-आनंद जौहरी-
श्रावण हिंदू कैलेंडर का पंचम माह है, जिसे वर्ष के सर्वाधिक पवित्र मास में से एक माना जाता है. वर्षा ऋतु के इस महीने में तामसी शक्ति का दमन कर सतोगुण से ऐश्वर्य प्राप्ति की कोशिश की जाती है. यह महीना आत्मिक शक्ति के विस्तार के बोध व परमात्मा को जानने का काल है.
श्रावण/ श्रवण का एक शाब्दिक अर्थ सुनना भी है. आत्मा शब्द स्वरूप है. लिहाज़ा अपने अंतर्मन में उमड़-घुमड़ रहे शब्दों का श्रवण का प्रयास अपने आप को जानने के लिए अनिवार्य शर्त है. इसलिए श्रावण महीने को अंतर्मन के नाद की शबनमी बूँदों में भीगने- भिंगाने का काल कहा गया है.आत्मजागरण के लिए मन पर क़ाबू पाना ज़रूरी है. सोमवार को मन के मालिक चंद्रमा का दिन है, इसीलिए श्रावण माह में सोमवार के दिन उपासना को बेहद प्रभावी और कारगर माना जाता है.
आध्यात्मिक मान्यताएं मन के स्वामी चंद्रमा को आत्मिक शक्ति शिव के शीर्ष पर विराज कर संदेश देती है कि यदि स्वयं और अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कर लिया जाए, तो मनुष्य निर्बलता से उठ कर सबलता के आकाश में पंख पसार सकता है.इस बार के श्रावण मास में में चार सोमवार होंगे. 22 जुलाई को सावन का प्रथम सोमवार है.29 जुलाई को द्वितीय, 5 अगस्त को तृतीय और 12 अगस्त को श्रावण मास का चतुर्थ सोमवार है.