सद्गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं…
सवाल- इस बार रक्षा बंधन का मुहूर्त क्या है. भद्रा कितने बजे तक है?
-रीना सक्सेना
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि पूर्णिमा की तिथि 14 अगस्त की शाम को लग जाएगी और 15 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगी. लेकिन तिथि सदैव सूर्योदय के समय मौजूद तिथि को ही कहा जाता है. अतएव इस वर्ष 15 अगस्त को शाम तक रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है. इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं है.
सवाल- रक्षाबंधन पर बहन को क्या उपहार देना चाहिए ?
– रंजन शर्मा
जवाब-सदगुरुश्री कहते हैं कि रक्षाबंधन पर बहन को रक्षाके संकल्प के साथ भाई को बहन के भविष्य की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उपहार का चयन करना चाहिए. इसके लिए स्वर्ण, रजत सहित आधुनिक युग की निवेश योजना का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. किसी भी परिस्थितियों में नुकीली या काटने की वस्तुयें, रुमाल और तौलिया जैसी सामग्री से बचना चाहिए.
सवाल- रक्षाबंधन का आधार क्या है? यह आधुनिक पर्व है या प्राचीन?
-उदिता नारायण
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि रक्षाबंधन पर्व के सूत्र हमारी प्राचीन धरोहर में घुले-मिले हैं. इसका आधुनिक चेहरा भले ही कुछ अलग हो पर हमारे प्राचीन ग्रंथों यथा श्रीमद्भागवत, पद्मपुराण, भविष्य पुराण तथा स्कन्ध पुराण में यह पर्व अलग अलग स्वरूप में मौजूद है. कहते हैं कि द्वापर में कृष्ण की घायल अंगुली पर द्रौपदी ने अपने वस्त्र के टुकड़े को बांधकर स्वयं को चीरहरण से सुरक्षित कर लिया. यह तब का रक्षासूत्र था. इसी प्रकार दानवेन्द्र राजा बलि ने जब सौ यज्ञों से स्वर्ग को हासिल करने प्रयास किया तो विष्णु ने वामनावतार के रूप में बलि से तीन पग में आकाश, पाताल व धरती मांग कर बलि को रसातल में भेज दिया तत्पश्चात बलि ने कठिन तपस्या और अपनी अगाध भक्ति से विष्णु को सदा के लिए अपने पास रहने का वर मांग लिया. तब लक्ष्मी ने श्रावणी पूर्णिमा पर बलि को अपने भाई के रूप में स्वीकार कर उन्हें रक्षासूत्र बांध कर बदले में विष्णु को पुनः प्राप्त किया. अन्य मान्यताओं के अनुसार दिती के पुत्रों दैत्यों के आक्रमण से परेशान इन्द्र जब सहायता मांगने वृहस्पति के पास पहुंचे तो उन्होंने अभिमंत्रित रक्षासूत्र के कवच से उनकी रक्षा की. धार्मिक मान्यताओं से इतर इतिहास के पन्नों में रानी कर्मावती ने हुमायूं को रक्षासूत्र बांध कर सिकंदर की पत्नी ने राजा पुरुवास को राखी बांध कर स्वयं और अपने पति के जीवन की रक्षा की क़सम ली.
सवाल- मेष राशि वालों का विवाह वृश्चिक राशि वालों से ठीक है या नहीं.
-उर्मिला भारद्वाज
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि वैवाहिक पूर्ण मिलान के लिए यूं तो पूर्ण जन्म विवरण की दरकार है पर अगर सरसरी नज़र से देखे तो मेष राशि वालों का विवाह या संबंध वृश्चिक राशि के लोगों के साथ बहुत उत्तम नहीं होता. दोनों राशि के मालिक मंगल हैं. पर एक स्वामी की दोनों राशियों में दो का फ़र्क़ यानि विभाजन साफ़ दृष्टिगोचर होता है. इनमे एक दूसरे के प्रति आकर्षण की कमी पायी जाती है. कई बार दोनों में एक पक्षीय आकर्षण उत्पन्न तो होता है पर वो आपसी सामंजस्य के अभाव में अंततः बेहद हानिकारक सिद्ध होता है। अपने अथक परिश्रम के बाद भी मेष राशि के लोग वृश्चिक लोगों को प्रभावित और आकर्षित करने में नाकाम रहते हैं.
सवाल- क्या रात में चावल और दही खाने से आर्थिक कष्ट मिलता है?
-नयन यादव
जवाब- सदगुरु श्री कहते हैं कि आर्थिक समृद्धि के पीछे सटीक कर्म, बचत, उचित निवेश और चतुराई की दरकार है. जहां तक रात्रि में दही और भात यानी चावल के सेवन का प्रश्न है तो इसे कुछ पारंपरिक मान्यतायें आर्थिक तनाव को बढ़ाने वाली मानती हैं. अपितु इसका कोई प्रामाणिक या वैज्ञानिक आधार नहीं है.
(अगर आपके पास भी कोई ऐसी समस्या हो, जिसका आप तार्किक और वैज्ञानिक समाधान चाहते हों, तो कृपया प्रभात खबर के माध्यम से सद्गुरु स्वामी आनंद जी से सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आपको बस इतना ही करना है कि आप अपने सवाल उन्हें सीधे saddgurushri@gmail.com पर भेज सकते हैं. चुनिंदा प्रश्नों के उत्तर प्रकाशित किये जायेंगे. मेल में Subject में प्रभात ख़बर अवश्य लिखें.)