व्रत से होता है आध्यात्मिक लाभ

श्रीपति त्रिपाठी हिं दू धर्म में श्रावण मास को पवित्र और व्रत रखने वाला माह माना गया है. पूरे श्रावण माह में निराहारी या फलाहारी रहने की अनुमति दी गयी है. इस माह में शास्त्र अनुसार ही व्रतों का पालन करना चाहिए. मन से या मनमानों व्रतों से दूर रहना चाहिए. इस संपूर्ण माह में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2019 2:21 AM

श्रीपति त्रिपाठी

हिं दू धर्म में श्रावण मास को पवित्र और व्रत रखने वाला माह माना गया है. पूरे श्रावण माह में निराहारी या फलाहारी रहने की अनुमति दी गयी है. इस माह में शास्त्र अनुसार ही व्रतों का पालन करना चाहिए. मन से या मनमानों व्रतों से दूर रहना चाहिए. इस संपूर्ण माह में नियम से व्रत रख कर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
श्रावण माह के पवित्र दिन कौन-कौन से : इस माह में वैसे तो सभी पवि‍त्र दिन होते हैं, लेकिन सोमवार, गणेश चतुर्थी, मंगला गौरी व्रत, मौना पंचमी, श्रावण माह का पहला शनिवार, कामिका एकादशी, ऋषि पंचमी, हिंडोला व्रत, हरियाली अमावस्या, विनायक चतुर्थी, नागपंचमी, पुत्रदा एकादशी, त्रयोदशी, वरा लक्ष्मी व्रत, गोवत्स और बाहुला व्रत, पिथोरी, पोला, नराली पूर्णिमा, श्रावणी पूर्णिमा, पवित्रारोपन, शिव चतुर्दशी और रक्षा बंधन आदि पवित्र दिन बताये गये हैं.
व्रत के दौरान किन चीजों की मनाही : पूर्ण श्रावण कर रहे हैं, तो इस दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है. उठने के बाद अच्छे से स्नान करना और अधिकतर समय मौन रहना चाहिए. दिन में फलाहार लेना और रात को सिर्फ पानी पीना.
इस व्रत में दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस-मदिरा का सेवन निषेध है. श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि का त्याग कर दिया जाता है. इस दौरान दाढ़ी नहीं बनानी चाहिए, बाल और नाखून भी नहीं काटना चाहिए.
अग्निपुराण में कहा गया है कि व्रत करने वालों को रोज स्नान करना चाहिए, सीमित मात्रा में भोजन करना चाहिए. होम एवं पूजा में अंतर माना गया है. विष्णु धर्मोत्तर पुराण में व्यवस्था है कि जो व्रत-उपवास करता है, उसे इष्टदेव के मंत्रों का मौन जप करना चाहिए, ध्यान करना चाहिए, उनकी कथाएं सुननी चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए. क्रमश:

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