गुरु के ज्ञान व आशीर्वाद से जीवन में आती है श्रेष्ठता
पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था, ऐसी मान्यता है. वे हमारे आदिगुरु माने जाते हैं. गुरु पूर्णिमा का यह प्रसिद्ध त्योहार व्यास जी की जयंती के रूप में मनाने की परंपरा है. इसलिए […]
पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था, ऐसी मान्यता है. वे हमारे आदिगुरु माने जाते हैं. गुरु पूर्णिमा का यह प्रसिद्ध त्योहार व्यास जी की जयंती के रूप में मनाने की परंपरा है. इसलिए इस पर्व को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं.
इस बार यह तिथि मंगलवार, 16 जुलाई को है. इस दिन प्रातःकाल स्नान पूजा आदि नित्यकर्मों को करके उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए. फिर व्यास जी के चित्र को सुगंधित फूल-माला चढ़ा कर अपने गुरु या घर के बड़ों को गुरु तुल्य मान कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.
महर्षि व्यास ने वेद को चार भागों में बांट दिया, ताकि अल्प बुद्धि रखनेवाले लोग भी वेदों का अध्ययन करके लाभ उठा सकें. व्यास जी ने वेदों को अलग-अलग खंडों में बांटने के बाद उनका नाम- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा और इनका ज्ञान अपने प्रिय शिष्यों- वैशम्पायन, सुमन्तुमुनि, पैल और जैमिन को दिया. हिंदू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि गुरु ही हैं, जो इस संसार रूपी भव सागर को पार करने में सहायता करते हैं.
गुरु के ज्ञान और दिखाये गये मार्ग पर चल कर जीवन में श्रेष्ठता को प्राप्त कर सकते हैं. गुरु पूर्णिमा खास तौर पर वर्षा ऋतु में मनाने का एक कारण यह भी बताया जाता है कि इन चार माह में न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी होती है. यह समय अध्ययन और अध्यापन के लिए अनुकूल व सर्वश्रेष्ठ है.
गुरु पूर्णिमा मुहूर्त :
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 01:48 बजे (16 जुलाई, 2019) से.
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त – 03:07 बजे (17 जुलाई, 2019) तक.