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देवघर : श्रावणी मेले का अर्थशास्त्र : “275 करोड़ के कारोबार का हैं अनुमान
अमरनाथ पोद्दार देवघर : बाबा नगरी की अर्थव्यवस्था को विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले से गति मिलती है. पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों को देखें, तो श्रावणी मेले के दौरान 45 से 50 लाख श्रद्धालु बैद्यनाथ धाम आते हैं. हजारों लोगों को रोजगार देनेवाले इस एक माह के मेले में इस बार करीब 275 करोड़ रुपये […]
अमरनाथ पोद्दार
देवघर : बाबा नगरी की अर्थव्यवस्था को विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले से गति मिलती है. पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों को देखें, तो श्रावणी मेले के दौरान 45 से 50 लाख श्रद्धालु बैद्यनाथ धाम आते हैं. हजारों लोगों को रोजगार देनेवाले इस एक माह के मेले में इस बार करीब 275 करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान है. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कई सामग्रियों की दरों में बढ़ोतरी होने से 10 फीसदी अधिक कारोबार होने की उम्मीद जतायी जा रही है.
सबसे बड़ा पेड़ा बाजार
देवघर व घोरमारा में पेड़े की सैकड़ों दुकानें सजी हैं. सावन में करीब 180 करोड़ रुपये का पेड़े का कारोबार है. पेड़ा के लिए प बंगाल के कांदी, बरहमपुर व कोलकाता, यूपी के बनारस, इटावा, मुगलसराय व झांसी, मप्र के ग्वालियर से खोेवा आता है.
भोजनालय
मेले की अर्थव्यवस्था में भोजनालय का व्यवसाय अहम है. मेले के दौरान कई अस्थायी होटल खुले हैं. कांवरिया पथ से देवघर व बासुकीनाथ मार्ग पर सैकड़ों भोजनालय हैं. अनुमान के अनुसार एक माह में करीब 30 करोड़ रुपये केवल भोजनालय का कारोबार होगा.
यूपी, एमपी, बिहार बंगाल से चूड़ा
मेले में चूड़ा का 15 करोड़ रुपये का व इलाइची दाने का कारोबार होने का अनुमान है. चूड़ा यूपी, एमपी, बिहार व पश्चिम बंगाल से मंगवाया जाता है. चूड़ा 40 रुपया प्रति किलो व इलाइची दाना 60 रुपया किलो की सरकारी दर है. इलचाइची दाना देवघर में बनता है.
सिंदूर, चूड़ी व बिंदी
बाबा बैद्यनाथ धाम के प्रमुख प्रसाद में सिंदूर, चूड़ी व बिंदी है. मेेले के दौरान इनका एक करोड़ रुपये का बाजार सजता है, जबकि तीन करोड़ रुपये का चूड़ी का बाजार है. देवघर में फिरोजाबाद, दिल्ली, फरीदबाद से अधिक चूड़ियां आपूर्ति की जाती है.
खिलौनों का भी बड़ा कारोबार
इस दौरान खिलौनों का भी बड़ा कारोबार होता है. ‘बंबई बाजार’ समेत कई नामी बाजार मेले को आकर्षित कर रहे हैं. औसतन प्रत्येक श्रावणी मेले में करीब तीन करोड़ के खिलौने का कारोबार होता है. कोलकाता, दिल्ली, रांची व मुंबई से खिलौने लाये जाते हैं.
बरतन का कारोबार भी बेहतर
बरतन का कारोबार भी जम कर होता है. बाबा नगरी से श्रद्धालु लोहे, कांसे, पीतल व तांबे के बरतन की खरीदारी करते हैं. इसे आस्था से जोड़ कर अपने घर ले जाते हैं. मेले में औसतन आठ करोड़ रुपये के बरतन के कारोबार के होने की संभावना है. पीतल व लोहे का बरतन अधिकांशत: बनारस, मुरादाबाद, कानपुर, दिल्ली, मिर्जापुर, पटना व एमपी से मंगवाये जाते हैं.
इस बार के मेले में कारोबार की उम्मीद
– 180 करोड़ पेड़ा
– 30 करोड़ भोजनालय
– 20 करोड़ फल
– 15 करोड़ चूड़ा
– 10 करोड़ इलाइची
– 08 करोड़ बरतन
– 03 करोड़ खिलौने
– 03 करोड़ चूड़ी
– 04 करोड़ होटल
– 01 करोड़ सिंदूर
– 01 करोड़ माला
बाबा मंदिर को पिछले वर्ष हुई थी 9.28 करोड़ की आय
श्रावणी मेले में बाबा मंदिर को बीते साल कुल आय 9.28 करोड़ रुपये हुई थी. इसके अलावा सोने चांदी के अंश भी मिले. अनुमान है कि इस वर्ष भी आय पिछले वर्ष के अनुसार होगी.
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