Loading election data...

क्या घर में वुडन फ़्लोरिंग अशुभ है ? जानें क्या कहते हैं सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी

सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2019 7:30 AM

सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं…

सवाल-क्या घर में वुडन फ़्लोरिंग अशुभ है? कोई कह रहा था कि ज्वलनशील होने के कारण ये रिश्तों को जला कर तनाव पैदा कर देती है.
– रानी मज़ुमदार

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि वुडन फ़्लोरिंग से टेंशन की मौलिक और काल्पनिक अवधारणा से मैं हैरत में हूं. नहीं, घर में लकड़ी का फ़र्श यानि वुडन फ़्लोरिंग तनाव का कारक हर्गिज़ नहीं है. ज्वलनशील तो घर के चादर, परदे, क़ालीन और वस्त्र सबकुछ है. बल्कि इसके उलट, आग्नेय कोण यानि दक्षिण पूर्व दिशा में और दक्षिण-पश्चिम दिशा में वुडन फ़्लोरिंग बेहद उत्तम फल प्रदान करती है. उत्तर- पूर्व दिशा में वुडन की जगह हल्के रंग का चमकदार फ़र्श का चयन लाभ प्रदान करने वाला है. अगर किसी कारणवश आप यहां भी लकड़ी की ही फ़र्श चाहते हैं, तो मैट की जगह लैमिनेटेड चमकदार यानि glossy फ़र्श का इस्तेमाल करें. ऐसा मैं नहीं वास्तु के नियम कहते हैं.

सवाल- विपरीत राजयोग से परेशान हूं. इसने मुझे कंगाल बना दिया. इसकी शान्ति कैसे संभव है.
जन्म तिथि-16.09.1976, जन्म समय-23.29, जन्म स्थान-पटना
-आशीष चौबे

जवाब- विपरीत राजयोग एक श्रेष्ठ योग है, न कि अशुभ या उलटा। इस योग में जन्मे लोग समृद्ध, प्रतिष्ठित, और उच्च पदों पर आसीन होते हैं. जब षष्ठ,अष्टम और द्वादश भाव के मालिक इन्ही भावों में विराजमान हों, या इन घरों में अपनी राशि में स्थित होकर शुभ ग्रह व शुभ भावों के स्वामी से युत अथवा दृष्ट ना हों तो विपरीत राजयोग निर्मित होता है. सदगुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि और लग्न दोनों मिथुन है. आपकी कुंडली में विपरीत राजयोग घटित नहीं हो रहा है. आपकी परेशानी का कारण धन भाव में विराजमान शनि की महादशा है. पर आप चिंता न करें. मांसाहार व मदिरा का त्याग, मीठी वाणी तथा क्षमा का वरण, सकारात्मक विचार और नेत्रहीन लोगों की सहायता से लाभ होगा, ऐसा ज्योतिषिय मान्यताएं कहती हैं.

सवाल- मुझे जब ग़ुस्सा आता है तो बहुत ज़्यादा आता है. इसको क़ाबू में कैसे करूं.
जन्म तिथि- 28.06.1988, जन्म समय-5.51 प्रातः, जन्म स्थान- धनबाद.
-संतोष श्रीवास्तव

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि वृश्चिक और लग्न मिथुन है. चंद्रमा आपके षष्ठ भाव में बैठ कर जहां आपको स्वप्नद्रष्टा, सम्वेदनशील और भावुक बना रहा है वहीं सूर्य लग्न में विराज कर स्वभाव में तपिश प्रदान कर रहा है. यह सूर्य आपकी भावुकता और उग्रता को हवा दे रही है. स्वयं को व्यस्त रखने और अधिक से अधिक पुस्तक पढ़ना आपके लिये हितकर है. अपने अंदर की सुप्त प्रतिभा को पहचान कर उसे आकार और विस्तार प्रदान करें. योगासन, प्राणायाम, रात्रि में दुग्ध का सेवन न करने, चांदी के चम्मच का प्रयोग और पूर्णिमा के दिन श्वेत वस्तुओं का दान लाभ प्रदान करेगा, ऐसा मैं नहीं, प्राचीन मान्यतायें कहती हैं.

सवाल- फ़िल्म का निर्माण करना चाहता हूं. क्या मेरी कुंडली में इसका योग है?
जन्म तिथि- 14.12.1956, जन्म समय- 5.55 बजे प्रातः, जन्म स्थान- पीलीभीत
-रंजन शुक्ल

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि मेष और लग्न वृश्चिक है. आपके करियर का स्वामी सूर्य, लग्न में परम शत्रु शनि व राहू के साथ विराज कर जहां करियर के लिए अनोखी चुनौतियां प्रस्तुत कर रहा है, वहीं लाभ भाव में वृहस्पति विराज कर एक उत्तम योग भी बना रहा है. आपकी कुंडली में मुझे फ़िल्म निर्माण के प्रयास से धन लाभ का योग दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है. स्वांत: सुखाय के लिए तो ठीक है, पर आपके सितारों की चाल देखकर मुझे फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में बड़ी सफलता संदिग्ध नज़र आ रही है.

सवाल- क्या मंत्रों से जीवन के कष्टों का निदान संभव है?
-निर्मल रस्तोगी

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार हमारे सुख, आनंद, विषाद और कष्ट के सूत्र हमारे पिछले कर्मों के तानों बानों में गूंथे हुए हैं. हम स्वयं द्वारा रचे खाते के अनुसार ही सुख और दुःख भोगते हैं. जो कर्म कर दिया गया, उसे तो भोगना ही होगा. किसी भी विद्या द्वारा उसे निरस्त या ख़ारिज करने का कोई उपाय नहीं है. मंत्र एक प्रकार का नवीन कर्म है. इसे आप वॉयस कमांड समझ लें, जिनका सीधा असर हमारे मन पर पड़ता है. मंत्रों के नए कर्म से आप आत्मविश्वास में वृद्धि कर, अपनी आंतरिक ऊर्जा को बल प्रदान कर सकते है. जिससे पूर्व के नकारात्मक कर्मों का भोग सहज और सुगम हो सकता है। सनद रहे कि स्वयं पर यक़ीन और सही दिशा में सतत सटीक कर्म का कोई विकल्प नहीं है.

(अगर आपके पास भी कोई ऐसी समस्या हो, जिसका आप तार्किक और वैज्ञानिक समाधान चाहते हों, तो कृपया प्रभात खबर के माध्यम से सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी से सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आपको बस इतना ही करना है कि आप अपने सवाल उन्हें सीधे saddgurushri@gmail.com पर भेज सकते हैं. चुनिंदा प्रश्नों के उत्तर प्रकाशित किये जायेंगे. मेल में Subject में प्रभात ख़बर अवश्य लिखें.)

Next Article

Exit mobile version