच है?
-विधि नारंग
जवाब : सदगुरुश्री कहते हैं कि ऊन मेष राशि से संबंध रखता है, जो मंगल की राशि है. मंगल ऊर्जा का पुंज अर्थात आग का गोला है. लिहाजा ऊन के वस्त्र तो ठीक हैं, पर प्राचीन मान्यताएं ऊन के गोले को आग का ऐसा गोला मानते हैं, जो यदि विकृत हो जाये, तो अपनी तपिश से सीधा नहीं, बेहद उलटा फल देता है. प्राचीन सलोहित शास्त्र, जो आज लाल किताब के नाम से जानी जाती है, में ऊन और पतली रस्सी के बंधे गोले की घर में उपस्थिति को शुभ नहीं माना गया है. उस ग्रंथ के बहुत से शोध और हिस्से अब लुप्त हो चुके हैं. हो सकता है कि खोये हुए शोध पत्रों में इसका कोई तकनीकी या तार्किक पक्ष भी उजागर रहा हो, पर आज का सत्य तो यही है कि बचे हुए पन्नों में इस कही-सुनी बात का कोई वैज्ञानिक और तार्किक कारण नहीं मिलता.
सवाल : मेरी हथेली हमेशा लाल लाल रहती है. ज्योतिष में इसका क्या अर्थ है? किसी ने इसे दुर्भाग्य कारक बताया है.
-मोहिनी गोयल
जवाब : सदगुरुश्री कहते हैं कि हथेली और रेखाओं का अध्ययन ज्योतिष नहीं, सामुद्रिक शास्त्र यानि हस्त रेखा विज्ञान का विषय है. सामुद्रिक शास्त्र में रक्त वर्ण यानी लाल रंग की हथेली को ऐश्वर्य का पर्याय माना जाता है. जिनकी हथेली में लालिमा ज्यादा हो, उनके जीवन में अन्य लोगों की अपेक्षा संघर्ष कम और आनंद अधिक होता है. उनका भौतिक जीवन समृद्धि के साये में बीतता है.
सवाल : सोने की सही स्थिति कौन-सी है? क्या पश्चिम की ओर सर करके सोने से पैसा आता है?
-सोनाली बग्गा
जवाब : सदगुरुश्री कहते हैं कि नहीं, पश्चिम की ओर सर करके सोने का कोई संबंध समृद्धि आने से नहीं है. बल्कि इसके उलट वास्तु के नियम पश्चिम में सर रखकर सोने की अनुमति नहीं देते. इससे अनिद्रा के साथ पाचन तंत्र व स्वास्थ्य प्रभावित होता है. सोते समय यदि सर दक्षिण की ओर हो, तो यह स्थिति सर्वश्रेष्ठ है. इसके अलावा पूर्व दिशा में भी सर रखकर सोया जा सकता है. पर पश्चिम और उत्तर की ओर सर रखकर सोने को वास्तु के सिद्धांत घातक मानते हैं. ऐसा शायद इसलिए होगा कि चुंबकीय तरंगें दक्षिण से उत्तर की ओर गतिशील होती हैं. दक्षिण की तरफ सर रखने से चुंबकीय दबाव के कारण पाचन तंत्र उत्तम रहता है. वहीं, पश्चिम और उत्तर में सर रखने से चुंबकीय दबाव उलटी दिशा में पड़ता है, जिससे पाचन तंत्र प्रभावित होकर कब्ज के साथ नाना प्रकार के विकारों को जन्म देता है. जिससे मन, स्वास्थ्य और प्रगति के साथ जिंदगी के हर आयाम पर उलटा असर पड़ता है.
सवाल : मन बहुत घबराता है. क्या करूं? निवारण का कोई उपाय बताइये. जन्मतिथि : 16.03.1999, जन्म समय-13:27 बजे, जन्म स्थान : पटना.
-शिवानी पाण्डेय
जवाब : सदगुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि कुंभ और लग्न मिथुन है. अष्टम भाव में चंद्रमा अपने शत्रु शनि की राशि कुंभ में आसीन है. यह योग आपको भावुक तथा संवेदनशील बना रहा है. आठवां चंद्रमा जहां आपके चित्त को अस्थिर करके आपको अनजाने भय से ग्रसित कर रहा है, वहीं कर्म भाव में मंगल का शनि आंतरिक शक्ति में कमी करके अस्वस्थ मनोदशा का कारक बन रहा है. चंद्रमा का परम शत्रु केतु वहीं उसके साथ बैठकर आपके अंदर झुंझलाहट उत्पन्न कर रही है. सकारात्मक विचार और ध्यान के साथ चांदी के बर्तन का प्रयोग, नियमित रूप से दही और खीर का सेवन, रविवार को नमक के त्याग, नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पण तथा गायत्री मंत्र का मानसिक स्मरण आपकी समस्या के निवारण में आपकी सहायता करेगा. ऐसा मैं नहीं, मान्यताएं कहती हैं.
सवाल : क्या राहु-केतु और शनि की दशाएं जीवन बर्बाद कर देती हैं?
-अजय माथुर
जवाब : सदगुरुश्री कहते हैं कि अच्छे और बुरे के बीच बहुत बारीक लकीर है. जगत में प्रत्येक व्यक्ति का अच्छा-बुरा पृथक है. कोई ग्रह बुरा या खराब होता है, यह विचार सत्य से परे है. अच्छे-बुरे हमारे कर्म होते हैं, ग्रह नहीं. ज्योतिष में ग्रहों का या उनकी दशाओं का भला या बुरा असर उसकी स्थिति और उन पर पड़ने वाली दृष्टि पर निर्भर है. शुभ स्थिति होने पर कई बार यही पापी ग्रह अपनी दशा में भौतिक दृष्टि से ज्यादा सुख प्रदान करने की क्षमता रखते हैं. अशुभ स्थिति में शुभ ग्रह भी नकारात्मक असर डालकर जीवन का बंटाधार कर सकते हैं. यदि आपके अच्छे बुरे का पैमाना सिर्फ भौतिकता और आर्थिक समृद्धि है, तो सनद रहे कि राहु, केतु, शनि और शुक्र भौतिक समृद्धि के लिए श्रेष्ठ ग्रहों में शुमार होते हैं.